फ़ोटो : रघु राय |
ग़ज़ल
जनता की आंख में धूल झोंकने का तरीका बहुत अनोखा है
संसद बजट रुपए का आना जाना सब बहुत बड़ा धोखा है
सारी सहूलियत सारा बंदोबस्त सारे संसाधन अमीरों के लिए हैं
गरीबों के लिए शिक्षा चिकित्सा रोजी रोटी मृगतृष्णा है धोखा है
कभी सुना क्या कि किसी बड़े उद्योगपति ने आत्महत्या की
क्यों कि इन की बेईमानी और लूट का शोरुम बहुत चोखा है
किसान मज़दूर की आत्महत्या तो अब ख़बर भी नहीं बनती
बैंकों की वसूली पीछे पड़ी रहती कर्ज़ माफ़ी का वादा धोखा है
दो रुपए का क़र्ज़ बीस रुपए दे देने पर भी खत्म कहां होता
मरने पर भी छोड़ता नहीं बैंकों का सूद बहुत बड़ा धोखा है
रोड टैक्स टोल टैक्स पेट्रोल पर टैक्स एक ही टैक्स बार-बार
यह टैक्स है कि यह जनता को लूटने का अनगिन झरोखा है
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