Saturday, 13 February 2016

काश देशद्रोहियों को जो सीधे सीध गोली मार देने का क़ानून होता इस देश में

फ़ोटो : निखिलेश त्रिवेदी

ग़ज़ल / दयानंद पांडेय

जान से प्यारा पाकिस्तान का नारा लगा  इतनी सीनाजोरी न होती इस देश में 
काश देशद्रोहियों को जो सीधे सीध गोली मार देने का क़ानून होता इस देश में

बात-बात पर आग लगाना असली को नंकली बतलाना खामखा अड़ जाना
संदर्भ से कट कर बतियाना गाल बजाना कामरेडों का फैशन है इस देश में

इस ज़िद सनक और झख के आगे गर यह नपुंसक भगवा सरकार न होती  
असहिष्णुता का नकली खिलौना और माहौल नहीं बना पाता कोई इस देश में

आप की लड़ाई के औजार सारे भोथरे हो गए ज़िद और सनक से जो बचे रहते 
लाल सलाम का काला चश्मा इस कदर चकनाचूर न होता कामरेड इस देश में 

वैचारिक प्रतिबद्धता खंडित होती जाती है आप के कुतर्क और सनक के आगे
अपने से असहमत होने वालों को संघी कह देने का चलन न होता इस देश में  

अभिव्यक्ति की आज़ादी तर्क-वितर्क ज़रूरी है पर कुतर्क की मुनादी गैर ज़रूरी
दलित मुस्लिम के कंधे पर बंदूक रख गोली चलाना काश जुर्म होता इस देश में 

[ 13 फ़रवरी , 2016 ]

2 comments:

  1. चूहों का का किया जाये ?

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  2. हाथी चलता रहता है कुत्ते भोंकते रहते हैं। मोदी जी की प्राथमिकताायें अलग हैं।

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