1. हिंदी फ़िल्मों की खाद है, खनक और संजीवनी भी है खलनायकी
2. नूतन के नयनों की आग अब नहीं दहकती
3. हिंदी फ़िल्मों में रोमांस का रस
4. रेखा का रंग ही कुछ और है
5. अमिताभ बच्चन की सफलता और विनम्रता की मार्केटिंग
6. हेमा मालिनी का गाल और लालू की सडक
7. दीप्ति नवल के अभिनय की दमक और उन के गुम हो जाने की त्रासदी की तड़क
8. भूलने के लिए बने ही नहीं संजीव कुमार
9. शोखी का पर्याय एक थीं दिव्या भारती
10. कहां मिलेगी अब प्यार की वह भाषा
11. गैंग्स आफ़ वासेपुर : एक बगल में चांद था, एक बगल में रोटियां की जगह फ़िल्म तेरी कह के लूंगा में निपट गई
12. कई बार यूं ही देखा है, ये जो मन की सीमा रेखा है
13. राज कपूर मतलब प्यार की ठेंठ परिभाषा
14. प्राण का पिता रूप और उन के चंदन अभिनय की खुशबू
15. प्रतिभा सिनहा अपने को बदलने वाली नहीं
16. इन कुम्हलाए-बिलाए फ़िल्मकारों का किया क्या जाए?
15. प्रतिभा सिनहा अपने को बदलने वाली नहीं
16. इन कुम्हलाए-बिलाए फ़िल्मकारों का किया क्या जाए?
17. पाथेर पांचाली के 50 बरस की प्रासंगिकता
18. बांबे: प्यार और दंगे का कंट्रास्ट भरा कोलाज
19. द्रोहकाल में भटक गए हैं गोविंद निहलानी
20. हिंदी फ़िल्मों में पत्रकारिता का दारिद्रय
21.देशभक्ति फ़िल्मों की दमक में दाग़ बहुत हैं
22. राजकपूर की गंगा कितनी मैली?
23. छटपटाहट, बेकली और बेचैनी भरे अभिनय और सौंदर्य की नदी सुचित्रा सेन
24. एक औरत का अकेले हनीमून पर जाना !
25. मस्त काशी के मरते जाने का शोक गीत मोहल्ला अस्सी
26. अलीगढ़ अकेलेपन की आग में भीगी विद्रोह की नदी
27. विश्वासघात के आंच की चांदनी में सिसकती सुंदरता
28. संजय दत्त की बायोपिक नहीं , संजय दत्त का चेहरा साफ़ करने के लिए बनाई गई है संजू
28. संजय दत्त की बायोपिक नहीं , संजय दत्त का चेहरा साफ़ करने के लिए बनाई गई है संजू