tag:blogger.com,1999:blog-27531408130042078272024-03-15T18:10:01.167-07:00सरोकारनामाEditorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.comBlogger1245125tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-12145564610261674892024-02-18T10:36:00.000-08:002024-02-18T10:40:54.641-08:00आचार्य के अवदान से गुलज़ार ज्ञानपीठदयानंद पांडेय प्रकांड पंडित पद्म विभूषण आचार्य रामभद्राचार्य [ गिरिधर मिश्र ] और गुलज़ार [ संपूर्ण सिंह कालरा ] को ज्ञानपीठ मिलने पर कुछ लोग बौखलेश हो गए हैं। यह गुड बात नहीं है। ज्ञानपीठ की उज्जवल परंपरा से , संस्कृत साहित्य के सौंदर्य सौष्ठव से अगर आप परिचित नहीं हैं तो यह आप का दुर्भाग्य है। आचार्य रामभद्राचार्य के संस्कृत साहित्य में अवदान से अपरिचित हैं तो इस में आचार्य रामभद्राचार्य का Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-28916366550579474352024-02-13T07:28:00.000-08:002024-02-13T08:11:31.784-08:00लखनऊ में गोमती नगर पुलिस के संरक्षण में मसाज पार्लर के बहाने उदय पटेल का देह व्यापार का कारोबारदयानंद पांडेय लखनऊ के गोमती नगर में पुलिस के संरक्षण में आज कल कहीं मुजरा हो रहा है , कहीं मसाज पॉर्लर की आड़ में देह का धंधा। पुलिस अपना हिस्सा ले कर आंख मूंदे हुए है। लखनऊ के गोमती नगर में मुजरा के कई सारे वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो लोग चौंके। मुजरे तो किसी तरह बंद हुए पर देह व्यापार का धंधा बदस्तूर जारी है। मसाज पार्लर के बहाने देह व्यापार के अड्डे भी। जो जब चाहे , ऑनलाइन बुक कर ऐशEditorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-70416297849137022232024-02-08T08:49:00.000-08:002024-02-08T08:49:19.773-08:00 लता मंगेशकर से घृणा और नफ़रत करने वाले लोग दयानंद पांडेय क़ायदे से लता मंगेशकर से घृणा और नफ़रत करने वाली फोर्सेज को उन शायरों , कवियों , संगीतकारों , फ़िल्म निर्देशकों , हीरो , हीरोइनों से भी उतनी ही नफ़रत करनी चाहिए , उतनी ही घृणा करनी चाहिए , जितनी वह लता मंगेशकर से करता हुआ दिख रहे हैं। जिन शायरों , कवियों के लता ने गीत गाए। ग़ज़लें गाईं। जिन संगीतकारों के साथ गाए। जिन गायकों के साथ गाए। जिन निर्देशकों , जिन हीरोइनों , हीरो के लिए गाए।Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-70419566795402487412024-02-06T05:25:00.000-08:002024-02-06T05:25:21.798-08:00 इंद्र पुत्र और व्यास नंदन का मर्म दयानंद पांडेय महाभारत में एक क़िस्सा आता है , जो कमोवेश सभी लोग जानते हैं। कि श्रीकृष्ण के पास पहले दुर्योधन पहुंचा था। मारे घमंड के श्रीकृष्ण के सिरहाने बैठा। अर्जुन बाद में पहुंचे और पैताने बैठे। श्रीकृष्ण ने पहले अर्जुन से बात शुरु की और दुर्योधन के पहले आने के हस्तक्षेप को मुल्तवी करते हुए तर्क दिया कि पहले उन्हों ने अर्जुन को देखा , सो वह पहले अर्जुन से बात करेंगे। और की भी। पर श्रीकृष्णEditorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-990305201648200932024-02-03T13:07:00.000-08:002024-02-03T20:11:46.484-08:00आडवाणी बीज हैं , नरेंद्र मोदी उस का फल दयानंद पांडेय अपना-अपना भ्रम तोड़ कर एक बात लोगों को अच्छी तरह जान लेना चाहिए कि लालकृष्ण आडवाणी वह बीज हैं जिस के फल हैं , नरेंद्र मोदी। वृक्ष , शाखाएं , फूल और फल नष्ट हो जाएं , ख़त्म हो जाएं तो फिर हो जाएंगे। लेकिन अगर बीज ही ख़त्म हो जाए तो कुछ नहीं होगा। कभी नहीं होगा। लेकिन देख रहा हूं कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न क्या मिला , कई सारे पके-अधपके फोड़े फूट गए हैं। इन फोड़ों का बदबूदार मवाद Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-42913065367829562972024-01-20T10:26:00.000-08:002024-01-21T00:51:35.159-08:00 चिरयौवना अयोध्या की अधिष्ठात्री देवी अयोध्या को प्रणाम कीजिए !दयानंद पांडेय चिरयौवना अयोध्या की अधिष्ठात्री देवी अयोध्या को प्रणाम कीजिए !आप पूछ सकते हैं यह क्या ? तो जानिए कि ऐश्वर्य में जगमग और भक्ति में लिपटी राम की नगरी अयोध्या के नामकरण की कथा बहुत दिलचस्प और रोमांचक है। यह दिलचस्प कथा न वाल्मीकि बताते हैं , न तुलसीदास , न भवभूति आदि। बताते हैं , कालिदास। रघुवंशम में कालिदास रघुवंश की कथा तो बांचते ही हैं , अयोध्या नगर के बसने की भी बहुत दिलचस्प Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-91410795605705208412024-01-10T22:52:00.000-08:002024-01-10T23:15:14.450-08:00 विपश्यना की मार्केटिंग के शोर- शराबे और उस के शिविर के चुप के बीच का सच है ‘विपश्यना में प्रेम’ भवतोष पांडेय —०—-०——-कथानक , कथावस्तु और उद्देश्य ——कथानक के केंद्र में है विनय नाम का पात्र जो एक गृहस्थ है और कुछ दिनों के लिए गृहस्थ को तज कर या यूं कहिए घर परिवार से छुट्टी ले कर विपश्यना के ध्यान शिविर में आता है ; ध्यान और साधना के अभ्यास के लिए ।शिविर का नियम है - मौन । बल ,दबाव और कृत्रिम अनुशासन के बावजूद मन का शोर है कि थमता ही नहीं । विनय मन की शांति की खोज में घर Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-37165625586305209842024-01-03T04:40:00.000-08:002024-01-03T04:41:09.836-08:00प्रौढ़ स्त्रियों की विवशता के रैपर में लिपटी कहानियां दयानंद पांडेय अर्चना प्रकाश के पास कहानियां बहुत हैं। इन कहानियों को कहने के लिए आकुलता भी पर्याप्त है। कहानियों को कहने के लिए वह क्राफ़्ट , फार्मेट आदि के चोंचलों में नहीं पड़तीं। जैसे नदी बहती है। कभी सीधी , कभी मुड़ती , कभी पाट बदलती हुई। ठीक वैसे ही अर्चना प्रकाश की कहानियां भी बहती रहती हैं। पाट बदलती हुई। पर नदी का चरित्र नहीं छोड़तीं। नदी मतलब स्त्री। स्त्री संवेदना और इस संवेदना Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-43256862864777020942023-12-31T10:25:00.000-08:002023-12-31T10:25:30.846-08:00 राम मंदिर के लिए मोदी की कृष्ण नीति दयानंद पांडेय अयोध्या एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर देने से कुछ व्याकुल भारत घायल हो गए हैं। बहुत ज़्यादा घायल। इन सब का कहना है कि एयरपोर्ट का नाम अगर राम के नाम से बदल कर कुछ करना ही था तो तुलसीदास करना था। महर्षि वाल्मीकि के नाम क्यों किया ? महर्षि वाल्मीकि क्या तुलसीदास से बड़े हैं ? महर्षि वाल्मीकि का अयोध्या से क्या संबंध है? इन घायलों का बड़ा दुःख यह है कि यह निर्णय Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-14049888630868216312023-12-31T06:10:00.000-08:002023-12-31T06:10:28.872-08:00जैसे कैकेयी राम का पुन: वनवास मांग रही हो !दयानंद पांडेय मस्जिदों और मजारों पर जाना शुरु कीजिए। क्यों कि आप की राय में वह अतिक्रमण कर के नहीं बनाए गए हैं। नाम भले अल्ला है , आख़िर वहां भी तो ईश्वर का ही वास है।*अयोध्या में राम की जगह गिद्ध देखना , तो अमृत वर्षा करना है l है , न ? कौन विद्वान किस तरह सिद्ध करेगा , यह गिद्ध अयोध्या भूमि पर ही उपस्थित हैं ? विष वमन करने वाले लोग , एकतरफ़ा बात करने वाले लोग , बहुत ऊंचा , बहुत ज़ोर से Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-18698244726867404292023-12-31T06:09:00.000-08:002023-12-31T06:09:16.007-08:00 राम मंदिर और चंपत राय के बहाने कुछ सयाने लोग और उन के निशाने दयानंद पांडेय मोदी वार्ड के मुट्ठी भर मरीज अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से डायरिया के शिकार हो चले हैं। हजम नहीं हो रहा मंदिर। बस मां-बहन की गाली सीधे-सीध नहीं उच्चार पा रहे हैं क्यों कि राम की आस्था से तो वह भी संलग्न हैं। राम उन के भी भगवान हैं। लेकिन उन की भाव-भंगिमा और शब्दों का भाव बिलकुल यही है। एक मित्र की वाल पर उन की पोस्ट पर मेरा प्रतिवाद और प्रतिवाद में आए अन्य प्रतिवाद पर भी Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-23565665031106909372023-12-08T07:06:00.000-08:002023-12-08T07:06:26.687-08:00विश्वास के प्यास की परवाज़ में डूबी सम्मान और समानता का एकांश ढूंढती कविताएं दयानंद पांडेय एक ख़त तुम्हारे नाम में कुछ ख़त हैं। इन ख़तों में तहरीरें हैं। तहरीरें अलग-अलग हैं। पर ख़ता एक ही है : मुहब्बत। ख़त जैसे किसी रेगिस्तान में भटकते हुए जल-जल जाते हैं। पर ख़त की तहरीर नहीं जलती। कभी नहीं जलती। लेकिन मुहब्बत का कोई मुहूर्त फिर भी नहीं है। न इब्तिदा है , न अंजाम। बस प्यार का जाम है। प्यार के पैमाने में छलकते टेढ़े-मेढ़े रास्ते और उलझे हालात हैं। रिश्तों के फ़ैसलों से उपजे Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-60412555343143531962023-12-07T09:28:00.000-08:002023-12-08T06:47:45.361-08:00तो भाजपा में मोदी के बाद का बा ? दयानंद पांडेय कौन कहां का मुख्यमंत्री बनेगा , यह कहना अभी कठिन है। पर शिवराज सिंह चौहान , रमन सिंह और वसुंधरा राजे सिंधिया 2024 में मोदी के आगामी मंत्रिमंडल का हिस्सा ज़रुर होंगे , यह मेरा स्पष्ट आकलन है। राजनीति और रणनीति अपनी जगह है पर सवाल है कि चुनाव हार कर भी धामी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को भी मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाना चाहिएEditorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-39540514899836530062023-11-24T23:57:00.000-08:002023-11-24T23:57:48.695-08:00गहरे संवेदनशील उच्छ्वास से चंदन का लेप और मालकौंस राग में सनी तीर्थ सी समुज्जवल विपश्यना डा० रंजना गुप्ता ‘विपश्यना’ का चरम यथार्थ’देह, प्रेम में एक आवश्यक वस्तु है अनिवार्य नहीं, ये मेरा मानना है,पर देह के बिना तो कुछ भी संभव नहीं ! ‘शरीरमाद्यम खलु धर्म साधनम् 'देह हमारी वायवीय चुनौतियों के मध्य भी सदा से आ ही जाता है। संपूर्ण समर्पण प्रेम की एक थाती है। पर सृष्टि के संचालन के लिए संपूर्ण समर्पण बिलकुल आवश्यक नहीं है। स्त्री पुरुष की दैहिक संरचना इतनी गहन और परिपूर्ण है, Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-82007768369591942182023-11-21T22:34:00.000-08:002023-11-21T22:34:23.646-08:00प्रेम जब देह की लिपि से लिखा जाता है डॉक्टर सुरभि सिंहविपश्यना में प्रेम पर स्त्री मनोविज्ञान के मद्दे नज़र एक ज़रुरी नोट साहित्य के क्षेत्र में दयानंद जी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उन्होंने अनेक रचनाएं लिखी हैं। जिन्हें मैं कृतियां कहना चाहती हूं। पहले मैं ने उन की कम रचनाएं पढ़ी थीं लेकिन धीरे-धीरे उन की विभिन्न रचनाओं से और रचना शैली से परिचित होती चली गई। आज उन की रचना शैली और लेखन शैली के विषय मेंEditorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-66969814207076067962023-11-18T22:54:00.000-08:002023-11-18T22:54:32.871-08:00विपश्यना में प्रेम : गद्य में पद्य की छांव आशीष कुलश्रेष्ठ 'चुप चुप सी है ज़िंदगी, चुप चुप से हैं लोग। विपश्यना में प्रेम का, छिप कर होता रोग।।'  Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-84170645945716031542023-11-18T10:20:00.000-08:002023-11-18T10:20:43.417-08:00विपश्यना में प्रेम : घट भीतर भी जल और घट के बाहर भी जलसुधा शुक्ला दयानंद के नवीनतम उपन्यास विपश्यना में प्रेम की अनेक विद्वानों ने समीक्षा की है ,सभी अपनी शैली में पूर्ण हैं। मैं नया कुछ लिख भी पाऊंगी ,समझ नहीं पा रही। बस यह एक प्रयास है , कोई समीक्षा नहीं। विपश्यना और प्रेम दोनों का तालमेल दयानंद ही कर सकते हैं ,दोनों ही चाहते हैं पूर्ण समर्पण। विपश्यना जहां अपने अंतस में मैं यानी मानव की शाश्वत खोज है , वहीं प्रेम सृष्टि के आरंभ की। समयEditorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-75102270526310403632023-11-14T22:52:00.000-08:002023-11-14T22:52:46.879-08:00विपश्यना में प्रेम : एक-एक पृष्ठ में बहती रसधारसिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीमूलतः पत्रकार रहे आदरणीय दयानंद पांडेय जी ने अपने विशद साहित्यिक लेखन से अपने विशुद्ध पाठकों को अपना प्रशंसक तो बनाया ही है, लेकिन विशुद्ध साहित्यकार का चोला ओढ़े अनेक स्वनामधन्य लेखकों के पेट में दर्द भी पैदा कर दिया है। बेखटक और बेलाग लेखन ही इन की पूंजी है। इस की चोट किसी को पहुंचती हो तो वह जाने। 'अपने-अपने युद्ध' से मची खलबली तो बहुतों को याद होगी। कोई नंगा सच जो Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-5029688676392051142023-11-09T08:39:00.003-08:002023-11-09T08:39:52.877-08:00 विपश्यना में प्रेम : प्रेम का महाकाव्य तरुण निशांत आप इश्क़-ए-मजाज़ी, काम या सेक्स को जितना लांछित कर लीजिए, प्लैटॉनिक लव, अशरीरी प्रेम या इश्क़-ए-हक़ीक़ी को जितना भी ऊंचा स्थान दे दीजिए, इस धरा पर मानव जीवन का यथार्थ इन सबसे बदलने वाला नहीं है। सामाजिक यथार्थ को उस की सूक्ष्मता में पकड़ना ही एक रचनाकार का लक्ष्य होता है और वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार दयानंद पांडेय ने अपनी नवीनतम कृति "विपश्यना में प्रेम" में इस सच को Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-58747041732768858712023-11-08T08:07:00.000-08:002023-11-08T08:07:34.997-08:00 केजरीवाल शराब बेच रहे थे , नीतीश कुमार सेक्स !दयानंद पांडेय अनपढ़ या पढ़े-लिखे का सेक्स चेतना से कुछ लेना-देना नहीं होता , इंजीनियरिंग की डिग्री लिए हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इतनी सी बात भी नहीं जानते। इस मामले में भाषा या पढ़ाई-लिखाई के कोई मायने नहीं होते। एक पढ़े-लिखे इंजीनियरिंग की डिग्री लिए अरविंद केजरीवाल , शराब बेच रहे थे , नीतीश सेक्स बेच रहे हैं। फ़र्क़ बस इतना है कि केजरीवाल अन्ना आंदोलन से निकले तो नीतीश , जे पी आंदोलन Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-5154461227153146762023-11-05T08:31:00.003-08:002023-11-05T08:31:44.745-08:00चुप की राजधानी में साधना बनी साधन, प्रेम हुआ ट्राई शबाहत हुसैन विजेतादयानंद पांडेय का उपन्यास विपश्यना में प्रेम पढ़ा। पढ़ना शुरू किया तो पढ़ता ही चला गया। लगा जैसे नदी के बहाव के साथ बगैर मेहनत के बहता चला जा रहा हूं। चुप की राजधानी और जहां सांसें दहक रही थीं। जैसे शब्द शिल्प का बहाव हो वहां कहानी की गति कम कैसे हो सकती है।दयानंद पांडेय के लेखन की खासियत यह है कि वह ज़िंदा शब्द गढ़ते हैं। उपन्यास कहानी के साथ फ़िल्म सा चलता है। हर शब्द के साथ एक चित्रEditorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-87721133187062544962023-11-01T00:13:00.000-07:002023-11-01T00:13:55.801-07:00मैं इस उपन्यास की अबाध गति के साथ बहती चली गईज्योत्स्ना कपिल निर्भीक पत्रकार एवं प्रखर रचनाकार, दयानंद पांडेय जी से शायद ही कोई गंभीर रचनाकार अपरिचित होगा। ढेरों कहानियां, एक दर्जन से अधिक उपन्यासों, लेखों, संस्मरण के सर्जक दयानंद जी का लेखन न सिर्फ़ मन को मोहता है, बल्कि निर्बाध गति से पाठक को अपने प्रवाह में बहा ले जाने में सक्षम है। पांडेय जी के सृजन से ,मेरा प्रथम परिचय एक कहानी के द्वारा हुआ। किसी व्हाट्स ऐप समूह में आप की लिखी Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-50085508107991996052023-10-31T11:25:00.000-07:002023-10-31T11:25:24.479-07:00 विपश्यना में प्रेम...! जैसे कोई बंजर भूमि हरीतिमा ओढ़े सुख की नींद सोई होमीनाधर पाठक‘विपश्यना में प्रेम’ शीर्षक पढ़ कर मेरा पाठक मन तनिक चौंकता है। विपश्यना से प्रेम तो ठीक है परंतु विपश्यना में प्रेम...! विपश्यना तो स्वयं से स्वयं का वार्तालाप है, स्वयं को जानने की प्रक्रिया, स्वयं को साधने की प्रक्रिया, स्वयं में उतर कर श्वांसों को गिनने की प्रक्रिया, स्वयं से एक मौन साक्षात्कार या बंद आंखों से ब्रह्मांड को देखने की प्रक्रिया है। बंद पलकों के भीतर कुछ पल के अंधकार केEditorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-26483373377549128232023-10-28T07:58:00.000-07:002023-10-28T07:58:14.353-07:00नत हूं , इस नेह के आगे !दयानंद पांडेय लेखकों की चुनी हुई चुप्पियां , चुने हुए विरोध की बहुत चर्चा हो चुकी है। इतनी कि यह लेखक अपने-अपने गिरोह की खोल में सिमट कर रह गए हैं। जनता से पूरी तरह कट कर रह गए हैं। पाठकों से कोई रिश्ता नहीं रह गया है। कट कर रह गए हैं। ख़ुद ही लिखते हैं , ख़ुद ही पढ़ते हैं , ख़ुद ही सुनते हैं। अपनी गली में श्वान की तरह भौंकते रहते हैं। सो चुनी हुई चुप्पियों , चुने हुए विरोध की तरह किताबों की Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-46263618526104369112023-10-27T11:41:00.002-07:002023-10-31T08:18:23.626-07:00विपश्यना में प्रेम और अश्वघोष के बुद्ध चरितम् महाकाव्य का स्मरण राजकमल गोस्वामी विपश्यना में प्रेम एक सहज पठनीय उपन्यास है जो लंबा और उबाऊ नहीं है अपितु पाठक को आदि से अंत तक बांधे रहता है। साधना के मार्ग में क्या-क्या और कैसी-कैसी बाधाएं आती हैं ऐसा प्रतीत होता है कि लेखक ने उन का स्वयं अनुभव किया हो। कभी अश्वघोष का बुद्ध चरितम् महाकाव्य पढ़ा था जिस में एक सर्ग बुद्ध की मार विजय को समर्पित है। अरति प्रीति और तृषा मार की पुत्रियां हैं जिन की सहायता से Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.com2