Thursday, 17 March 2016

भारत माता की जय बोलने से घबराए लोग जय हिंद बोल रहे हैं


 ग़ज़ल / दयानंद पांडेय

हर आग में हाथ सेंकने वाले डर डर के सही जय हिंद बोल रहे हैं 
भारत माता की जय बोलने से घबराए लोग जय हिंद बोल रहे हैं

यह उन की मजबूरी ही सही पर यह बदलाव बहुत बड़ा है दोस्तों
सेना को बलात्कारी बोलने वाले मक्कार भी जय हिंद बोल रहे हैं  

जिन की आदत पुरानी बहुत मां को पिता की बीवी कहते रहने की
बदल गए हैं अब वह भी अम्मी अम्मी कह कर जय हिंद बोल रहे हैं  

एक जावेद अख्तर की तकरीर ने तस्वीर बदल दी है नफ़रत की
जान से प्यारा पाकिस्तान बोलने वाले भी अब जय हिंद बोल रहे हैं 

आप अपनी मां को मां नहीं कहते तो कहते क्या हैं बताईए भला 
 दिक्कत है नफ़रत की नदी में डूब कर वह जय हिंद बोल रहे हैं  

भारत माता की जय बोल कर आज़ाद हुआ यह देश सब जानते हैं 
यह हराम हो गया कैसे कि मुंह छुपाने के लिए जय हिंद बोल रहे हैं 

जय हिंद जय हिंद की सेना तो बलिदानी होती है उन्हें मालूम नहीं 
बलिदानी भी यह हैं नहीं जाने किस डर से यह जय हिंद बोल रहे हैं

देश को सर्कस बना कर सही अपनी मिट्टी पलीद करवा कर सही
मुखौटा उतार अफजल के पैरोकार भी अब जय हिंद बोल रहे हैं  

जनता जानती है सब उठ कर खड़ी हुई तो हवा बदल गई इस कदर 
हवा का असर है एक से एक जहरीले नाग अब जय हिंद बोल रहे हैं 

वह उत्पात कर कर के डर गए हैं बहुत जैसे सन्निपात के मारे हुए हों
जय हिंद जय हिंद वह बारंबार बारंबार जय हिंद जय हिंद बोल रहे हैं 


[ 17 मार्च , 2016 ]

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