Friday, 12 February 2016

प्रेम का पहाड़ा कितना कठिन है बता देता है

 
फ़ोटो : निखिलेश त्रिवेदी

ग़ज़ल 

बालम चिरई का वसंत मुझे संत बना देता है 
प्रेम का पहाड़ा कितना कठिन है बता देता है 

धड़कती रहती है हमारे दिल में बालम चिरई
भूकंप वहां भी भारी है चुप रहना बता देता है

प्यार की पुकार नदी भी सुनती गुनती रहती है 
नदी भी कितना तड़पी है किनारा बता देता है 

एक लड़की है जो मेरी गली से गुज़रती रहती है 
वह प्यार में पागल है उस का चेहरा बता देता है 

पैरों में उस के पायल है वह चुपचाप चलती है
पायल का शोर दिल की धड़कन बता देता है 

पतंग उड़ती बहुत है दिल की डोर तुम्हारे हाथ 
उड़ाना संभल कर है पास का पेड़ बता देता है 

कई पक्षी साथ उड़ते हैं साथ छोड़ते नहीं कभी
समर्पण कितना ज़रुरी है आसमान बता देता है
 
[ 13 फ़रवरी , 2016 ]

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-02-2016) को "आजाद कलम" (चर्चा अंक-2252) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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