फ़ोटो : निखिलेश त्रिवेदी |
ग़ज़ल / दयानंद पांडेय
जातीय जहर का एक नया पटाखा छोड़ पीड़ित बन जाएंगे
आप उन्हें देशद्रोह पर घेरेंगे वह वंचित दलित बन जाएंगे
आप उन्हें देशद्रोह पर घेरेंगे वह वंचित दलित बन जाएंगे
वह हार कर भी हारते नहीं सर्वदा जीतने का टोटका जानते हैं
बेशर्मी है सेक्यूलरिज़्म की सेक्यूलर का झुनझुना बन जाएंगे
आप सत्यमेव जयते में बेकार उलझे हैं यह सब अब बेअसर है
वह जहर से भरे पड़े हैं अपने ही कुतर्क के जहर में सन जाएंगे
अजब लोग हैं यह तर्क तथ्य पर गहरी ख़ामोशी और हिकारत
वह देखेंगे ऐसे जैसे आप बड़े मूर्ख हैं ख़ुद होशियार बन जाएंगे
आप क्या कर लेंगे उन का उन की दुनिया अलग है बात जुदा
वह किसी यूनिवर्सिटी में पढ़ते पढ़ाते रहे हैं हिटलर बन जाएंगे
इन पर बात करना वक्त ख़राब करना ख़ुद को नष्ट करना है
कहिए आम वह सुनेंगे इमली और बबूल बता सटक जाएंगे
[ 8 मार्च , 2016 ]
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