मन यायावर है पृष्ठ संख्या 168 , मूल्य 400 रुपए प्रकाशक प्रेमनाथ एंड संस 30/35-36, द्वितीय तल गली नंबर- 9, विश्वास नगर , दिल्ली - 110032 |
लीक से हट कर ग़ज़लें हैं। प्रेम समर्पण से भरपूर। ख़ुद्दारी और आक्रोश को भी
समेटे दूसरी ओर। इस उत्तर आधुनिक युग के यंत्र तंत्र को भी ध्वनित
करती हुई। बहुत खूब। बधाई भाई दयानंद जी ! गज़लें वास्तव में नई तासीर
नए तेवर लिए हैं। उद्वेलित करती हैं। आंदोलित करती हैं। अंधकार से मुक़ाबला
करती हैं। आप के विचारोत्तेजक लेख तो निरंतर सरोकारनामा में पढ़ते
आए हैं। ये ग़ज़लें उन से भी अधिक बोल्ड और सटीक हैं। आप लिखते भी तो
प्रभूत परिमाण में हैं। जब कलम चलती है आप की तो सिंगल या डबल बैरल गन की
तरह नहीं, ए के 47 की तरह चलती है। मां सरस्वती की आप पर विशेष कृपा है।
समेटे दूसरी ओर। इस उत्तर आधुनिक युग के यंत्र तंत्र को भी ध्वनित
करती हुई। बहुत खूब। बधाई भाई दयानंद जी ! गज़लें वास्तव में नई तासीर
नए तेवर लिए हैं। उद्वेलित करती हैं। आंदोलित करती हैं। अंधकार से मुक़ाबला
करती हैं। आप के विचारोत्तेजक लेख तो निरंतर सरोकारनामा में पढ़ते
आए हैं। ये ग़ज़लें उन से भी अधिक बोल्ड और सटीक हैं। आप लिखते भी तो
प्रभूत परिमाण में हैं। जब कलम चलती है आप की तो सिंगल या डबल बैरल गन की
तरह नहीं, ए के 47 की तरह चलती है। मां सरस्वती की आप पर विशेष कृपा है।
-सुधाकर अदीब
1. मैं तुम्हें ख़ुद से ज़्यादा चाहता हूं ऐसा झूठ बोलना भी अच्छा है पर कभी-कभी 2. यह मन के दीप जलने का समय है तुम कहां हो
3. सहिष्णुता के शैतान तुम्हारी ऐसी तैसी
4. आख़िर तुम्हारी ज़न्नत का तकाज़ा क्या है
5. जैसे गांव से शहर आ कर अम्मा मुझे विभोर कर देती है
6. तुम नहीं , वह नहीं , हम सब से बड़े हैं
7. यह अहले लखनऊ है कुल्लू मनाली की बर्फ़ नहीं जो गुड़ के साथ खाना है
8. तुम्हारी मुहब्बत का जहांपनाह होना चाहता हूं
9. अम्मा ने बुढ़ौती में पिता से खुल कर बग़ावत कर दी है
10. देवदास लोग रोया नहीं करते सब के सामने
11. माल रोड पर झूमती शिमला की रातें हैं
12. अम्मा तुम्हारी गोद में दौड़ कर छुप जाने को जी करता है
13. नीले आकाश में तुम्हारे साथ उड़ जाने को दिल करता है
14. शादी खोजने निकलिए तो समाज बाजा बजा देता है
15. बेईमानों के नाम नया साल लिखना चाहता हूं
16. एक सपना है मेरे भीतर जो खिल कर सूर्य होना चाहता है
17. सत्ता का मीठा जहर है तुम्हारे पास जो मेरे पास नहीं है
18. इश्क कर के देखो इश्क आदमी को बादशाह बना देता है
19. मैं सड़क पर हूं घने कोहरे में खोया ख़ुद को खोजता हुआ
20. मालदा इस के विपरीत है यह बात बताऊं कैसे
21. लेकिन यह मन के जंगल की आग है
22. गंगा सागर हो आया हूं अब तुम्हारे द्वार आना चाहता हूं
23. लेकिन सागर से उछल कर मिलती तो है
24. प्यार की नाव में नदी बहती अब है
25. चादर हमारी रोज फटती है सुबह शाम उसे सी रहे हैं
26. औरत मरती है टुकड़ों-टुकड़ों में दुनिया सारी हत्यारी होती है
27. तुम्हारी सरहदों पर गांधी के कुछ भजन गाना चाहता हूं
28. ताजमहल भारत में है पाकिस्तान बना सकता नहीं
29. वह ईमानदार है इस लिए बहुत हैरान और परेशान है
30. यह पुस्तक मेला यह पुस्तक विमोचन दम तोड़ते हुए जलसे हैं
31. सारे घोड़े वह अपने विजय रथ में बांध लेती है
32. हम इतने बुजदिल हैं कि टुकुर-टुकुर सिर्फ़ ताकते रह गए
33. जींस पहन कर फ़ेसबुक पर वह लाल सलाम बोलते हैं ताकि तने रहें
34. फ़ेसबुक गूगल अमरीकी हैं पूंजीवादी हैं फिर आप यहां उपस्थित कैसे हैं
35. हम हार-हार जाते हैं जब तुम नहीं होती हो
36. अंबेडकर वोट और नोट देता है तो वह गांधी को भूल जाते हैं
37. मीरा का एकतारा बजता रहता है और मन मोहन हो जाता है
38. घर बेच कर शराब पी गए अब दुनिया जलाने की बात करते हैं
39. तुम्हारे पास ख़ुद को छोड़ आया हूं
40. इश्क में कोई बड़ा भी जो पड़ जाए तो बच्चा लगने लगता है
41. पर इतने कायर हैं कि मां के गर्भ में उपस्थित लड़की से डरते हैं
42. वह दलित हैं वह सेक्यूलर हैं पर ज़िद ऐसे करते हैं जैसे छोटे बच्चे हैं
43. कांटे सारे हमारे गुलाब सारे तुम्हारे हैं
44. बहुत कर चुका प्रपोज तुम को अब तुम्हारी बारी है
45. शिकारियों की चूजों पर बहुत तगड़ी नज़र है
46. मेरिट मार खाती है तो लड़का टूटता बहुत है
47. योजनाओं का पैसा कलक्टर और मुख्यमंत्री मिल कर पी जाता है
48. जे एन यू में आतंक का कश्मीरी राग सुन कर हरगिज हैपी नहीं हैं
49. फागुन की मस्त दस्तक है हम हर हाल हैपी हैं
50. प्रेम का पहाड़ा कितना कठिन है बता देता है
51. काश देशद्रोहियों को जो सीधे सीध गोली मार देने का क़ानून होता इस देश में
52. वैलेंटाईन की बांसुरी बज रही बहुत मीठी तुम चली आओ
53. जान से प्यारा पाकिस्तान का वह गीत अब गाने लगे
54. देश में रहते खाते हैं पर देशद्रोह से पहचाने गए
55. उन के पास पैसे हैं भारत की बर्बादी के नारे हैं तराने हैं
56. सुप्रीम कोर्ट अफजल की हत्यारी है यह कौन सी बात है
57. भारत तेरे टुकड़े होंगे , इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह नारे लगते हैं
58. तुम्हारी प्रेम नदी में साईबेरियन पक्षी की तरह हम उड़े हैं
59. मन यायावर है ठहरता ही नहीं पारे की तरह फिसलता बहुत है
60. मनी लांड्रिंग बढ़ती जाती है देशभक्ति की बात करते हैं
61. कुतर्क देखिए मां को बाप की बीवी बताते हैं
62. अभिव्यक्ति का पंचांग कुछ इस तरह हंस-हंस कर बांच रहे हैं
63. लहराती और लचकती हुई तुम कइन जैसी हो
64. इशरत को बेटी अफजल को दामाद बताना चाहते हैं
65. सेक्यूलर दिखने की बीमारी से लोग उबरना कहां चाहते हैं
66. संसद बजट रुपए का आना जाना सब बहुत बड़ा धोखा है
67. कामरेड तुम्हारे फासीवाद की नदी से गुज़रती अब यह नई सदी है
68. तुम्हारे साथ बहते हुए रहना चाहता हूं
69. तुम हमारे साथ हो यह साथ ही सर्वदा याद रखते हैं
70. लगता है कामरेड तुम्हारी काठ की हाड़ी उतर गई है
71. रहता है लखनऊ में लेकिन लाहौर सुहाता है
72. अपने भीतर तुम को चीन्ह रहा हूं मैं तो हर पल हरियाली बीन रहा हूं
73. जिस संसद पर भरोसा था देश को उस संसद में कोई भरोसेमंद नेता नहीं रहा
74. तुम्हारी आंख में मुझे खींचने वाला अब वह चुंबक नहीं रहा
75. मेरे ही कांधे पर सिर रख कर दुलराना मुझे
76. आग बन कर मन को दहकाने लगे हैं
77. लोग तो मिलते ही रहते हैं हरदम ख़ुद से मिले बहुत दिन हुए
78. जैसे अपने मन का वह कोई गड्ढा पाट रहे हैं
79. आम में बौर देखता हूं और तुम्हें खोजता हूं
80. मन में फूल खिला कर हम को फिर तड़पाने आए हैं
81. मधुमास की हवा में बहा जा रहा हूं
82. जातीय आग में कूद फांद कर देश जलाने आए हैं
83. आप उन्हें देशद्रोह पर घेरेंगे वह वंचित दलित बन जाएंगे
84. वह मर मिटना चाहता है देश के लिए देश को मां मानता है
85. बेटी को पेट में ही मार कर वह महिला दिवस मनाते हैं
86. अब फागुन के दिन हैं सताने लगे हैं
87. चकमा देने वाले ही अब तो हर रोज चमक रहे हैं
88. शेर सारे पिंजरे में कैद रंगे सियारों के दिन हैं
89. साथ रोती साथ हंसा करती है बेटी तो ऐसी ही हुआ करती है
90. इन दिनों फैशन नया चला है सेना को गरियाने का
91. जाने कौन सी बीमारी लग गई है उन को हर एक बात बुरी लगती है
92. संसद मीडिया अदालत अफ़सर सब सज धज कर तैयार खड़े हैं
93. ग्लोब्लाइज हो गए हैं बच्चे लेकिन यह लोग तो मनुस्मृति में उलझे हैं
94. सेक्यूलरिज़्म के शौक ने उन्हें पमेलियन कुत्ता बना दिया
95. खिड़कियां प्यार की खुल गईं मधुमास में
96. हम बहुत रश्क से जावेद अख्तर अनुपम खेर देखते हैं
97. भारत माता की जय बोलने से घबराए लोग जय हिंद बोल रहे हैं
98. प्यार सितार का तार होता है टूट कर बज नहीं सकता
99. मधुबाला जैसी तुम्हारी आंखों में आशनाई बहुत है
100. तुम्हारे साथ हम नाव में क्या चढ़े यह अंजोरिया मचल गई
101. तुम आती हो तो आता है फागुन फिर होली हैपी करती है
102. मदहोश हो गए हैं रंग भी तुम से आज होली खेल कर
103. अंबेडकर के आरक्षण की यही बड़ी सफलता है
104. घर परिवार में उलझी स्त्री प्रेम में आ कर सुलझती है
105. और तो और ललमुनिया की माई बदल गई
106. कभी असहिष्णुता तो कभी भारत माता की जय का गिला है
107. कम्युनिस्ट हो कर पूजा करना भी बहुत बड़ी लाचारी है
108. लिखना है तुम्हारी आंख लेकिन कटार लिखता हूं
109. मधुमास बीत गया अब चढ़ते चईत का खरमास हो तुम
110. बेज़मीर बन कर हमें झुकना नहीं आता
111. फ़ेसबुक पर वह प्यार करती है सब कुछ यहीं स्वीकार है उसे
112. दुनिया भर की झंझट है लेकिन प्यार करता हूं
113. मनाता हूं ख़ुदा से बराबर तुम्हारे नगर में अपने कारवां से छूट जाऊं
114. बेवफ़ाई करते हुए वफ़ा के निरंतर गीत गाने का क्या मतलब
115. प्यार का वेंटिलेटर पर अचानक चले जाना अच्छा नहीं लगता
116. हमारी मुहब्ब्त तुम्हारी ज़मींदारी नहीं है
117. अगले जनम में सब आएंगे तुम भी आना
118. लेकिन बोल गया सेक्स का सागर हूं
119. संबंधों में लड़ नहीं पाता बस रास्ता बदल लेता हूं
120. अब की आई ऐसी गरमी कि बालम चिरई भाग गई
121. सुखद यह कि मन की सूखी नदी में धार ले कर लौटी है
122. राजनीति के आगे चलने वाली साहित्य की वह मशाल नहीं मिली
123. तुम्हारे भीतर मैं ख़ुद को खोजता हूं
124. ठीक सामने होती हो तुम और बात नहीं होती
125. नए दौर की लड़की ग़ुलामी से निकलना चाहती है
126. प्यार में कभी अंहकार का आकाश नहीं होता
127. मेरे मन के आषाढ़ को अपने सावन से मिलने तो दो
128. अब सजदा मेरा हराम है इतने लोगों के मर जाने के बाद
129. आतंक का मज़हब नहीं होता यह गाना बेसुरा लगता है
130. हमारा इम्तहान लेने की तुम्हारी आदत सी है
131. मनुष्यता कम सेक्यूलरिज़्म ज़्यादा समझते हैं
132. फागुन धड़कता देह की हर पोर में तुम कहां हो
133. प्रधान मंत्री ख़ुद बाज़ार में है , बोलो ख़रीदोगे
134. मंदिर तो आज बना लें पर दंगों से डर लगता है
135. नदी किनारे लाखों दियों की नदी थी कि तुम थी
136 . वोट डाल कर हम अपनी बेहतर दुनिया बनाने जा रहे हैं
137 . देश घायल है और तुम सेक्यूलरिज्म की घात करते हो
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