Thursday, 19 July 2018

जैसे एक युग बीत गया है , गीतों का


जैसे एक युग बीत गया है , गीतों का । स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से गीत की ही तरह नीरज अब स्मृति-शेष हो गए हैं । नीरज और उन के गीतों का कारवां गुज़र गया है । गीतों को जो लय , मिठास , मादकता और बहार नीरज ने दी है , वह अनूठी है । खुल्लमखुल्ला जो रंगीन जीवन उन्हों ने जिया , वह क्या कोई जिएगा । रजनीश जैसे लोगों ने नीरज के तमाम गीतों पर प्रवचन दिए हैं । हिंदी फिल्मों में जो गीत उन्हों ने लिखे , जो मादकता और जो तबीयत उन्हों ने परोसी है , वह अविरल है , अनूठी है । वह बताते थे कि एक बार राजकपूर ने एक गीत में कुछ बदलने पर हस्तक्षेप किया तो उन्हों ने राज कपूर को डांटते हुए कहा कि देखो , तुम अपनी फील्ड के हीरो हो , मैं अपनी फील्ड का हीरो हूं । तुम अपना काम करो , मुझे अपना काम करने दो । और राज कपूर चुप हो कर उन की बात मान गए थे । एक समय एस डी वर्मन जैसे संगीतकारों से भी नीरज टकरा गए थे । देवानंद दो ही गीतकारों पर मोहित थे । एक साहिर लुधियानवी , दूसरे नीरज । ओमपुरी पहली बार जब लखनऊ में नीरज से मिले तो पूरी श्रद्धा से उन के पांव पकड़ कर लेट गए थे । यह उन के गीतों का जादू था । ओमपुरी उन के गीतों की मादकता पर ही मर मिटे थे । हम भी उन के गीतों पर न्यौछावर हैं । जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना , अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए जैसे आशावादी गीत रचने वाले नीरज आत्मा का गीत लिखते थे । औरतों और शराब में डूबे रहने वाले नीरज ने आध्यात्मिक गीत भी खूब लिखे हैं । रजनीश के अलावा बुद्ध से वह बहुत गहरे प्रभावित थे । बीमारी की जकड़न और 93 साल की उम्र में भी उन का जाना शूल सा चुभ रहा है । उन का एक सदाबहार गीत आज उन्हीं पर चस्पा हो गया है । और हम लुटे-लुटे उसे याद करने के लिए विवश हो गए हैं क्यों कि नीरज का कारवां तो आज सचमुच गुज़र गया है , बस उन की यादों का गुबार रह गया है :

स्वप्न झरे फूल से,
मीत चुभे शूल से,
लुट गए सिंगार सभी बाग के बबूल से,
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे!

नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई,
पाँव जब तलक उठें कि ज़िन्दगी फिसल गई,
पात-पात झर गए कि शाख़-शाख़ जल गई,
चाह तो निकल सकी न, पर उमर निकल गई,
गीत अश्क बन गए,
छंद हो दफन गए,
साथ के सभी दिए धुआँ-धुआँ पहन गए,
और हम झुके-झुके,
मोड़ पर रुके-रुके,
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

क्या शाबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा,
क्या सुरूप था कि देख आइना सिहर उठा,
इस तरफ़ ज़मीन और आसमाँ उधर उठा
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा,
एक दिन मगर यहाँ,
ऐसी कुछ हवा चली,
लुट गई कली-कली कि घुट गई गली-गली,
और हम लुटे-लुटे,
वक़्त से पिटे-पिटे,
साँस की शराब का खुमार देखते रहे।
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे।

हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ,
होंठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ,
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ,
और साँस यों कि स्वर्ग भूमि पर उतार दूँ,
हो सका न कुछ मगर,
शाम बन गई सहर,
वह उठी लहर कि दह गए किले बिखर-बिखर,
और हम डरे-डरे,
नीर नयन में भरे,
ओढ़कर कफ़न, पड़े मज़ार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे!

माँग भर चली कि एक, जब नई-नई किरन,
ढोलकें धुमुक उठीं, ठुमुक उठे चरन-चरन,
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन, चली दुल्हन,
गाँव सब उमड़ पड़ा, बहक उठे नयन-नयन,
पर तभी ज़हर भरी,
गाज एक वह गिरी,
पोंछ गया सिंदूर तार-तार हुईं चूनरी,
और हम अजान-से,
दूर के मकान से,
पालकी लिए हुए कहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

नीरज के कुछ मशहूर गीतों के मुखड़े 

1 कारवां गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे....
2 ए भाई ज़रा देख के चलो, आगे ही नहीं पीछे भी
3 बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ, आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
4 फूलों के रंग से दिल की कलम से तुझको लिखी रोज़ पाती
5 कैसे कहे हम प्यार ने हमको क्या क्या खेल दिखाए
6 शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब
7 ये दुनिया वाले पूछेंगे मुलाकात हुई क्या बात हुई
8 मेघा छाए आधी रात बैरन बन गई निंदिया
9 लिक्खे जो ख़त तुझे जो तेरी याद में हज़ारों रंग के नज़ारे बन गए
10 ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली.....
11 जीवन की बगिया महकेगी
12 दिल आज शायर है गम आज नग़मा है
13 खिलते हैं गुल यहाँ खिल के बिखरने को
14 वो हम न थे वो तुम न थे.....
15 जैसे राधा ने माला जपी श्याम की
16 रंगीला रे मेरे मन में यूँ समाए तेरा मन
17 मेरा मन तेरा प्यासा है मेरा मन तेरा

[ गीतों की यह सूची रिंकू चटर्जी द्वारा संकलित है ]

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर श्रधांजलि

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  2. This comment has been removed by a blog administrator.

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, तेरे रंग में यूँ रंगा है - नीरज जी को श्रद्धांजलि - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. युग ही तो बीता है ...
    नमन है कवि सम्राट को ...

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