दयानंद पांडेय
हम अब युद्ध में हैं। मुसलसल युद्ध में हैं। रूस -यूक्रेन युद्ध , इजराइल - हमास युद्ध को रोकने की बात करने वाले , संवाद से मसला हल करने की बात करने वाले नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ आक्रमण का उद्घोष कर दिया है। ऐसे जैसे महाभारत में श्रीकृष्ण का पांचजन्य शंख बज गया हो। कूटनीतिक हमला बोल दिया है। जल प्रहार हो चुका है। सैनिक हमला बस होना ही चाहता है।
संभल , मुर्शिदाबाद और पहलगाम में एक ही तत्व है , जेहाद ! कोई दूसरा तत्व हो तो प्लीज़ बता दीजिए l मतलब उत्तर प्रदेश , पश्चिम बंगाल और कश्मीर तीनों का मौसम और मिजाज एक है l वह है जेहाद। बल्कि इस अर्थ में पूरे देश का मिजाज और मौसम एक है l रत्ती भर भी कहीं कोई फ़र्क़ नहीं है l इस बात को देश के लोग जितनी जल्दी समझ लें , बेहतर है l वक़्फ़ बोर्ड की रेशमी ज़ुल्फ़ों के पेचोखम में मत भटकिए l पहलगाम में मारे गए लोग पर्यटक नहीं थे , हिंदू थे। धर्म पूछ कर , कलमा पढ़वा कर , पैंट खोल कर खतना चेक कर लोगों की हत्या की गई है। मुर्शिदाबाद में यही किया गया। संभल में भी यही सिलसिला है। देश भर में ही नहीं दुनिया भर में यही सिलसिला है। इस सिलसिले को बंद करना बहुत ज़रूरी है। इस लिए भी कि इन जेहादियों से समूची दुनिया परेशान और तबाह है।
एक समय था कि योगी ने उत्तर प्रदेश विधान सभा में अतीक़ अहमद को इंगित कर , अखिलेश यादव को धमकाते हुए कहा था कि इस माफ़िया को मिट्टी में मिला दूंगा। अंतत: मिट्टी में मिला दिया। कुछ इसी तर्ज पर नरेंद्र मोदी ने आतंकियों के आका पाकिस्तान में मिट्टी मिला देने का ऐलान कर दिया है।
इस एक ऐलान से पाकिस्तान की सिट्टीपिट्टी गुम है। घरेलू मोर्चे पर नरेंद्र मोदी सरकार भले कई बार पिटती हुई दिखती है पर विदेशी और कूटनीतिक मोर्चे पर मोदी सरकार का डंका बजता है। दुनिया भर के देश इस पहलगाम मुद्दे पर भारत के साथ , पाकिस्तान के खिलाफ खड़े हो गए हैं। एक चीन को छोड़ कर सब पर भरोसा भी किया जा सकता है। गो कि चीन ने भी पाकिस्तान के खिलाफ भारत के विदेश मंत्रालय में अपनी आमद दर्ज करवा दी है। मुस्लिम देशों ने भी भारत के साथ खड़े होने की सहमति दी है। इन्हीं सब के बूते मोदी ने बिहार के भाषण में अंग्रेजी में बोल कर विश्व समुदाय को संदेश देने की कोशिश की है। यह बड़ी बात है।
2014 में मोदी जब प्रधान मंत्री बने थे तब कुछ लोग उन्हें बहुत ज़ोर से फेंकू कहने लगे थे। आज भी कहते रहते हैं। ख़ास कर मोदी विरोधी कुछ लेखकों , पत्रकारों और जेहादी मुसलमानों की यह बीमारी बढ़ती गई है। वह कहते हैं न कि मर्ज बढ़ता गया , ज्यों - ज्यों दवा की। पहलगाम हो , संभल या मुर्शिदाबाद हर बार पोलिटिकली करेक्ट होने के चक्कर में यह लोग पाकिस्तान की भाषा बोलते रहते हैं। जेहादियों की पैरवी करते रहते हैं। दंगाइयों और आतंकियों के लिए कवरेज फायर देते रहते हैं। पहलगाम पर भी इन लेखकों , पत्रकारों का यह रुख बदला नहीं है। पाकिस्तान से ज़्यादा आतंकियों के पक्ष में यह लेखक पत्रकार खड़े हैं। कभी इस बहाने , कभी उस बहाने। सांप्रदायिक सद्भावना का भी बहाना है। पर वास्तव में मोदी विरोध की यह गंभीर बीमारी है। इन लेखकों , पत्रकारों को यह बीमारी कांग्रेस ने एक ख़ास वैक्सीन लगा कर इन के ख़ून में भर दी है। कांग्रेस के साथ कुछ क्षेत्रीय दलों ने भी सपोर्टिंग वैक्सीन इन्हें दे रखी है।
कश्मीर की पूर्व मुख्य मंत्री महबूबा मुफ्ती जो एक समय पाकिस्तानी आतंकियों की भाषा बोलती थीं। कहती थीं , कश्मीर में तिरंगा उठाने वाला नहीं मिलेगा कोई। पर पहलगाम में आतंकी हमले के ख़िलाफ़ कल कश्मीर बंद के जुलूस में आतंकियों के खिलाफ तख्ती लिए वह आगे - आगे चल रही थीं। जेहादी महबूबा का यह बदलाव दिलचस्प है। और तो और आज यह जहरीले कांग्रेसी भी दिखावे के लिए सही पाकिस्तान के खिलाफ मोदी सरकार के साथ खड़े हो गए हैं। महबूबा बदल गईं , कांग्रेसी बदल गए। लेकिन यह बीमार लेखक , पत्रकार कांग्रेस के वैक्सीन से निकलने में असहाय हो गए हैं। नहीं बदल पा रहे। पाकिस्तान के लिए बैटिंग करने में प्राणप्रण से युद्धरत हैं।
लेकिन इन के फेंकू ने इस बार बात बहुत दूर तक फेंक दी है। इतना दूर कि इन के संभाले कुछ नहीं संभलने वाला। मित्र वाहिद अली वाहिद की एक कविता याद आती है :
कब तक बोझ संभाला जाए
द्वंद्व कहां तक पाला जाए
दूध छीन बच्चों के मुख से
क्यों नागों को पाला जाए
दोनों ओर लिखा हो भारत
सिक्का वही उछाला जाए
तू भी है राणा का वंशज
फेंक जहां तक भाला जाए
इस बिगड़ैल पड़ोसी को तो
फिर शीशे में ढाला जाए
तेरे मेरे दिल पर ताला
राम करें ये ताला जाए
वाहिद के घर दीप जले तो
मंदिर तलक उजाला जाए