फ़ोटो : सुंदर अय्यर |
ग़ज़ल / दयानंद पांडेय
देशद्रोह कहां है यह तो अभिव्यक्ति की आजादी है ऐसा कहते हैं
भारत तेरे टुकड़े होंगे , इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह नारे लगते हैं
वह अब जब ख़ुद ही हार गए हैं तो अपनी परछाईं से लड़ते हैं
जब बताने को कुछ नहीं बचा तो देश की तरुणाई से लड़ते हैं
देशभक्त, गोसेवक , हिंदू कह कर जब-तब उपहास उड़ाते रहते हैं
जब तर्क नहीं बचता उन के पास तो फिर इस मजाक से लड़ते हैं
पाकिस्तान ज़िंदाबाद उन का है हिंदुस्तान ज़िंदाबाद इन का है
अपना-अपना माईंड सेट वोट बैंक के आगे नतमस्तक रहते हैं
देश रहे या भाड़ में जाए वोट की तिजोरी और यह अहंकार बना रहे
मुट्ठी भर वोट की खातिर बहुसंख्यक से सर्वदा छल करते रहते हैं
गोडसे हत्यारा गांधी का मनुष्यता को इंकार कभी कब रहा भला
अफजल इन का दुलरुआ बच्चा है जैसे इस अधिकार से लड़ते हैं
[ 16 फ़रवरी , 2016 ]
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