संस्मरण


  1. तो आमीन अदम गोंडवी, आमीन !
  2. कन्हैयालाल नंदन मतलब धारा के विरुद्ध उल्‍टी तैराकी
  3. हमन इश्क मस्ताना बहुतेरे
  4. अमृतलाल नागर : हम फ़िदाए लखनऊ, लखनऊ हम पे फ़िदा!
  5. हमको तो चलना आता है केवल सीना तान के
  6. छोटा हूं ज़िंदगी से, पर मौत से बड़ा हूं
  7. अपनी शर्तों पर जिए वीरेंद्र सिह
  8. साहित्यपुर के संत और उन के रंगनाथ की दुनिया
  9. संगम की प्रतिमूर्ति
  10. मूरख मिले बलेस्सर पढ़ा लिखा गद्दार ना मिले
  11. अपराजित परमानंद श्रीवास्तव
  12. सब का दर्द खोलने वाली वीणा विष्णु प्रभाकर
  13. अंगूर नहीं खट्टे, छलांग लगी छोटी
  14. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने जब एक लड़की से करुण रस के बारे में पूछा तो वह रो पड़ी
  15. कमलेश्वर अभी ज़िंदा हैं
  16. भदेस वीर बहादुर सिंह की देसी बातें
  17.  न लिखने को भी पाप मानते थे जैनेंद्र जी
  18. उस ने मरना भी चाहा तो आहट सुनाई दी / हम आप को हीरो कैसे मानें राजेश शर्मा?
  19. शिवमूर्ति अगर कहीं जज रहे होते तो ज़्यादा अच्छा होता
  20. प्रेमचंद एक अनुभव
  21. लमही गांव की मन में टूटती तसवीर और उस की छटपटाहट के बीच प्रेमचंद की जय !
  22.  बबूल के समुद्र की चुभन, साक्षी, पुष्कर और ख्वाज़ा की दरगाह उर्फ़ पधारो म्हारो देश !
  23. रघुवीर सहाय: बाजा फिर बेताल हो गया
  24. अपनी ही अदालत में मुकदमा हारते खडे़ अटल !
  25. रघुवीर सहाय: बाजा फिर बेताल हो गया
  26.  टूट गए हैं, पर टूटे नहीं हैं नागर जी
  27. त्रिवेणी के विलाप का यह विन्यास 
  28. अम्मा के नीलकंठ विषपायी होने की अनंत कथा
  29.  हम पत्ता, तुम ओस 
  30.  एक दीवाना आदमी यानी बेचैन बिहारी, कृष्ण बिहारी
  31.  हमारे डियर गौतम चटर्जी के साथ लेकिन ऐसे ही है
  32.  कैसे दे हंस झील के अनंत फेरे, पग-पग पर लहरें जब बांध रही छांह हों !
  33.  देवेंद्र आर्य की गज़लें ऐसे हमलावर हो जाती हैं , गोया किसी शहर से नाराज़ नदी उस पर टूट पड़ी हो
  34.  धान फूटते गोभी वाले गांव में 
  35.  अनूप शुक्ल लखनऊ में भी कलट्टरगंज झाड़ गए !
  36.  जब अपने बेटे के लिए लड़की भगाई अमरकांत जी ने 
  37. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी : एक बहती नदी 
  38. कोहरे का घेरा , ट्रेनों की लेट-लतीफ़ी, आज़म ख़ान और स्टेशन के भीतर-बाहर चकाचक सफ़ाई 
  39.  वर्गीज साहब, आप हमारे दिल में अपनी मय सदाशयता के सर्वदा उपस्थित रहेंगे 
  40.   अकबर का यह अकेलापन , यह गुस्सा , यह अवसाद 
  41. ऋषितुल्य , तपस्वी दिवाकर त्रिपाठी से मिलना
  42.  हिंदी के चंबल का एक बाग़ी मुद्राराक्षस 
  43.  डाक्टर ओमप्रकाश सिंह जैसे भोजपुरी के तपस्वी से मिलना 
  44.  समय से न लिखने पर रचनाएं भी रिसिया जाती हैं
  45.  शब्द की नाव में , भाषा की नदी का सौंदर्य और बिंब विधान रचते अरविंद कुमार 
  46. असल में हम जुड़वां ही थे , आज भी हैं
  47.  संस्मरणों में चांदनी खिलाने वाला रवींद्र कालिया नामक वह चांद 
  48.  सरलता और साफगोई की एक प्राचीर नीलाभ 
  49.  घर भर की आंखों में सुख भरे आंसू परोस कर मेरी प्यारी और दुलारी बेटी अनन्या अपनी ससुराल गई
  50.  कभी माफ़ मत कीजिएगा अशोक अज्ञात जी , मेरे इस अपराध के लिए
  51.  दीप्तमान द्वीप में सागर से रोमांस
  52. अम्मा की अनमोल सखियां 
  53. मैं ज़फ़र ता-ज़िंदगी बिकता रहा परदेस में अपनी घरवाली को एक कंगन दिलाने के लिए
  54. जैसे संघर्ष के लिए ही पैदा हुए थे संजय त्रिपाठी 
  55. अम्मा का महाप्रस्थान 
  56. मेरे बचपन की सहेली छोटकी मौसी भी चली गईं 
  57. हिंदी की अस्मिता का पहाड़ा अधूरा छूट गया
  58. एक गोल्डमेडलिस्ट का बेरोजगारी में सुशील सिद्धार्थ बन जाना
  59. ओह , हरिकेश बाबू !
  60. एक आवारा रात विमान में विचरते हुए
  61. हितैषियों से सीखा पीठ में छुरा घोंपना
  62. अपनी तारीफ़ सुन कर लजा जाने वाले अप्रतिम कथाकार हिमांशु जोशी का जाना
  63. गुजिश्ता अपने-अपने युद्ध 
  64. बांसुरी और तैराकी के वो दिन 
  65. गिरीश कर्नाड दोस्तों के दोस्त तो थे ही , दुश्मनों के भी दोस्त थे
  66. सुषमा जी यहां हैं ! 
  67. हमारे सक्सेना चचा नहीं रहे 
  68. बेटी की कामयाबी के लिए इतना दीवाना पिता मैं ने दूसरा नहीं देखा 
  69. सर्वेश्वर जी जाते-जाते भी मशाल जला गए थे. 
  70. . लेकिन रामसेवक जी का वह सूत्र मेरे पास अभी भी बहती नदी की तरह उपस्थित है
  71. धनंजय सिंह के गीतों की गंगाजली में यातना की इबारत बहुत है
  72. .कितने दुःख सिरहाने आ कर बैठ गए 
  73.  ज्येष्ठ पुत्र होने के कारण उन की सारी इच्छाओं , सारे प्यार की उन की प्रयोगशाला भी मैं ही रहा हूं
  74. पिता के मना करने पर बरसों राम कथा नहीं लिखी नरेंद्र कोहली ने
  75.  कामरेड लालबहादुर वर्मा की यादों के फूल की माला में अपनों की सुई के घाव बहुत हैं
  76. क्या ऐसे भी राम नाम सत्य होता है , छोटकी फूआ !
  77.  कमाल ख़ान ने मक्का में हज पर जा कर भी कभी नमाज नहीं पढ़ी थी
  78. कथा कैफ़ी आज़मी के रिवाल्वर लाइसेंस और रिश्वत न देने के नतीज़े की 
  79. वानर नरेश , लंकेश और दंगेश
  80.  चमचम की चकमक चाशनी में भीगी मिठास सा एहसास 
  81.  शेखर जोशी की कहानी आशीर्वचन उन के जीवन में भी ऐसे घटेगी , नहीं जानता था 
  82. .  हैंड शेक क्या , लेग शेक भी करने को तैयार थे वह इस लिए तुरंत इंडिया भेजे गए
  83.  कोई धोखा न खा जाए मेरी तरह सब से खुल कर न ऐसे मिला कीजिए 
  84. जब नागपंचमी के दिन नारायणदत्त तिवारी ने मुलायम से दूध पीने के लिए कहा 
  85. शैलनाथ कहूं कि श्रवण कुमार