दयानंद पांडेय
प्रलेक प्रकाशन के फ्राड की अंतर्कथा देखिए कि जब समूची दुनिया समेत भारत देश कोरोना की महामारी से त्राहिमाम किए था , उन्हीं दिनों जितेंद्र विजय पात्रो ने 13 जुलाई , 2020 को प्रलेक प्रकाशन का रजिस्ट्रेशन करवाया। यानी बतर्ज रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था , लोग मर रहे थे और जितेंद्र पात्रो प्रलेक प्रकाशन का रजिस्ट्रेशन करवा रहे थे। एक लाख रुपए का कैपिटल बताया और ख़ुद जितेंद्र विजय पात्रो और उन की पत्नी जयश्री पात्रो इस प्रलेक प्रकाशन के डायरेक्टर बने। रजिस्ट्रेशन में दी गई सूचना यही बताती है। दिलचस्प यह कि प्रलेक प्रकाशन का रजिस्ट्रेशन करवाने के डेढ़ साल के भीतर जितेंद्र पात्रो ने चार सौ किताबों के प्रकाशन की पुस्तक सूची परोस दी है। यह तो हिंदी प्रकाशन जगत में नायाब रिकार्ड है। गिनीज बुक में इसे ज़रुर दर्ज किया जाना चाहिए। और यह देखिए कि हाय ग़ज़ब कहीं तारा टूटा ! प्रलेक प्रकाशन के वाट्सअप ग्रुप पर बीते 2 फ़रवरी , 2022 को जितेंद्र पात्रो ने शाम 6 - 30 पर अचानक सूचना परोसी कि बस कुछ घंटों में प्रलेक प्रकाशन - 54 वर्ष पुराना हो जाएगा। तमाम लेखक बधाई देने में व्यस्त हो गए। बिछ-बिछ गए। लेकिन आदरणीया ममता कालिया ने लिखा :
वाह इतनी तो तुम्हारी उम्र भी नहीं है।
ठीक बात थी। क्यों कि जितेंद्र विजय पात्रो के जन्म की तारीख़ 1 दिसंबर , 1982 ही उन के सर्टिफिकेट में दर्ज है। जब कि उन की पत्नी जयश्री पात्रो के जन्म की तारीख़ 4 जून , 1988 दर्ज है। यह पति-पत्नी एक और कंपनी चलाते हैं : जे वी पी इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड। इस कंपनी को भी एक लाख रुपए की पूंजी से शुरु करना यह बताते हैं। इस का रजिस्ट्रेशन 7 फ़रवरी , 2019 को करवाया। यह कंपनी रियल स्टेट आदि काम के लिए बनाई गई बताई गई है। दोनों कंपनियों का पता एक ही है।
बाद में जितेंद्र पात्रो ने अपने वाट्सअप ग्रुप पर स्पष्ट किया कि राधेश्याम प्रगल्भ द्वारा 1968 में प्रलेक प्रकाशन बनाया गया था और अब अशोक चक्रधर के मार्फ़त जितेंद्र पात्रो को यह प्रलेक प्रकाशन मिला। लेकिन बाद में अशोक चक्रधर को भी जितेंद्र पात्रो ने ठेंगा दिखा दिया और अपमानित किया। अब अशोक चक्रधर ने जितेंद्र पात्रो से संवाद बंद कर दिया। सच यही है कि मुर्गी मार कर अंडे खाने के अभ्यस्त जितेंद्र पात्रो ने तमाम लेखकों को अपमानित किया है। इसी लिए बहुत सारे लेखक जितेंद्र पात्रो से आहत हैं। वही लेखक जो कभी जितेंद्र पात्रो का स्वागत कर रहे थे , अब आहत क्यों हैं ? क्यों कि जितेंद्र पात्रो ने लेखकों के मान-स्वाभिमान को आहत किया है। कम से कम पचास लेखक मेरे संपर्क में हैं जो जितेंद्र पात्रो के व्यवहार से अपमानित हैं। बिहार ,उत्तर प्रदेश , दिल्ली , मुंबई से लगायत यूक्रेन और ब्रिटेन तक के लेखक इस तरह की शिकायत में शामिल हैं।
सवाल यह भी है कि रियल स्टेट कंपनी और प्रकाशन का काम करने वाले जितेंद्र पात्रो बार-बार बैंक क्यों बदलते रहते हैं। और इन के यह बैंक अकाउंट लगभग ख़ाली भी क्यों रहते हैं। क्या खाता सीज होने का डर सताता है ? रियल स्टेट के व्यवसाय को अभी यहां मुल्तवी करते हैं। आगे जल्दी ही इस पर भी विस्तार से बात करेंगे। पर आज प्रलेक प्रकाशन के व्यवसाय की चर्चा करते हैं। क्या एक लाख की पूंजी से कोई 400 से अधिक किताबें बीते डेढ़-दो साल में प्रकाशित करना मुमकिन है ? अलग बात है कि व्यवसाय जगत में कुछ भी , कभी भी मुमकिन है। ब्लैक एंड ह्वाइट का चरित्र है व्यवसाय जगत का। पर इन दो सालों का प्रलेक प्रकाशन के पास कोई बैलेंस सीट है क्या ? कोई टर्न ओवर , जी एस टी , जी एस टी नंबर , इनकम टैक्स आदि का कोई विवरण है क्या। अभी हम प्रलेक प्रकाशन , जितेंद्र विजय पात्रो के पेन कार्ड नंबर तीन बैंक की डिटेल यहां दे रहे हैं। उन की पत्नी जयश्री राय के पेन नंबर और डिटेल भी मेरे पास है। पर अभी यहां नहीं परोस रहे। इस लिए कि एक तो वह स्त्री हैं। दूसरे डिटेल बताते हैं कि वह पत्नी होने के कारण जितेंद्र पात्रो से संचालित हैं। जितेंद्र पात्रो के छल-छंद में उन्हें घसीटना अभी ठीक नहीं लग रहा। आगे ज़रुरत पड़ी तो ज़रुर कभी ज़िक्र हो सकता है। पर अभी तो नहीं।
बहरहाल जितेंद्र पात्रो और प्रलेक प्रकाशन के पेन कार्ड के डिटेल बताते हैं कि जितेंद्र पात्रो के पास नंबर एक का कोई व्यवसाय नहीं है। कम से कम पेन कार्ड के थ्रू तो नहीं है। और आज की तारीख़ में बिना पेन नंबर के कोई आर्थिक गतिविधि किसी की मुमकिन नहीं है। वैसे भी यह दोनों कंपनियां बोगस कंपनियां लगती हैं। किसी और काम के लिए इन की आड़ ली गई है। या फिर जितेंद्र पात्रो और प्रलेक प्रकाशन सचमुच कंगाल हैं। प्रलेक प्रकाशन का पैन कार्ड नंबर AALCP2404M है। 13 जुलाई , 2020 को यह पैनकार्ड जारी हुआ है। प्रलेक का खाता एक खाता एच डी एफ सी में है। करंट एकाउंट है एच डी एफ सी में। प्रलेक प्रकाशन के नाम से विरार वेस्ट , मुंबई के एच डी एफ सी बैंक में है। खाता संख्या है 50200049515899 आई एफ सी कोड HDFC0000051 है। 10 अगस्त , 2020 को खोला गया यह खाता अब निष्क्रिय है। प्रलेक प्रकाशन का नया खाता विरार वेस्ट , थाणे , मुंबई के कोटक महिंद्रा बैंक में है। खाता संख्या है 7646111336 और आई एफ एस सी कोड KKBK0000629 है। यह खाता सक्रिय है। और इन दिनों लेखकों से इसी खाते में पैसा मंगवा रहे हैं , जितेंद्र पात्रो। कोटक महेंद्रा में प्रलेक प्रकाशन का नया करंट खाता है जो 7 दिसंबर , 2021 को खोला गया है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि जितेंद्र पात्रो इन बैंक खातों का उपयोग सिर्फ़ लेखकों से पैसा वसूली के लिए करते हैं। किसी प्रिंटिंग प्रेस , किसी क़ाग़ज़ आदि को किए जाने वाले भुगतान जितेंद्र पात्रो कैसे करते हैं , वह ही जानें। क्या कैश करते हैं ? अगर करते हैं तो ग़लत करते हैं। दस हज़ार रुपए से अधिक का नक़द भुगतान ग़ैर क़ानूनी माना जाता है। हालां कि इस की उम्मीद भी कम ही है। क्यों कि अमूमन दस-बीस किताबों का संस्करण छापने वाले प्रलेक प्रकाशन या जितेंद्र पात्रो को इस की ज़रुरत बहुत कम पड़ती है। इसी लिए मैं अपना आरोप फिर दुहराना चाहता हूं कि प्रकाशन की आड़ में जितेंद्र पात्रो कुछ और काम कर रहे हैं। या फिर वह सचमुच ही बहुत विपन्न हैं। जितेंद्र पात्रो जिन दिनों मुझे पिता-तुल्य बता कर मुझ से बात करते थे , अकसर कहा करते थे कि मेरा मुख्य व्यवसाय तो शेयर मार्केट का है। प्रकाशन का काम तो मैं साहित्य से प्रेम करने के कारण कर रहा हूं। पर जितेंद्र पात्रो और उन की पत्नी जयश्री पात्रो के पेन नंबर के रिकार्ड के मुताबिक़ मिले डिटेल बताते हैं कि यह दोनों ही लोग शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड आदि किसी भी इनवेस्टमेंट के व्यवसाय में शून्य हैं। फिर धंधा क्या है जितेंद्र पात्रो का ? सिर्फ प्रकाशन और रियल स्टेट ? हरगिज नहीं। हम सभी लोग जानते हैं कि घूस और भूत के सुबूत नहीं होते। और कि नंबर दो के सुबूत आसानी से नहीं छापे से ही मिलते हैं।
जितेंद्र पात्रो का व्यक्तिगत पैन कार्ड नंबर ANSPP5868Q है। मिली सूचनाओं के मुताबिक़ जितेंद्र विजय पात्रो , पुत्र बिजय कुमार पात्रो का एक बैंक खाता उड़ीसा के गंजम में स्टेट बैंक के सारु ब्रांच में 24 जनवरी , 2008 को खोला गया है। खाता संख्या 11631834223 है। आई एफ एस सी कोड है SBIN0006132 और इस खाते में सिर्फ़ 2088 रुपए शेष हैं। खाता निष्क्रिय है। बाक़ी बैंकों और काम की पड़ताल जारी है।
अब सवाल है कि हिंदी , उर्दू , अंगरेजी या उड़िया का कोई लेखक भला अंबानी या अडानी तो है नहीं जो जितेंद्र पात्रो की तिजोरी भर दे। ख़ास कर हिंदी का ज़्यादातर लेखक हैंड टू माऊथ ही होता है। 20 -25 हज़ार में किताब छपवाने का आकांक्षी। अब इस 20 -25 हज़ार में क्या छापेंगे और क्या बचाएंगे ? नहाएगा क्या और निचोड़ेगा क्या ? वाली कहावत याद आती है। इन दिनों किताबों की सरकारी ख़रीद बंद होने के कारण बड़े-बड़े प्रकाशकों की हवा टाइट है। लेकिन फिर भी असल प्रकाशकों के पास बना-बनाया सिस्टम है। एक निश्चित सेटअप है। उन के पास कर्मचारी भी हैं , गोदाम भी। जी एस टी नंबर , इनकम टैक्स , टर्न ओवर , बैलेंस सीट भी है। लेकिन जितेंद्र पात्रो के पास इन सब मामलों में अंधेरा ही अंधेरा है। सोचिए कि आज की तारीख़ में प्रकाशन या रियल स्टेट के व्यवसाय के लिए एक लाख रुपए क्या होता है भला ? एक लाख रुपए में होता क्या है आज की तारीख़ में ? मुंबई जैसी जगह में तो किराए का एक छोटा सा फ़्लैट लेने के लिए सिक्योरिटी अमाउंट भी एक लाख रुपए में नहीं हो सकती। लेकिन जितेंद्र पात्रो तो एक लाख रुपए में कंपनी चला रहे हैं। इतना ही नहीं इन की इन कंपनियों की ज़्यादातर सूचनाएं भी लॉक्ड हैं। जब कि बड़ी-बड़ी कंपनियों की सारी सूचनाएं खुली हैं , सार्वजनिक हैं। इसी लिए मैं बार-बार कह रहा हूं कि जितेंद्र पात्रो प्रकाशन व्यवसाय की आड़ में कुछ और कर रहे हैं। यह दोनों कंपनियां सेल कंपनियां हैं। बोगस कंपनियां हैं। इन की आड़ में यह कोई और ही गुल खिला रहे हैं।
कुछ और संगीन आरोप हैं जितेंद्र पात्रो पर । जिन की पुष्टि होने के बाद जल्दी ही वह सब कुछ सार्वजनिक करुंगा। पड़ताल सतत जारी है।
कृपया इस लिंक को भी पढ़ें :
1 . कथा-लखनऊ और कथा-गोरखपुर को ले कर जितेंद्र पात्रो के प्रलेक प्रकाशन की झांसा कथा का जायजा
2 . प्रलेक के प्रताप का जखीरा और कीड़ों की तरह रेंगते रीढ़हीन लेखकों का कोर्निश बजाना देखिए
3 . जितेंद्र पात्रो , प्रलेक प्रकाशन और उन का फ्राड पुराण
4 . योगी जी देखिए कि कैसे आप की पुलिस आप की ज़ोरदार छवि पर बट्टा लगा रही है
5 . तो जितेंद्र पात्रो अब साइबर सेल के मार्फ़त पुलिस ले कर फिर किसी आधी रात मेरे घर तशरीफ़ लाएंगे
7 . जितेंद्र पात्रो , ज्योति कुमारी और लीगल नोटिस की गीदड़ भभकी का काला खेल
8 . माफ़ी वीर जितेंद्र पात्रो को अब शची मिश्र की चुनौती , अनुबंध रद्द कर सभी किताबें वापस ले लीं
9 . कुंठा , जहालत और चापलूसी का संयोग बन जाए तो आदमी सुधेंदु ओझा बन जाता है
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