1. महाबलशाली देश मजबूर हैं हिंदी सीखने के लिए
2. जब जिसकी सत्ता तब तिसके अखबार
3. 'उनका हर ऐब भी जमाने को हुनर लगता है'
4. जीते जी मर जाना और करियर का मर जाना
5. जिय रजा कासी!
6. गिरहकट चला रहे मीडिया, मेधावी भर रहे पानी
7. यह एक्जिट पोल वोटरों के साथ सिर्फ़ और सिर्फ़ सामूहिक बलात्कार ही है,कुछ और नहीं
8. क्या बात है रवीशजी! बहुत खूब!!
9. दम भर अदम पर !
10. सब के दृग-जल से पंडित श्रीनारायण चतुर्वेदी का पीतांबर भींग रहा था
11. भेड़ियों को उन की मांदों में ही अब घेरेंगे हम
12. इन द डार्केस्ट आवर... उपन्यास के विमोचन के बहाने रमाकांत और अमृतलाल नागर की याद
13. यादों का मधुबन
14. कुछ मुलाकातें, कुछ बातें
15. एक जनांदोलन के गर्भपात की त्रासदी
16. मीडिया तो अब काले धन की गोद में
17. ग्यारह प्रतिनिधि कहानियां
18. दिमाग का सफ़र बहुत हो चुका, अब दिल का सफ़र होना चाहिए : मुज़फ़्फ़र अली
19. हम अपने बाबा के साथ
22.कामरेड और कुछ फ़ेसबुकिया नोट्स 2. जब जिसकी सत्ता तब तिसके अखबार
3. 'उनका हर ऐब भी जमाने को हुनर लगता है'
4. जीते जी मर जाना और करियर का मर जाना
5. जिय रजा कासी!
6. गिरहकट चला रहे मीडिया, मेधावी भर रहे पानी
7. यह एक्जिट पोल वोटरों के साथ सिर्फ़ और सिर्फ़ सामूहिक बलात्कार ही है,कुछ और नहीं
8. क्या बात है रवीशजी! बहुत खूब!!
9. दम भर अदम पर !
10. सब के दृग-जल से पंडित श्रीनारायण चतुर्वेदी का पीतांबर भींग रहा था
11. भेड़ियों को उन की मांदों में ही अब घेरेंगे हम
12. इन द डार्केस्ट आवर... उपन्यास के विमोचन के बहाने रमाकांत और अमृतलाल नागर की याद
13. यादों का मधुबन
14. कुछ मुलाकातें, कुछ बातें
15. एक जनांदोलन के गर्भपात की त्रासदी
16. मीडिया तो अब काले धन की गोद में
17. ग्यारह प्रतिनिधि कहानियां
18. दिमाग का सफ़र बहुत हो चुका, अब दिल का सफ़र होना चाहिए : मुज़फ़्फ़र अली
19. हम अपने बाबा के साथ
20. सरकारें बिलकुल नहीं चाहतीं कि लोग पढ़ें
21. मेरी कविता के दिन !
23. चंचल बी एच यू के बहाने कुछ फ़ेसबुकिया गुफ़्तगू
24. भारत रत्न यानी बेशर्मी के अपने-अपने अंदाज़ !
24. भारत रत्न यानी बेशर्मी के अपने-अपने अंदाज़ !
25. तो अब नामवर सिंह को कोई भी अगवा कर सकता है, किसी छोटे बच्चे की तरह टाफी दे कर
26. ग्यारह पारिवारिक कहानियां
27. सात प्रेम कहानियां
28. सिनेमा-सिनेमा
29. तो धर्मवीर भारती भी चंचल बी एच यू से गप्प लड़ाते थे !
30. अपमान समारोह, समीक्षा के अपमान की नदी और लफ़्फ़ाज़ों की साहित्यिक संसद
31. सहाराश्री की गिरफ़्तारी के बहाने कुछ सवाल
32. सपने में सिनेमा का पाठ साहित्योत्सव, 2014 में
33. कथा सेबी के काले दूध और सोनिया-मन मोहन-चिदंबरम के रचे लाक्षागृह की !
34.चुनावी बयार में बहते कुछ फ़ेसबुकिया नोट्स
35.तो दलित हितों के लिए वह राष्ट्र के खिलाफ़ भी जाएंगे
36. तो दंभी कालीचरन स्नेही दलित आतंकवादी हैं ?
37. ऐ दिले नादां ! आरजू क्या है, जुस्तजू क्या है !
38. फ़ेसबुक पर जातीय और धार्मिक जहर फैलाने वाले ऊर्फ़ नकली चेहरा सामने आए ,असली सूरत छुपी रहे !
39.कुलदीप कुमार कंबोज तो कहते हैं कि वह असली हैं पर ज़रा धमकी भरे अंदाज़ में !
40. आखिर कौन है वह जो सहारा के लाखों साथियों की रोटी से खेल रहा है?
41.चुनावी रंग में रंगे कुछ फ़ेसबुकिया नोट्स
42. बनारस में सेक्यूलरिज्म का नया पड़ाव हैरत में डालने वाला है !
43. दंगे जैसे संवेदनशील मसले पर बेशर्मी की यह राजनीति हम कब तक बर्दाश्त करते रहेंगे?
44. तो क्या स्त्री इस पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक बुनावट में कभी स्वतंत्र हो भी सकती है?
45. खुशबू में डूबे तर-बतर, बेतरतीब उन दिनों की याद और इन दिनों की खुशबू का सच !
46. जनादेश को तानाशाही का रंग देना फ़ासिज्म है
47. तो क्या मुलायम सिंह यादव मुख्य मंत्री बनने जा रहे हैं ?
48.नीतीश कुमार ने इस्तीफ़ा क्या दिया तमाम मुख्य मंत्रियों की शामत आ गई
49. सेक्यूलरिज्म के नाम पर लफ़्फ़ाजी हांकने वाले घुसपैठिए राजनीति ही नहीं, साहित्य में भी बहुतेरे हैं
50. केजरीवाल ने दिल्ली प्रदेश सरकार छोड़ कर ही नहीं बल्कि सरकार बना कर ही गलती की थी
51.तो क्या नरेंद्र मोदी ह्यूमन मैनेजमेंट भी जानते हैं?
52. तो क्या वायदा कारोबार पर लगाम लगा कर मंहगाई काबू करेगी मोदी सरकार ?
53. नारायण दत्त जी के निधन की खबर मिली तो मन बहुत उदास हो गया
56. अखिलेश यादव एक असफल ही नहीं निकम्मे प्रशासक बन कर उपस्थित हुए हैं
57. अगर फेसबुक न होता तो जाने कितने पागलखाने खोलने पड़ गए होते
58. अपनी तारीफ़ सुन कर लजा जाने वाले हिमांशु जोशी
59. क्यों कि मैं उन्हें देवता नहीं बना सकता !
60. शिवमूर्ति के कंधे पर बैठ कर एक अपठनीय रचना का बचकाना बचाव
61. आए दिन निर्भया लेकिन गुस्सा अब सड़क पर नहीं दिखता, नहीं फूटता , लगता है लोग नपुंसक हो गए हैं
62. अगर दलालों और भडुओं को हम मीडिया के हीरो या नायक कह कर उन की पूजा करेंगे तो इस मीडिया समाज का क्या होगा भला ?
63. सहाराश्री के सुख और स्वार्थ का संजाल उन का परिवार
64. अनन्यतम शो मैन सहाराश्री
65. मैं धन से निर्धन हूं पर मन का राजा हूं तुम जितना चाहो प्यार तुम्हें दे सकता हूं !
66. अच्छी कविता और संकोच के सागर में समाया इन मित्रों का कविता पाठ
67.शोहरत के लिए इतनी बेताबी क्यों है , उन के हाथ में तुम्हारे देह की चाभी क्यों है ?
68. सहाराश्री कहीं भी रहें , दिल तो गोरखपुर में
69. ये खत तो जला डालिए , तहरीर तो जलती ही नहीं !
70. स्वच्छकार का झाडू लिए फोटुओं में मंत्रियों ,नेताओं और अफसरों की धूर्त छवि छुपाए नहीं छुप रही
71. कांग्रेस मुक्त भारत की दहाङ लगाने वाले नरेंद्र मोदी आहिस्ता-आहिस्ता उसी रहगुज़र के आशिक हो चले
72. इन लोगों को एक बड़ी खुशफहमी यह भी है कि यह लोग समाज में जहर बो कर बहुत बड़ी क्रांति कर रहे हैं
73. न्यायपालिका पर लालू, मायावती, ए राजा, जयललिता को विश्वास नहीं होगा तो क्या हम को -आप को होगा ?
74. राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे के तुलनात्मक अध्ययन में कौन बीस पड़ेगा ?
75. उत्सव पांडेय को बेस्ट आऊटफिट ब्वायज और बेस्ट वाक ब्वायज चुना गया
76. लोकतंत्र क्या ऐसे ही चलेगा या कायम रहेगा , इस बेरीढ़ और बेजुबान प्रेस के भरोसे ?
77. समस्याओं में उलझा तो, मगर खोया नहीं मैं ये सच है दर्द गहरा है, मगर रोया नहीं मैं
78. देश के मुसलमान जाने कब तक अपने को ज़िम्मेदार नागरिक नहीं सिर्फ़ और सिर्फ़ मुसलमान समझते रहेंगे
79. शैलेंद्र सागर की आत्मीयता में डूबी एक शाम
80. हिंदी संस्थान के इस पुरस्कार वितरण में धांधलेबाजी की सी बी आई जांच भी ज़रूर होनी चाहिए
81. केजरीवाल और आप पार्टी नंबर दो पर ही नहीं , काठ की हांडी बन कांग्रेस की बराबरी पर आने को बेताब
82. हिंदी संस्थान पुरस्कार जनहित याचिकाकर्ता की दिलचस्पी का विषय, नूतन ठाकुर जी सुन रही हैं क्या ?
83. सामाजिक समता के नाम पर जहर घोलना और उस की फसल काटना कोई नई बीमारी नहीं है
84. हिंदी लेखक एक कायर कौम है और हिंदी का प्रकाशक एक बेईमान कौम
85. भारतीय जीवन में शराब और ज्योतिष एक मानक हैं
86. तो बाबू रवीश कुमार इतना स्मार्ट बनना और अहंकार में सब को अपमानित करना इतनी गुड बात नहीं है
87. अपनी माटी में संगम सृजन सम्मान
88. मुस्लिम और इसाई समाज : वोट बैंक की जायदाद होने का गुमान इन्हें बीमार बनने में और मदद करता है
89. सरस कवि गोष्ठी
90. चंदन गीतों की खशबू में डूबी एक शाम
91. धृतराष्ट्र आंखों से महरूम थे, मगर यह न समझो कि मासूम थे
92. खूने शहीद से भी है कीमत में कुछ सिवा फ़नकार की कलम की स्याही की एक बूंद
93. आप इतने मासूम हैं कि मुस्लिम आतंकवादी शब्द समझ में नहीं आ रहा
94. भारत को आतंक मुक्त करने के लिए युद्ध का अपराध अब कतई ज़रुरी कार्रवाई हो गई लगती है
95. चुनावी बिसात पर देश अब बाक़ायदा हिंदू और मुस्लिम में बंट गया
96. तो भाजपा भी इस कड़कड़ाती ठंड में कच्छा पहन कर कश्मीर में निकल पड़ी है
97. तो हिंदी का पाठक इतना मूर्ख नहीं है कि पचास रुपए की चीज़ पांच सौ रुपए में खरीदे !
98. स्त्रियों की पैरवी और प्रेम में डूबी कविताएं
99. हाय रे यह इस्लामी आतंकवाद , मनुष्यता से आख़िर इतनी दुश्मनी क्यों है तुम्हारी ?
100. यह टिप्पणी बहुत लाऊड है हरामजादे कविता की तरह , अकबर भाजपा में नमाज अदा करने नहीं गए
101. नरेश सक्सेना का सतहत्तरवां जन्म-दिन और विवादों और मतभेदों की तुर्शी
102. लेकिन जीतन राम मांझी कतई किसी भी सूरत में नीतीश के भरत नहीं हैं
103. राजनीति में ललकार और चुनौती की भाषा से आदमी तो आदमी पार्टी की पार्टी मटियामेट हो जाती है
104. दिल्ली विधान सभा में अरविंद केजरीवाल का मुकाबला किरन बेदी से हरगिज़ नहीं है , नरेंद्र मोदी से है
105. इन पुस्तक मेलों के मायने क्या हैं !
106. जवानी , राजस्थान और उस की मस्ती का जादू
107. आप मत मानिए , मंदिर , गिरिजा , मजार , मस्जिद, गुरुद्वारा पर बंद कीजिए यह जहरीली, हिंसक जुबान !
108. मुद्राराक्षस को पांच लाख रुपए की मदद करने की सिफारिश उदय प्रताप सिंह ने मुख्य मंत्री से की
109 . पाश , मान बहादुर सिंह और सफ़दर हाशमी की हत्या पर कितने लेखकों ने साहित्य अकादमी लौटाया था ?
110.धर्म की धज्जियां उड़ाने के बाद कालीचरण स्नेही का घुटने टेक , शीश नवा कर पुरी मंदिर में दर्शन करना !
111. क़ानूनी दांव-पेंच से जुड़े दो कहानी संग्रह दफ़ा 604 और मिस्टर क़ानूनवालाज चैंबर
112. न्याय बिकता है , बोलो खरीदोगे ?
113. मैं आऊंगा चोटों के निशान पहने कभी
114. लेकिन कंपनी मुझ को जोग्य मानती है !
115. अब तो दुनिया को रमजान के महीने और जुमे की नमाज़ से डर लगने लगा है
116. फर्जी प्रोफाइल वाले यह डाक्टर प्रमोद पाहवा असल में एक कठमुल्ले हैं
117. काश कि उत्तर प्रदेश के यादव लैंड या दलित लैंड बनने पर भी लेखक मित्रों ने मुंह खोला होता
118 . चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव परिणामों को रद्द किया
119 , यह तो सही है कि आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में दंगे नहीं होने देंगे
120 . यह सादगी और ईमानदारी भरी परंपरा काश कि सभी राजनीतिज्ञ अपनाते
121. तो क्या आई पी एस अफसर चारु निगम शराब माफ़िया के ट्रैप में आ गईं
122 . इस सिस्टम में न्याय की मृगतृष्णा में इसी लिए किसी को नहीं पड़ना चाहिए
123 . सेक्यूलर चोले में लीगी पाठ पढ़ते-पढ़ाते लोग
124. बेटी दिव्यांशी पांडेय को तीन साल के लिए आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी , केनबरा की स्कालरशिप
125. गिरिजा रैना का पोस्टमार्टम
126. सब अयोध्या चले गये
127 . ताहिर हुसैन के वर्क फ्राम होम का विकल्प
128 . दो कामरेड मित्रों को अलग-अलग जवाब के पहलू
26. ग्यारह पारिवारिक कहानियां
27. सात प्रेम कहानियां
28. सिनेमा-सिनेमा
29. तो धर्मवीर भारती भी चंचल बी एच यू से गप्प लड़ाते थे !
30. अपमान समारोह, समीक्षा के अपमान की नदी और लफ़्फ़ाज़ों की साहित्यिक संसद
31. सहाराश्री की गिरफ़्तारी के बहाने कुछ सवाल
32. सपने में सिनेमा का पाठ साहित्योत्सव, 2014 में
33. कथा सेबी के काले दूध और सोनिया-मन मोहन-चिदंबरम के रचे लाक्षागृह की !
34.चुनावी बयार में बहते कुछ फ़ेसबुकिया नोट्स
35.तो दलित हितों के लिए वह राष्ट्र के खिलाफ़ भी जाएंगे
36. तो दंभी कालीचरन स्नेही दलित आतंकवादी हैं ?
37. ऐ दिले नादां ! आरजू क्या है, जुस्तजू क्या है !
38. फ़ेसबुक पर जातीय और धार्मिक जहर फैलाने वाले ऊर्फ़ नकली चेहरा सामने आए ,असली सूरत छुपी रहे !
39.कुलदीप कुमार कंबोज तो कहते हैं कि वह असली हैं पर ज़रा धमकी भरे अंदाज़ में !
40. आखिर कौन है वह जो सहारा के लाखों साथियों की रोटी से खेल रहा है?
41.चुनावी रंग में रंगे कुछ फ़ेसबुकिया नोट्स
42. बनारस में सेक्यूलरिज्म का नया पड़ाव हैरत में डालने वाला है !
43. दंगे जैसे संवेदनशील मसले पर बेशर्मी की यह राजनीति हम कब तक बर्दाश्त करते रहेंगे?
44. तो क्या स्त्री इस पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक बुनावट में कभी स्वतंत्र हो भी सकती है?
45. खुशबू में डूबे तर-बतर, बेतरतीब उन दिनों की याद और इन दिनों की खुशबू का सच !
46. जनादेश को तानाशाही का रंग देना फ़ासिज्म है
47. तो क्या मुलायम सिंह यादव मुख्य मंत्री बनने जा रहे हैं ?
48.नीतीश कुमार ने इस्तीफ़ा क्या दिया तमाम मुख्य मंत्रियों की शामत आ गई
49. सेक्यूलरिज्म के नाम पर लफ़्फ़ाजी हांकने वाले घुसपैठिए राजनीति ही नहीं, साहित्य में भी बहुतेरे हैं
50. केजरीवाल ने दिल्ली प्रदेश सरकार छोड़ कर ही नहीं बल्कि सरकार बना कर ही गलती की थी
51.तो क्या नरेंद्र मोदी ह्यूमन मैनेजमेंट भी जानते हैं?
52. तो क्या वायदा कारोबार पर लगाम लगा कर मंहगाई काबू करेगी मोदी सरकार ?
53. नारायण दत्त जी के निधन की खबर मिली तो मन बहुत उदास हो गया
56. अखिलेश यादव एक असफल ही नहीं निकम्मे प्रशासक बन कर उपस्थित हुए हैं
57. अगर फेसबुक न होता तो जाने कितने पागलखाने खोलने पड़ गए होते
58. अपनी तारीफ़ सुन कर लजा जाने वाले हिमांशु जोशी
59. क्यों कि मैं उन्हें देवता नहीं बना सकता !
60. शिवमूर्ति के कंधे पर बैठ कर एक अपठनीय रचना का बचकाना बचाव
61. आए दिन निर्भया लेकिन गुस्सा अब सड़क पर नहीं दिखता, नहीं फूटता , लगता है लोग नपुंसक हो गए हैं
62. अगर दलालों और भडुओं को हम मीडिया के हीरो या नायक कह कर उन की पूजा करेंगे तो इस मीडिया समाज का क्या होगा भला ?
63. सहाराश्री के सुख और स्वार्थ का संजाल उन का परिवार
64. अनन्यतम शो मैन सहाराश्री
65. मैं धन से निर्धन हूं पर मन का राजा हूं तुम जितना चाहो प्यार तुम्हें दे सकता हूं !
66. अच्छी कविता और संकोच के सागर में समाया इन मित्रों का कविता पाठ
67.शोहरत के लिए इतनी बेताबी क्यों है , उन के हाथ में तुम्हारे देह की चाभी क्यों है ?
68. सहाराश्री कहीं भी रहें , दिल तो गोरखपुर में
69. ये खत तो जला डालिए , तहरीर तो जलती ही नहीं !
70. स्वच्छकार का झाडू लिए फोटुओं में मंत्रियों ,नेताओं और अफसरों की धूर्त छवि छुपाए नहीं छुप रही
71. कांग्रेस मुक्त भारत की दहाङ लगाने वाले नरेंद्र मोदी आहिस्ता-आहिस्ता उसी रहगुज़र के आशिक हो चले
72. इन लोगों को एक बड़ी खुशफहमी यह भी है कि यह लोग समाज में जहर बो कर बहुत बड़ी क्रांति कर रहे हैं
73. न्यायपालिका पर लालू, मायावती, ए राजा, जयललिता को विश्वास नहीं होगा तो क्या हम को -आप को होगा ?
74. राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे के तुलनात्मक अध्ययन में कौन बीस पड़ेगा ?
75. उत्सव पांडेय को बेस्ट आऊटफिट ब्वायज और बेस्ट वाक ब्वायज चुना गया
76. लोकतंत्र क्या ऐसे ही चलेगा या कायम रहेगा , इस बेरीढ़ और बेजुबान प्रेस के भरोसे ?
77. समस्याओं में उलझा तो, मगर खोया नहीं मैं ये सच है दर्द गहरा है, मगर रोया नहीं मैं
78. देश के मुसलमान जाने कब तक अपने को ज़िम्मेदार नागरिक नहीं सिर्फ़ और सिर्फ़ मुसलमान समझते रहेंगे
79. शैलेंद्र सागर की आत्मीयता में डूबी एक शाम
80. हिंदी संस्थान के इस पुरस्कार वितरण में धांधलेबाजी की सी बी आई जांच भी ज़रूर होनी चाहिए
81. केजरीवाल और आप पार्टी नंबर दो पर ही नहीं , काठ की हांडी बन कांग्रेस की बराबरी पर आने को बेताब
82. हिंदी संस्थान पुरस्कार जनहित याचिकाकर्ता की दिलचस्पी का विषय, नूतन ठाकुर जी सुन रही हैं क्या ?
83. सामाजिक समता के नाम पर जहर घोलना और उस की फसल काटना कोई नई बीमारी नहीं है
84. हिंदी लेखक एक कायर कौम है और हिंदी का प्रकाशक एक बेईमान कौम
85. भारतीय जीवन में शराब और ज्योतिष एक मानक हैं
86. तो बाबू रवीश कुमार इतना स्मार्ट बनना और अहंकार में सब को अपमानित करना इतनी गुड बात नहीं है
87. अपनी माटी में संगम सृजन सम्मान
88. मुस्लिम और इसाई समाज : वोट बैंक की जायदाद होने का गुमान इन्हें बीमार बनने में और मदद करता है
89. सरस कवि गोष्ठी
90. चंदन गीतों की खशबू में डूबी एक शाम
91. धृतराष्ट्र आंखों से महरूम थे, मगर यह न समझो कि मासूम थे
92. खूने शहीद से भी है कीमत में कुछ सिवा फ़नकार की कलम की स्याही की एक बूंद
93. आप इतने मासूम हैं कि मुस्लिम आतंकवादी शब्द समझ में नहीं आ रहा
94. भारत को आतंक मुक्त करने के लिए युद्ध का अपराध अब कतई ज़रुरी कार्रवाई हो गई लगती है
95. चुनावी बिसात पर देश अब बाक़ायदा हिंदू और मुस्लिम में बंट गया
96. तो भाजपा भी इस कड़कड़ाती ठंड में कच्छा पहन कर कश्मीर में निकल पड़ी है
97. तो हिंदी का पाठक इतना मूर्ख नहीं है कि पचास रुपए की चीज़ पांच सौ रुपए में खरीदे !
98. स्त्रियों की पैरवी और प्रेम में डूबी कविताएं
99. हाय रे यह इस्लामी आतंकवाद , मनुष्यता से आख़िर इतनी दुश्मनी क्यों है तुम्हारी ?
100. यह टिप्पणी बहुत लाऊड है हरामजादे कविता की तरह , अकबर भाजपा में नमाज अदा करने नहीं गए
101. नरेश सक्सेना का सतहत्तरवां जन्म-दिन और विवादों और मतभेदों की तुर्शी
102. लेकिन जीतन राम मांझी कतई किसी भी सूरत में नीतीश के भरत नहीं हैं
103. राजनीति में ललकार और चुनौती की भाषा से आदमी तो आदमी पार्टी की पार्टी मटियामेट हो जाती है
104. दिल्ली विधान सभा में अरविंद केजरीवाल का मुकाबला किरन बेदी से हरगिज़ नहीं है , नरेंद्र मोदी से है
105. इन पुस्तक मेलों के मायने क्या हैं !
106. जवानी , राजस्थान और उस की मस्ती का जादू
107. आप मत मानिए , मंदिर , गिरिजा , मजार , मस्जिद, गुरुद्वारा पर बंद कीजिए यह जहरीली, हिंसक जुबान !
108. मुद्राराक्षस को पांच लाख रुपए की मदद करने की सिफारिश उदय प्रताप सिंह ने मुख्य मंत्री से की
109 . पाश , मान बहादुर सिंह और सफ़दर हाशमी की हत्या पर कितने लेखकों ने साहित्य अकादमी लौटाया था ?
110.धर्म की धज्जियां उड़ाने के बाद कालीचरण स्नेही का घुटने टेक , शीश नवा कर पुरी मंदिर में दर्शन करना !
111. क़ानूनी दांव-पेंच से जुड़े दो कहानी संग्रह दफ़ा 604 और मिस्टर क़ानूनवालाज चैंबर
112. न्याय बिकता है , बोलो खरीदोगे ?
113. मैं आऊंगा चोटों के निशान पहने कभी
114. लेकिन कंपनी मुझ को जोग्य मानती है !
115. अब तो दुनिया को रमजान के महीने और जुमे की नमाज़ से डर लगने लगा है
116. फर्जी प्रोफाइल वाले यह डाक्टर प्रमोद पाहवा असल में एक कठमुल्ले हैं
117. काश कि उत्तर प्रदेश के यादव लैंड या दलित लैंड बनने पर भी लेखक मित्रों ने मुंह खोला होता
118 . चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव परिणामों को रद्द किया
119 , यह तो सही है कि आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में दंगे नहीं होने देंगे
120 . यह सादगी और ईमानदारी भरी परंपरा काश कि सभी राजनीतिज्ञ अपनाते
121. तो क्या आई पी एस अफसर चारु निगम शराब माफ़िया के ट्रैप में आ गईं
122 . इस सिस्टम में न्याय की मृगतृष्णा में इसी लिए किसी को नहीं पड़ना चाहिए
123 . सेक्यूलर चोले में लीगी पाठ पढ़ते-पढ़ाते लोग
124. बेटी दिव्यांशी पांडेय को तीन साल के लिए आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी , केनबरा की स्कालरशिप
125. गिरिजा रैना का पोस्टमार्टम
126. सब अयोध्या चले गये
127 . ताहिर हुसैन के वर्क फ्राम होम का विकल्प
128 . दो कामरेड मित्रों को अलग-अलग जवाब के पहलू
131 . इस जहरीले श्वान को देखिए