लेख

मीडिया तो अब काले धन की गोद में
[आलेख]
लेखक- दयानंद पांडेय
पृष्ठ- 208 मूल्य- 400
प्रकाशक- सर्वोदय प्रकाशन 512-B, गली नं.2 विश्वास नगर दिल्ली-110032
प्रकाशन वर्ष- 2013
1. अमरकांत जी को मिले ज्ञानपीठ के बहाने मठाधीशों की खोज खबर
2. महिला लेखन यानी भूख की मारी चिड़िया
3. हिंदी लेखकों और पत्रकारों के साथ घटतौली की अनंत कथा
4. भोजपुरी गायकी अपनों से ही हार गई
5. बाल श्रमिक से शब्दाचार्य तक की यात्रा
6. ए भाई अइसे ही आग जलाएंगे आप?
7. एकतरफा और तिहरे तलाक़ की तलवार सिर्फ़ हिंदुस्तान में ही है
8. अज्ञेय : फिर कहां से तुम ने विष पाया और कहां से सीखा डसना?
9. सोचने की इच्छा लगभग शराब हुई है
10. मार्निंग वाक या पत्रकारिता के नहीं दलाली के चैंपियन हैं राजनाथ सिंह
11. राजनाथ सिंह को खुली चुनौती दे रहा हूं कि मेरे खिलाफ़ आरोप सार्वजनिक करें!
12.निष्ठा, नैतिकता, चरित्र, शुचिता... सब बातें हैं बातों का क्या !
13.नतिनी पूछे नानी से नानी चलबू गौने !
14.२०२५ : कोई लोक भाषा भी हुआ करती थी
15. तो क्या फ़ेसबुक अब फ़ेकबुक में तब्दील है?
16. नरेश मेहता मतलब कविता में वैचारिक सत्ता की उपस्थिति
17. सर विद्याधर सूरज प्रसाद नायपाल भारत भूमि जिन्हें बार-बार पुकारती है
18. भोजपुरी अइसे कब तक भकुआती फिरेगी ?
19. 2050 तक हिंदी दुनिया की सब से बड़ी भाषा बनने जा रही है
20. यह समय यशवंत के खिलाफ़ आग में घी डालने का नहीं, यशवंत के साथ खडे होने का है<
21. मीडिया तो अब काले धन की गोद में
22. शिष्य हो तो नामवर सिंह जैसा, मुद्राराक्षस जैसा नहीं
23. अरविंद कुमार की जीवन यात्रा देख कर मन में न सिर्फ़ रोमांच उपजता है बल्कि आदर भी
24. लुट गया राजा प्रणय की चांदनी में
25. शिवमूर्ति की स्वीकृति का बैंड-बाजा
26. लखनऊ के आंचल में मुहब्बत के फूल खिलाने और गलियों में फ़रिश्तों का पता ढूंढते योगेश प्रवीन
27. शेखर जोशी और श्रीलाल शुक्ल सम्मान की त्रासदी
28. ब्लैकमेलर सुधीर चौधरी, बेजमीर पुण्य प्रसून वाजपेयी
29. एक बेटी की विदा का शिलालेख!
30. हिंदी की लाठी हैं लता मंगेशकर
31. हमारे गांव का गोबर तुम्हारे लखनऊ में है
32. क्या प्रकांड पंडित होना इतना बड़ा पाप है?
33. जेहन में कबीर, जीवन में आर्केस्ट्रा
34. अरविंद कुमार ने अभी-अभी भारतीय कोशकारिता में तीन परिवर्तनकारी क़दम उठाए
35.गर देश उल्लू बनने की प्रयोगशाला है तो हमें उस से खतरा है
36.भोजपुरी की मिठास और खुशबू को दुनिया में मालिनी को फैलाने दीजिए मनोज जी !
37.अब भारतीय प्रकाशन जगत में एक और चमत्कार बृहत् समांतर कोश, पहला मुद्रण पाँच हज़ार प्रतियाँ
38.सरोकारनामा मतलब अब सारे सरोकार मेरे, सारा आकाश मेरा !
39.तो क्या मनीषा कुलश्रेष्ठ को लमही सम्मान लौटा नहीं देना चाहिए !
40. जाति न पूछो साधु के बरक्स आलोचना के लोचन का संकट ऊर्फ़ वीरेंद्र यादव का यादव हो जाना !
41.आईने पर इल्ज़ाम लगाना फ़िज़ूल है, सच मान लीजिए, चेहरे पर धूल है
42. कंवल भारती, कांग्रेस, रामपुर का तानाशाह आज़म खान, कायर और लफ़्फ़ाज़ दोस्तों का दलदल
43. ढाई नहीं, तीन आखर की कविताएं
44. कंवल भारती तो पांच दिन में ही कांग्रेस के कमलापति त्रिपाठी बन गए !
45. वीरेंद्र यादव के विमर्श के वितान में आइस-पाइस यानी छुप्पम-छुपाई का खेल
46. कथाक्रम और शुतुरमुर्गी अदा के मारे लफ़्फ़ाज़ रणबांकुरे !
47. विपदा की नदी से पार ले जाती, विलाप की बांसुरी में डूबी कविताएं
48. प्रीति करीं अइसे जइसे, कटहर क लासा !
49. तो क्या तरुण तेजपाल की झांसेबाज़ी रंग लाएगी, कि जेल की हवा खिलाएगी ?
50. अपनी वैचारिकी से पलटी मारना किसी को सीखना हो तो वह लखनऊ के साहित्य भूषण वीरेंद्र यादव से सीखे
51.रवींद्र वर्मा का महुआ तोड़ कर खाना-खिलाना
52.देश को चाहिए कि अपने गुस्से का इज़हार किसी किन्नर को अपना प्रधान मंत्री चुन कर कर दे !
53. जीवन में प्रेम की पवित्रता
54. हाय ! हम क्यों न हुए खुशवंत !
55. कितना भी महीन बूको, घुसता ही नहीं मूढ़ सेक्यूलर दुकानदारों के मोटे दिमागों में
56. आखिर नरेंद्र मोदी के सचिव नृपेंद्र मिश्र कैसे बन गए सी आई ए एजेंट ?
57. नवीन जोशी, दावानल और उन का संपादक
58. अखिलेश के निर्वासन के बहाने कुछ बतकही , कुछ सवाल
59. वेद प्रताप वैदिक पर दाग दूसरे हैं , हाफिज सईद से मुलाक़ात कोई दाग नहीं , कोई अपराध नहीं
60. मुख़्तारी तो ऐसे भी दिख जाती है , आंगन में बंदूकें बोना ठीक नहीं
61. मनो किताब न हो किसी मल्टी नेशनल कंपनी का प्रोडक्ट हो, हिंदी सिनेमा हो कि विज्ञापन चालू !
62. अगर - मगर किंतु -परंतु करना छोड़िए भी बिटिया है नहीं है कोई जंतु
63. टी वी पत्रकारिता कर रही औरतें राजनीतिज्ञों के लिए एक बड़ा ख़तरा
64. वह तुलसी , वह कबीर और थे , हिप्पोक्रेसी का मारा, सत्ता का चाटुकार यह लेखक कुछ और !
65. आप रहिए अपने घर ,कार्यालय और अपने गैंग में ख़ुदा बन कर इस फ़ेसबुक पर यह खुदाई नहीं चलने वाली
66. भारतीय पत्रकारों के लिए तो शारबोनिये की बात बिच्छू के डंक की तरह हैं
67. अरविंद कुमार का नया इश्क है - अरविंद वर्ड पावर
68. मैं नहीं देता इस धोखे में सने मज़दूर दिवस की बधाई। आप बुरा मानते हैं तो मान जाइए , अपनी बला से !
69. तो क्या नीलाभ डूब जाएंगे भूमिका के इस भंवर में ?
70. आत्म-मुग्धता, हिप्पोक्रेसी और बौखलाहट का मिला-जुला एक नाम है उदय प्रकाश
71. गीतों की चांदनी में एक माहेश्वर तिवारी का होना
72. प्रेम की आरती के नेह में नतगीतों की एक सरिता
73. प्रेम के शून्य को हेरते-हेरते सुलोचना की सुरसतिया का अचानक प्रेम में आर्यभट्ट हो जाना
74. अशोक वाजपेयी ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर के सिर्फ़ और सिर्फ़ नौटंकी की है
75. किताबें छापने के नाम पर लोगों को ठगने और लूटने वाले इस अरुण चंद्र राय को ठीक से पहचान लीजिए
76. आंधी फिल्म सिनेमा घरों से उतार उस के प्रिंट जलवा दिए संजय गांधी ने तब क्या किया था गुलज़ार साहब !
77. यशोदा बेन ने धरना दे दिया है कि आज वह नरेंद्र मोदी को सामने से देख कर ही करवाचौथ का व्रत तोड़ेंगी
78. साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का तमाशा
79. आख़िर मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों की ज़िद से लौटे अशोक वाजपेयी
80. रचनाओं का रिसिया जाना
81. लालू प्रसाद यादव को मिले राजनीतिक जनादेश के बहाने हाराकिरी करते , मिठाई बांटने वाले यह लेखक
82. इनामों को वापस करने से क्या होगा
83. सुन रहे हो आमिर ख़ान और शाहरुख़ ख़ान !
84. काले धन की आंच , लपट और सनक में झुलसती असहिष्णुता
85. इन जहरीले लोगों की दुकान बंद कीजिए इन्हें उपेक्षित कर के , ख़ुद-ब-ख़ुद यह अपनी मौत मर जाएंगे
86. जैसे मां की याद में डूबी यह कविताएं , कविताएं न हों मां की लोरी हों
87. सुतत नाहीं हईं अम्मा , सोचत हईं !
88. दो लाईन की बकलोल कविता और सौ-पचास लाईन की फटीचर फ़ोटो
89. अगर निरुपमा पांडेय की चले तो वह मुझे लेखक नहीं , लेखक का कारखाना बना दें
90. मेरे कथा संसार के विलक्षण पाठक जनार्दन यादव
91. जहां आप पहुंचे छलांगें लगा कर वहां मैं भी पहुंचा मगर धीरे-धीरे
92. यह विधवा विलाप अशोक वाजपेयी का नया नहीं है
93. गतरे गतर घाव की तफ़सील बांचती मनोज भावुक की भोजपुरी ग़ज़लें
94. आतंकवादियों की फांसी पर जुड़ेंगे हर बरस मेले
95. कामरेड , जे एन यू का नुकसान तो बहुत हो गया है
96. यहां तो स्त्री कंधा से कंधा मिला कर चलती मिलती है
97. सच यह है कि रवीश कुमार भी दलाल पथ के यात्री हैं
98. दलाली वाया सेक्यूलरिज़्म भी होती है
99. यह पुरुष प्रधान समाज स्त्रियों के लिए तेज़ाब की नदी है
100. भारतीय पत्रकारिता में सेक्यूलरिज्म का तड़का और उस का यह हश्र
101. लेकिन राष्ट्रपति को लिखी कृष्णा सोबती की इस चिट्ठी के मायने भी क्या हैं ?
102. एक सूक्ति , क़िस्सा , लतीफ़ा उर्फ़ कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना वाले पानी में आग लगाने वाले आचार्य !
103. फ़िल्मी कहानियों के आगे हिंदी में छप रही कहानियां गोबर लगती हैं
104. दूसरी भाषाओं की मुंडेर पर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की रचनाएं
105. यह आहिस्ता ही जैसे तेजेंद्र की कहानियों की शिनाख़्त है कि कहीं कुछ शोर न हो और सब कुछ टूट जाए
106. धर्म भले ही अफीम हो , मगर आस्था तो जलेबी है
107. एन डी टी वी मतलब जहर और नफ़रत की पत्रकारिता
108. आज की तारीख में कौन समाज है जो मनुस्मृति से भी चलता है
109. किसी मुस्लिम या दलित के साथ हादसा या हत्या होने पर देश में एक आंदोलन क्यों खड़ा हो जाता है
110. अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमला कर कुछ लोगों को मार डालते हैं तो कम से कम मुझे आश्चर्य नहीं
111. तो क्या कुमार विश्वास के परोसने से बच्चन की कविताओं का स्टारडम गड्ढे में जाता रहा था
112. सुशोभित सक्तावत के सवालों की आग बहुतों को जला रही है
113. प्रतिबद्धता के नाम पर साहित्यकारों को अपनी इस दोगलई से हर हाल बाज आना चाहिए
114. कभी थीं नीरा यादव भी ईमानदार जब वह नीरा त्यागी हुआ करती थीं
115. मीना कुमारी लेकिन इस हलाला से टूट सी गई थीं
116. तब बुखारी ने अटल जी को धमकी दी थी कि देश में आग लग जाएगी
117. गोदी मीडिया का स्लोगन दे कर प्रणव रॉय खुद काले धन की गोद में न बैठे होते तो शायद यह दिन न आता
118. अयोध्या में सवा लाख बाती , दीपदान और पंचकोसी परिक्रमा में पत्नी का शिशु भाव
119. . सोशल मीडिया ने साहित्य के बड़े-बड़े माफ़ियाओं को धूल चटा कर उन की सत्ता को तहस-नहस कर दिया है
120. अगर मैं कहूं कि अंबेडकर भी अपने किस्म के जिन्ना थे तो ?
121. कठुआ की पीड़िता बच्ची के बहाने नफ़रत और जहर बो कर लाखों-करोड़ों का खेल
122. शराब , शबाब , सूअर और सिगार के शौक़ीन जिन्ना ने कठमुल्लों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान बनाया
123 . सच तो यह है कि कबीर के बाद कोई लेखक सेक्यूलर नहीं हुआ
124 . मुस्लिम बहुल इलाके मिनी पाकिस्तान का रुप ले चुके हैं , यह तो सच है
125. आप की मंज़िल क्या पाकिस्तान की तरह बरबाद जीवन जीना है ?
126. . नफ़रत के बीज बोते लोग दिखें तो उन्हें संगीत की संगत में बुला लीजिए वह प्यार की भाषा बोलने लगेंगे
127 . तो क्या उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा अब दलालों और पैसों के चंगुल में फंस चुके हैं
128. सिमी की ही तरह मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड पर भी बैन लगाने का यही माकूल समय है
129. जैसे एक युग बीत गया है , गीतों का
130. सिमी की ही तरह मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड पर भी बैन लगाने का यही माकूल समय है
131. जब आप पक्षकार बन जाते हैं तब पत्रकार नहीं रह जाते , कुत्तागिरी कर रहे होते हैं
132 . यह तीसरा आदमी कौन है
133. दूधनाथ सिंह ने विश्वनाथ प्रसाद तिवारी के मुंह पर कालिख पुतवाने और जूता मरवाने की कोशिश की थी
134. लेकिन बहुत साफ़-सुथरे पत्रकार नहीं रहे कभी अरुण शौरी
135. प्रसून जी , मीडिया का बाज़ार नैतिकता से , नफ़रत से और एजेंडे से नहीं मुनाफ़े से चलता है
136 . भारतीय पत्रकारिता के कुलदीप रहे हैं , कुलदीप नैय्यर
137 . अथ पुस्तक विमोचन जाल-बट्टा कथा
138. विश्वनाथ त्रिपाठी : बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा
139 . मी टू मतलब औरत , दौलत और शोहरत का एक्स्टेंशन
140. तारकेश्वरी सिनहा , नेहरु और न्यूड पेंटिंग
141. यह कौन सा मी टू है भला , क्या यह और ऐसे पत्रकार भी कभी कोई मी टू लिखेंगे ?
142 . इंदिरा , फिरोज और लखनऊ की दो औरतें
143. पैसा , औरत और अदालतों के फ़ैसले
144. मैं तो प्रयागराज नाम के साथ हूं
145. तुग़लक , मौलवी और सेक्यूलरिज्म
146. रावण द्वारा अपहरण से पहले ही सीता जी गायब
147. पहली प्राथमिकता पुलिस को सभ्य और सम्मानित नागरिक बनाने की है
148. भारत भारती , रमेशचंद्र शाह और लेखकों की तंगदिली
149. रघुराम राजन जो कहें , नोटबंदी ने नंबर दो के कारोबार पर सीधी चोट मारी है , बहुत कड़ी चोट
150. तो सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा द वायर को कबूतर बना कर कांग्रेस एजेंट के रूप में काम कर रहे थे ?
151. जब राजेंद्र बाबू ने पत्नी से कहा कि अगर उस अंगरेज औरत से हाथ नहीं मिलाया तो नौकरी चली जाएगी
152. बैंक यूनियन के एक नेता के बहाने देश में भ्रष्टाचार की ट्रैफिक कथा
153. सर्जिकल स्ट्राइक की ज़रूरत पाकिस्तान में नहीं , भारत में है
154. आज ज़रूरत है इस इस्लामी और जेहादी हिंसा का जवाब सेना ही दे , कश्मीर सेना के हवाले हो
155. कांग्रेस ने गोगोई को भी , दीपक मिश्रा की तरह डरपोक जस्टिस समझ लिया था
156.लेकिन कभी ज़रुरत पड़ ही गई तो आख़िर रवीश कुमार अपने दिल को समझाने कहां जाएंगे !
157.इस्लाम को न मानने वाला जिन्ना कितना तो जानता था इस्लाम जानने वालों को
158.जावेद अख्तर का बुरका राग
159. जाने-अनजाने हम कहीं गीता दुबे की दुनिया तो नहीं बनाते जा रहे ?
160. सेक्यूलरिज्म के कमीने दुकानदारों कहां हो तुम ?
161.अपनी अय्याशी में असंख्य बेटियों की आज़ादी छीन ली है , साक्षी मिश्रा , यह तुम क्या जानो !
162.इन गिरोहबंद लेखकों के आगे बड़े-बड़े अपराधियों के गिरोह भी मात खा जाएं , शर्मा जाएं
163. जुबां अना जमीर सब सही सलामत है बेचा नहीं कभी कहीं
164. चाहे कितना भी बड़ा वैज्ञानिक हो , वह भी टूटता है और रोता भी है
165.भाषा एक दूसरे से मिल कर बड़ी बनती है , सभी भाषाओँ को आपस में मिलते रहना चाहिए
165. हे गांधी इन अज्ञानियों को क्षमा करना !
166 . दस्तावेज निकालने वाले विश्वनाथ प्रसाद तिवारी अब खुद एक दस्तावेज हैं , साझी धरोहर हैं
167. इस बदलाव की खुशी में दीपावली के दो-चार दिए अधिक जलाइए और मिठाई खाइए. जश्न मनाइए
168 . देह का गणित सपाट सही , वंदना गुप्ता रिस्क ज़ोन में गई तो हैं
169 . मर्यादा पुरुषोत्तम राम को सम्मान दे कर विदा हुए जस्टिस रंजन गोगोई
170 . महाराष्ट्र की राजनीति में फ़िलहाल लक्ष्मण के मूर्छित होने और रावण वध के बीच का समय है
171 . बताइए भला कि इनकाउंटर देश के लिए बहुत भयानक है लेकिन बलात्कारी बहुत भले !
172 . सम्मानित नागरिक होना क़ुबूल है या हिंसक और जेहादी पहचान के साथ मर मिटना !
173 . हिंसक भीड़ की भाड़ में जल जाने से बचा
174 . यह हिंसा नागरिकता बिल ही नहीं , तीन तलाक़ , 370 , राम मंदिर आदि के विरोध का एक पूरा पैकेज है
175 . तो क्या मिनी पाकिस्तान और डायरेक्ट एक्शन प्लान को चकनाचूर करने का समय अब आ गया है ?
176 . लाज़िम है कि हम भी देखेंगे
177 . पिता का होना , यानी मूंछों का होना
178 . नमस्ते ट्रंप नहीं , तमाम-तमाम मिनी पाकिस्तान को नमस्ते कर देने की तलब है अब देश को
179 . क्यों कि दिल्ली देश का दिल है , सरहद नहीं
180 . तो मां का कलेजा बोल पड़ा , बेटा कहीं चोट तो नहीं लगी ?
181 . केजरीवाल द्वारा कन्हैया की चार्जशीट को स्वीकृति देना और ताहिर हुसैन को पार्टी से निकाल देना
182 .  पाकिस्तान से निरंतर जीतने वाले , देश में उपस्थित मिनी पाकिस्तान से लगातार हारते नरेंद्र मोदी
183 . नरेंद्र मोदी का हेलीकाप्टर शॉट है , सोशल मीडिया छोड़ने पर सोचने का ऐलान
184 . कुतर्की और नफरत के शिलालेख लिखने वाले जहरीले लोगों के विमर्श में फंसने से कृपया बचें
185 . कोरोना वायरस , मोदी वायरस और गिलहरी प्रयास
186 . शराबी , औरत की पिटाई , डाक्टर और गरारा करने की तजवीज
187 . तो जिन के घर कोई जा नहीं सकता , वह कह रहे हैं कि अपने दरवाज़े पर फ्री फ़ूड लिख दें
188 . श्रमिकों के हाथ फिर काट लिए गए हैं , तब आगरा का शाहजहां था , अब दिल्ली का केजरीवाल है
189 . तो कोरोना भी क्या किसी जेहाद का औजार बन गया है ?
190 . मरने के लिए मस्जिद से बेहतर कोई जगह नहीं है तो फिर देश लड़ चुका कोरोना से , आप पहुंचिए मस्जिद
191 . नरेंद्र मोदी का इस्तीफ़ा , सोनिया भाजपा में शामिल , बनीं प्रधान मंत्री
192 . भारत का यह अराजक पाकिस्तानीकरण है
193 . नर्स का मोजा और कामरेड का पुलिस से पिटना
194 . तो क्या देश गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा हो गया है
195 . ये दीपक जला है , जला ही रहेगा
196 . लोग इस कोरोना की महामारी में भी विरोध की बीमारी की लाश ढो रहे हैं
197 . ऐतराज बहादुर लोग और ट्रंप की धमकी का जश्न
198 . अफजल की तर्ज पर हर घर से कोरोना निकलेगा , तुम कितने कोरोना मारोगे
199 . संन्यासी , बिच्छू और कोरोना
200 . जी हां , हम हिंदू , मुसलमान करते हैं
201 . कुम्भकर्णी नींद से जागो न्याय मूर्तियों , जागो !
202 . लेकिन भारत में बहुत सारे और भी अल्पसंख्यक समाज के लोग हैं , सिर्फ मुस्लिम ही नहीं
203 . अरुंधती राय अब पूरी तरह देशद्रोही की भूमिका में उपस्थित हैं
204 . क्या पता डिसकवरी आफ़ इंडिया की तरह कभी कोई डिसकवरी आफ़ लतीफ़ा गांधी भी लिखे
205 . रिपब्लिक भारत के खूंखार एंकर अर्णब गोस्वामी की बात तो कहीं से नाजायज नहीं है
206 .आप मानिए , न मानिए एक अघोषित गृह युद्ध में हमें ले जा चुका है मुस्लिम समाज 
207 . जब मज़हब भारी हो जाता है तो एक जिन्ना खड़ा हो जाता है और पाकिस्तान पैदा हो जाता है
208 . जिन्ना का डिवाइड इंडिया , डिस्ट्राय इंडिया का खेल बदस्तूर जारी है , डायरेक्ट ऐक्शन की घोषणा ही शेष
209 . कांग्रेस की बस , सपा-बसपा की जहाज और कम्युनिस्टों का राकेट प्लान
210 . अब मज़दूरों की घर वापसी जन-विद्रोह में तब्दील है , इन की व्यवस्था सेना के सिपुर्द हो
211 . तो इस विकल , विरल समय और संयोग को प्रणाम कीजिए कि नरेंद्र मोदी जैसा डिप्लोमेट प्रधान मंत्री है
212 . चीन , लतीफा गांधी और उन के तख्तनशीन होने का इल्हाम
213 . जवाहरलाल नेहरू की दो गलतियों को नरेंद्र मोदी ने दुरुस्त तो कर दिया है
214 . कोरोना और चीनी एक साथ मिलें तो पहले चीनी को मारिए
215 . उद्योगपतियों की लूटपाट , चीन के साथ कम्युनिस्टों की वफादारी और सरहद पर लड़ती सेना
216 . आपदा को अवसर में बदलने का मतलब व्यवसाय का नया प्राचीर खड़ा करना नहीं होता रामदेव जी !
217 . तो प्रियंका गांधी के लखनऊ में रहने के ख़तरे बहुत हैं , बड़े धोखे हैं इस राह में !
218 . मोदी वार्ड के मरीज आडवाणी नाम की ऐसी फ़ोटो तलाश कर रवीश कुमार के शो में ग़म ग़लत करते हैं
219 . कहीं ऐसे भी युद्ध का नज़ारा परोसा जाता है , मीडिया पर भला ?
220 . पुलिस इनकाउंटर से जान बचा कर मुलायम सिंह यादव इटावा से साइकिल से खेत-खेत दिल्ली भागे
221 . मी लॉर्ड कहलवाने वाले हरामखोर जज लोगों , आप की अस्मिता अब पूरी तरह खतरे में है








वैचारिकी से पलटी
[लेख-संग्रह]
लेखक- दयानंद पांडेय
पृष्ठ- 232 मूल्य- 550
प्रकाशक- सजल पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स 503-L , गली नं.2 विश्वास नगर दिल्ली-110032