फ़ोटो : रघु राय |
ग़ज़ल
गांव का चौकीदार बिचारा दिन-रात रखवाली करता रह जाता है
योजनाओं का पैसा कलक्टर और मुख्यमंत्री मिल कर पी जाता है
कोई प्रधान मंत्री मौनी हो जाता है कोई मौन कोई माउथ कमिश्नर
कोई गांधी कोई लोहिया कोई जे पी सुकरात बन जहर पी जाता है
मनरेगा जवाहर रोजगार योजना गावों को खोखला बनाने की योजनाएं हैं
राजनीतिक भ्रष्टाचार तालाब तो तालाब नदी और समंदर भी पी जाता है
स्कूलों के बच्चों की दलिया बिस्किट अध्यापक अफ़सर तक पहुंचाते
अफ़सर विभागीय मंत्री तक और मुख्यमंत्री रिश्वत पा कर जी जाता है
यह खुला तथ्य है कोई माने न माने हरामखोरी बहुत है प्रशासन में
अस्पताल के बीमारों का दूध तक कलक्टर और कमिश्नर पी जाता है
ठेकेदार कहिए रियल स्टेट कहिए बिल्डर कहिए या कहिए डकैत
सब एक दूसरे के पर्यायवाची हैं और नेता इन का भी ख़ून पी जाता है
पूरा देश बंधक अफ़सर नेता बिल्डर के हाथ डाक्टर इंजीनियर साझेदार
यह धांधली के कबूतर उड़ाते हैं इन का काकस सारा संसाधन पी जाता है
[ 10 फ़रवरी , 2016 ]
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