फ़ोटो : बासव चटर्जी |
ग़ज़ल
सब कुछ आन लाइन है आन लाइन लव की भी दरकार है उसे
फ़ेसबुक पर वह प्यार करती है सब कुछ यहीं स्वीकार है उसे
असल दुनिया तो जालिम है बंधन हैं बहुत सारे वह जी नहीं पाती
आन लाइन के परदे में सही मुहब्बत की जरुरत लगातार है उसे
पल भर में भूल जाती है वह घर परिवार और पिता पति बच्चे सब
इस काल्पनिक दुनिया के अपने प्यार पर बहुत अहंकार है उसे
लव यू सुन कर झूम जाती है जैसे भरी बरखा और तेज़ हवा में पेड़
किसी तरह भी पहुंच जाऊं उस के सपने में बहुत इंतज़ार है उसे
पृथ्वी पर वह जलती बहुत है आकाश की तमन्ना में रहती दिन रात
लड़ सकती है दुनिया में किसी से प्यार का ऐसा अधिकार है उसे
प्यार की तलब में तड़पती गौरैया की तरह वह आकाश नाप लेती है
समाज के दोगलेपन का धरती पर बहुत अच्छी तरह एहसास है उसे
दमित इच्छाओं और कामनाओं की कई सारी गठरी हैं उस के पास
फ़ेसबुक की नदी में गठरी सारी बहा देने का बढ़िया अभ्यास है उसे
दमित इच्छाओं और कामनाओं की कई सारी गठरी हैं उस के पास
फ़ेसबुक की नदी में गठरी सारी बहा देने का बढ़िया अभ्यास है उसे
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