Tuesday, 8 March 2016

वह मर मिटना चाहता है देश के लिए देश को मां मानता है


फ़ोटो : निखिलेश त्रिवेदी


ग़ज़ल / दयानंद पांडेय

आप जानिए सारी दुनिया लेकिन बच्चा सिर्फ़ मां जानता है
वह मर मिटना चाहता है देश के लिए देश को मां मानता है

जल जंगल और ज़मीन उस की थाती है सांस इसी में लेता है
वह स्त्री वृक्ष नदी और पत्थर पूजता है गाय को मां मानता है

आप के पास होगी सारी सुविधा सुख संभालिए उसे दूहिए उसे
वह बस अपना गांव का घर अपनी मेड़ अपना खेत मांगता है

सुना है आप बड़े क्रांतिकारी हैं दलितों वंचितों के पहरुवा भी
कितनी बहुएं दामाद दलित हैं घर में समाज हिसाब मांगता है

ज़मीनी बात और लफ़्फ़ाज़ी दोनों दो बातें हैं आप मानते नहीं
आप की क्रांति की किताब में दोगलापन है हर कोई जानता है 

[ 8 मार्च , 2016 ]

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