परिचय



दयानंद पांडेय

कोई 13  उपन्यास , 13  कहानी-संग्रह समेत कविता , ग़ज़ल , संस्मरण , लेख , इंटरव्यू , सिनेमा सहित दयानंद पांडेय की विभिन्न विधाओं में 75   पुस्तकें प्रकाशित हैं। अपनी कहानियों और उपन्यासों के मार्फ़त लगातार चर्चा में रहने वाले दयानंद पांडेय का जन्म 30 जनवरी, 1958 को गोरखपुर ज़िले के एक गांव बैदौली में हुआ। हिंदी में एम.ए. करने के पहले ही से वह पत्रकारिता में आ गए। वर्ष 1978 से पत्रकारिता। सर्वोत्तम रीडर्स डाइजेस्ट , जनसत्ता , नई दिल्ली , स्वतंत्र भारत , नवभारत टाइम्स , राष्ट्रीय समाचार फीचर्स नेटवर्क तथा राष्ट्रीय सहारा लखनऊ और दिल्ली में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे दयानंद पांडेय के उपन्यास , कहानियों , कविताओं और ग़ज़लों का विभिन्न भाषाओँ में अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है। लोक कवि अब गाते नहीं का भोजपुरी अनुवाद डा. ओम प्रकाश सिंह द्वारा प्रकाशित। बड़की दी का यक्ष प्रश्न , सुमि का स्पेस का अंगरेजी में, बर्फ़ में फंसी मछली का पंजाबी में और मन्ना जल्दी आना का उर्दू में अनुवाद प्रकाशित। कुछ कविताओं , ग़ज़लों और कहानियों का प्रिया जलतारे द्वारा मराठी में अनुवाद ।

सम्मान 
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा प्रतिष्ठित सम्मान क्रमशः लोहिया साहित्य सम्मान और साहित्य भूषण । उत्तर प्रदेश कर्मचारी संस्थान द्वारा साहित्य गौरव । लोक कवि अब गाते नहीं उपन्यास पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रेमचंद सम्मान , कहानी संग्रह ‘एक जीनियस की विवादास्पद मौत’ पर यशपाल सम्मान तथा फ़ेसबुक में फंसे चेहरे पर सर्जना सम्मान अन्य अनेक सम्मान मिल चुके हैं ।



प्रकाशित पुस्तकें 

उपन्यास 
विपश्यना में प्रेम , दयानंद पांडेय के तीन चर्चित उपन्यास , एक औरत की जेल डायरी , बांसगांव की मुनमुन, वे जो हारे हुए , हारमोनियम के हज़ार टुकड़े , लोक कवि अब गाते नहीं , अपने-अपने युद्ध , मैत्रेयी की मुश्किलें , मन्ना जल्दी आना , मुजरिम चांद , दरकते दरवाज़े , जाने-अनजाने पुल , लोक कवि अब गाते नहीं भोजपुरी में।
 
कहानी-संग्रह 
तुम्हारे बिना , प्रतिनिधि कहानियां , दयानंद पांडेय की 21 कहानियां , ग्यारह प्रतिनिधि कहानियां , व्यवस्था पर चोट करती सात कहानियां , ग्यारह पारिवारिक कहानियां , सात प्रेम कहानियां , बर्फ़ में फंसी मछली , सुमि का स्पेस , एक जीनियस की विवादास्पद मौत , सुंदर लड़कियों वाला शहर , बड़की दी का यक्ष प्रश्न , संवाद 

कविता-संग्रह 
प्रिया का जनकपुर , यह घूमने वाली औरतें जानती हैं 

ग़ज़ल-संग्रह
मन यायावर है , मुहब्बत का जहांपनाह 

संस्मरण 
नीलकंठ विषपायी अम्मा , दीप्तमान द्वीप में सागर से रोमांस , हम पत्ता, तुम ओस , यादों का मधुबन 

सिनेमा, साहित्य, संगीत और कला क्षेत्र के लोगों के इंटरव्यू
कुछ मुलाक़ातें , कुछ बातें

लेख-संग्रह
पैसा , औरत और अदालतों के फ़ैसले ,  , रचनाओं का रिसिया जाना , वैचारिकी से पलटी , मीडिया तो अब काले धन की गोद में 

राजनीतिक लेखों का संग्रह
एक जनांदोलन के गर्भपात की त्रासदी

फ़िल्मी लेख और इंटरव्यू 
सिनेमा-सिनेमा  

बच्चों की कहानियां
सूरज का शिकारी  

संपादन 
प्रेमचंद व्यक्तित्व और रचना दृष्टि तथा पॉलिन कोलर की 'आई वाज़ हिटलर्स मेड' के हिंदी अनुवाद 'मैं हिटलर की दासी थी' का संपादन प्रकाशित

विशेष 
कथा-लखनऊ के 10 खंड तथा कथा-गोरखपुर के 6 खंड का संपादन 

अनुवाद 
 सुनील गावस्कर की प्रसिद्ध किताब ‘माई आइडल्स’ का हिंदी अनुवाद ‘मेरे प्रिय खिलाड़ी’ 






अन्य प्रकाशन :

दयानंद पांडेय का रचना संसार  संपादक : अशोक मिश्र
दयानंद पांडेय का कथा संसार लेखिका - शन्नो अग्रवाल


सरोकारनामा ब्लाग
sarokarnama.blogspot.com


संपर्क :

1 -

2 / 276 विराम खंड , गोमती नगर , लखनऊ - 226010 

तथा 

2 -

टावर - 1 / 201 श्री राधा स्काई गार्डेंस 
सेक्टर 16 बी , ग्रेटर नोएडा वेस्ट - 201306 

 मोबाइल  9335233424

dayanand.pandey@yahoo.com





7 comments:

  1. आदरणीय पाण्डेय जी , प्रणाम
    अभी - अभी आप की रचना " मोदी ने परित्यकता बनाया, लोगों ने द्रौपदी ! " पढ़ रहा था , इसके लिए आप को साधुवाद .
    मेरी इच्छा है कि इस रचना को हिंदी मासिक पत्रिका " "दिव्यता "के मई अंक का आमुख कथा बनों .
    अगर आप अनुमति दें तो बड़ी प्रसंता होगी .
    फ़ोन पर संपर्क कर रहा हूँ ,हो नहीं प् रहा है , फिर भी प्रयास जारी है .
    आप का
    प्रदीप श्रीवास्तव
    editor.divyata@gmail.com
    cell 8604408528

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  2. स्तुत्य साहित्यकार

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  3. बहुत बहुत सुंदर कथानक रचते हैं l

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  4. Congratulations..

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  5. प्रणाम,आपके फेसबुक अकाउंट से जुड़ा एक पाठक

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  6. एक वास्तिवकता से परिचित करवाते लेखक राजनीतिक परिदृश्य को उभारते लेखक और जनता की सत्यता वास्तिविकता से लबरेज जीवन की व्याख्या करते हुए लेखन करना हम सबको तथ्यपरक पढ़ाना ये सब सर जी ने बखूबी अपनी लेखन के माध्यम से बताया है सर जी को एक कथन में बंधना मुश्किल है । नमन है सर जी आपको को भी आपके लेखनी को भी 🙏🙏🙏

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