Friday, 26 February 2016

जिस संसद पर भरोसा था देश को उस संसद में कोई भरोसेमंद नेता नहीं रहा

फ़ोटो : तपन बेरा

ग़ज़ल

कोई दल्ला है कोई अभिनेता है ग़रीबों मजलूमों का अब एक भी नेता नहीं रहा 
जिस संसद पर भरोसा था देश को उस संसद में कोई भरोसेमंद नेता नहीं रहा

भाजपा कांग्रेस कम्युनिस्ट सभी पाखंडी और लुटेरी हैं एजेंडा सब का ही एक है
दर्द किसी के दिल में नहीं है ग़रीब आदमी के लिए किसी पर भरोसा नहीं रहा 

यह संसद में लड़ते हैं सड़क पर भी लड़ते हैं पर सब के सब जनता के दुश्मन हैं 
अकेले में सब मिलते रहते हैं गले लेकिन लोगों को बांटने में कोई पीछे नहीं रहा 

सब के सब दड़बे के अभिनेता लफ्फाजी के आचार्य स्क्रिप्टेड राजनीति में माहिर 
हर कोई दुकानदार है अपनी आईडियालजी पर किसी को कोई भरोसा नहीं रहा

समाज में भी लोग बिखर गए हो गए सभी अजनबी गोया बिजली का नंगा तार
घर में भी अब खाई खुद गई बाप को बेटे पर बेटे को बाप पर भरोसा नहीं रहा 

[ 26 फ़रवरी , 2016 ]

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