कविता

  1. गीत-1
  2. गीत-2
  3. यह तुम्हारे नयन हैं , या नयनाभिराम कोई भवन  
    अरुण प्रकाशन
    प्रथम संस्करण : 2015
    पेंटिंग : बी प्रभा
    आवरण - प्रवीण राज
    मूल्य - 250 रुपए , पृष्ठ - 128
    ई - 54 , मानसरोवर पार्क
    शाहदरा , दिल्ली -110032
  4. और स्त्री फ़ोटो खिंचवा रही है 
  5. स्त्री की बगावत का एक दिया 
  6.  तुम कभी सर्दी की धूप में मिलो मेरी मरजानी
  7.  हम प्यार में हैं किसी मेट्रो में नहीं
  8.  देह के बाज़ार में आंख का सपना 
  9.  तुम्हारी आंख के विलाप की आंच में नदियां सूख गई
  10.  मैं आदर्शहीन हूं, चरित्रहीन भी लेकिन लोग मुझे अपना आदर्श मानते हैं 
  11.  यह तुम्हारे अधर 
  12.  पिछवाड़े का घर गिर रहा है
  13.   इस कोहरे में किलोल 
  14.   मैं तुम्हारा कोहरा, तुम हमारी चांदनी 
  15.  प्रेम का यह जोग 
  16.   यह तुम्हारे विशाल उरोज 
  17.   मैं जेहादी , मैं मासूम 
  18.   खून में सना हुआ यह सूर्य, यह समय 
  19.   पर हे पाकिस्तान लेकिन तुम नहीं बदले ! 
  20.   मेरी बेटी , मेरी जान !
  21.  यह घूमने वाली औरतें जानती हैं 
  22.  यह तुम्हारा रूप है कि पूस की धूप
  23.  प्रेम एक निर्मल नदी
  24.  इस नए साल पर मैं तुम्हें बधाई कैसे दूं   
  25.  तुम्हें यह तुम्हारा ज़माना , यह ओबामा मुबारक़ ! 
  26.  बेटी और मां के चंदन की मिसरी 
  27. प्रेम की नदी
  28.  तो मैं बच्चा बन जाता हूं 
  29.  महुए की उस इकलौती माला की सौगंध
  30. तुम्हारी प्रेम कचहरी और तुम्हारी टिकुली
  31.  इतने गुलमोहर मत खिलाओ नहीं तो आग लग जाएगी
  32.  ख़ुद को तोड़ कर छोड़ आया हूं तुम्हारे पास 
  33.  और इस तरह मशहूर हो गई तुम हमारे प्यार में 
  34.  काश कि मैं दुनिया की सारी बेटियों का पिता होता 
  35.  इस रमज़ान में तुम्हें देखना 
  36.  यह बारिश है कि मैं ही बरस रहा हूं  
  37.  प्रिया का जनकपुर 
  38. बहन की राखी के रंगीन धागे
  39.  मृत्यु जैसे चली आ रही है अहिस्ता-अहिस्ता
  40.  आ रही है हमारी बालमचिरई 
  41.  यह ओस की बूंद थी कि तुम्हारा नेह था
  42.  प्रेम का यह शुक्ल पक्ष
  43.  फिर खिलने की प्रतीक्षा में है प्रेम 
  44.  गाते रहने दीजिए
  45.  मेरी बारिश से तुम्हारी आंखें झील 
  46.  जैसे चांदनी में बहती है कोई नदी
  47.  इस सर्द रात में तुम्हारी आग 
  48.  ग़ज़ब यह कि मफ़लर और शाल का रंग लाल है
  49. तुम अपनी ईद अकेले मना लो अभी दुनिया रो रही है
  50. इतना विष भी तुम कहां से लाती हो शगुफ़्ता ज़ुबेरी 
  51. उन का सुख 
  52. बोनसाई बरगद 
  53. मत लड़ा करो मेरी जान , मत लड़ा करो 
  54. औरतें बहुत ज़रूरी हैं दुनिया के लिए 
  55. मैं बरस रहा हूं
  56. एक पिता के चार बेटे 
  57. हद है कि दिल्ली में भूख से मरने का अधिकार चाहिए
  58. आख़िर लौट गए वह लोग अयोध्या से
  59. बइठ राफ़ेल अब उड़ो अकासा
  60. प्रकाशक
    नवप्रभात साहित्य
    प्रथम संस्करण : 2017
    आवरण - राजा रवि वर्मा
    मूल्य  - 400 रुपए , पृष्ठ - 168
    418 , महाराम मोहल्ला
    विश्वास नगर  , दिल्ली -110032
http://sarokarnama.blogspot.com/2016/01/blog-post_18.html


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