1. प्रेम, भक्ति और मुक्ति : हृदयनाथ मंगेशकर
2. नया ‘लेफ़्ट’ और पुराना ‘राइट’ दोनों एक ही जगह हैं: मनोहर श्याम जोशी
3. नाटक पॉपुलर होना बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात है गर्मी पैदा करना: ब॰ व॰ कारंत
4. मैंने प्यार किया का मिथ तोड़ देगी कागज़ की कश्ती : भाग्यश्री
5. ‘फिगर’ के लिए बीस बरस तक रोटी नहीं खाई जितेंद्र ने
6. प्रेम व अकेलापन रचनात्मकता का एक ज़रूरी तत्व: निर्मल वर्मा
7. मेरे साथ बहुत अन्याय हुआ है: आशा भोंसले
8. पर पृथ्वी पर दुबारा जन्म नहीं लेना चाहती : लता मंगेशकर
9. पहले पति योगेश और रवींद्र जैन की यातना और शोषण नहीं भूलीं हेमलता
10. हिंदी फ़िल्में पोएटिक जस्टिस देती हैं: अमिताभ बच्चन
11. उमराव जान में जो नवाब सुल्तान अली का सुर होना था, नहीं हो पाया मेरा : फ़ारूख शेख
12. हां, मैं घटिया औरतों के लिए गाती हूं: ऊषा उत्थुप
13. देवदास होना कोई हंसी खेल नहीं : दिलीप कुमार
14. ज़रा सी लोकप्रियता और पैसे के लिए मैं कैसे अपनी थाती गवां दूं : शारदा सिनहा
15. भोजपुरी फ़िल्मों के साथ एक-दो दिक्कत होती तो चल जाता : राकेश पांडेय
16. धन की दुश्मनी की प्रेरणा प्रेमचंद से लिखवाती थी : जैनेंद्र कुमार
17. जब सब दलाल हो जाएंगे तो प्रिंट मीडिया का सत्यानाश हो जाएगा : विनोद मेहता
18. मेरे लिए लिखना, कबाड़ खाने से साइकिल कसने की तरह है : शिवमूर्ति
19. पहले की बीवियों के साथ मैं सेकेंड्री हो कर रह गया था : मुज़फ़्फ़र अली
20. पौराणिक संविधान औरतों की गुलामी का संविधान है: मैत्रेयी पुष्पा
21. उमराव जान फ़िल्म का संगीत खैय्याम का नहीं, मधु रानी का है : पीनाज मसानी
22. आलोचक किसी को बड़ा या छोटा नहीं करता : नामवर सिंह
23. निचली शक्तियों की अनदेखी साहित्य की सेहत के लिए ठीक नहीं : राजेंद्र यादव
24. कुनिका के नाते मेरा दांपत्य नहीं बिखरा : कुमार शानू
25. अगर चुटकुले न होते तो हम तबस्सुम न होते
26. कथक में ‘ फ़्यूज़न ’ ठीक नहीं: बिरजू महराज
27. बलेसरा काहें बिकाला
28. सब दुकानदारी में लग गए हैं : अमृतलाल नागर
29. पुरुषों के खिलाफ क्या बोलूं , पुरुष तो गुड्डे हैं : ऊषा गांगुली
30. दुर्योधन मेरे यहां निगेटिव नहीं हैः राम कुमार भ्रमर
31. यह तो पहला पत्थर है: महेश भट्ट
32. संगीत से सरहदों को तोड़ देना चाहते हैं दलेर मेंहदी
33. थिएटर की वापसी सिर्फ़ फ़ेस्टिवल से नहीं होती : मनोहर सिंह
34. जो फ़्यूज़न नहीं करते, कनफ़्यूज़न करते हैं : शंकर महादेवन व लुई बैंक्स से बातचीत
35. नाटक तो हमारे लिए व्यवस्थाजन्य संघर्ष है:मुद्राराक्षस
36. लेखन मेरी आजीविका है: भगवतीचरण वर्मा
37. ऐक्टिंग ही मेरी ज़िंदगी हैः श्रीदेवी
39. प्रोटोकाल के चक्कर में नहीं पड़ताः घरभरन
40. ‘समांतर कोश’ मेरे कंधों पर बेताल की तरह सवार था : अरविंद कुमार41 . नाच सीमाबद्ध होता जा रहा है- चेतना जालान