- गीत-1
- गीत-2
- यह तुम्हारे नयन हैं , या नयनाभिराम कोई भवन
अरुण प्रकाशन
प्रथम संस्करण : 2015
पेंटिंग : बी प्रभा
आवरण - प्रवीण राज
मूल्य - 250 रुपए , पृष्ठ - 128
ई - 54 , मानसरोवर पार्क
शाहदरा , दिल्ली -110032 - और स्त्री फ़ोटो खिंचवा रही है
- स्त्री की बगावत का एक दिया
- तुम कभी सर्दी की धूप में मिलो मेरी मरजानी
- हम प्यार में हैं किसी मेट्रो में नहीं
- देह के बाज़ार में आंख का सपना
- तुम्हारी आंख के विलाप की आंच में नदियां सूख गई
- मैं आदर्शहीन हूं, चरित्रहीन भी लेकिन लोग मुझे अपना आदर्श मानते हैं
- यह तुम्हारे अधर
- पिछवाड़े का घर गिर रहा है
- इस कोहरे में किलोल
- मैं तुम्हारा कोहरा, तुम हमारी चांदनी
- प्रेम का यह जोग
- यह तुम्हारे विशाल उरोज
- मैं जेहादी , मैं मासूम
- खून में सना हुआ यह सूर्य, यह समय
- पर हे पाकिस्तान लेकिन तुम नहीं बदले !
- मेरी बेटी , मेरी जान !
- यह घूमने वाली औरतें जानती हैं
- यह तुम्हारा रूप है कि पूस की धूप
- प्रेम एक निर्मल नदी
- इस नए साल पर मैं तुम्हें बधाई कैसे दूं
- तुम्हें यह तुम्हारा ज़माना , यह ओबामा मुबारक़ !
- बेटी और मां के चंदन की मिसरी
- . प्रेम की नदी
- तो मैं बच्चा बन जाता हूं
- महुए की उस इकलौती माला की सौगंध
- . तुम्हारी प्रेम कचहरी और तुम्हारी टिकुली
- इतने गुलमोहर मत खिलाओ नहीं तो आग लग जाएगी
- ख़ुद को तोड़ कर छोड़ आया हूं तुम्हारे पास
- और इस तरह मशहूर हो गई तुम हमारे प्यार में
- काश कि मैं दुनिया की सारी बेटियों का पिता होता
- इस रमज़ान में तुम्हें देखना
- यह बारिश है कि मैं ही बरस रहा हूं
- प्रिया का जनकपुर
- बहन की राखी के रंगीन धागे
- मृत्यु जैसे चली आ रही है अहिस्ता-अहिस्ता
- आ रही है हमारी बालमचिरई
- यह ओस की बूंद थी कि तुम्हारा नेह था
- प्रेम का यह शुक्ल पक्ष
- फिर खिलने की प्रतीक्षा में है प्रेम
- गाते रहने दीजिए
- मेरी बारिश से तुम्हारी आंखें झील
- जैसे चांदनी में बहती है कोई नदी
- इस सर्द रात में तुम्हारी आग
- ग़ज़ब यह कि मफ़लर और शाल का रंग लाल है
- तुम अपनी ईद अकेले मना लो अभी दुनिया रो रही है
- इतना विष भी तुम कहां से लाती हो शगुफ़्ता ज़ुबेरी
- उन का सुख
- बोनसाई बरगद
- मत लड़ा करो मेरी जान , मत लड़ा करो
- औरतें बहुत ज़रूरी हैं दुनिया के लिए
- मैं बरस रहा हूं
- एक पिता के चार बेटे
- हद है कि दिल्ली में भूख से मरने का अधिकार चाहिए
- आख़िर लौट गए वह लोग अयोध्या से
- बइठ राफ़ेल अब उड़ो अकासा
प्रकाशक
नवप्रभात साहित्य
प्रथम संस्करण : 2017
आवरण - राजा रवि वर्मा
मूल्य - 400 रुपए , पृष्ठ - 168
418 , महाराम मोहल्ला
विश्वास नगर , दिल्ली -110032
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कविता
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