दयानंद पांडेय
बात अस्सी के दशक की है । लखनऊ के गोमती नगर में तब के दिनों आई ए एस अफ़सर अखंड प्रताप सिंह का आलीशान घर ख़ूब चर्चा में रहता था । पूरे गोमती नगर में जब बिजली चली जाती थी तब भी दूर से भी एक घर में जगमग बनी रखती थी । लोग अंधेरे में रह कर भी बड़े रश्क से कहते थे , वह देखो अखंड प्रताप सिंह का घर । उत्तर प्रदेश विधान सभा में अखंड प्रताप सिंह के इस आलीशान घर का मामला तब कल्याण सिंह ने उठाया और इसे भ्रष्टाचार का किला , मीनार , गुंबद आदि बताया था । अखंड प्रताप सिंह से सरकार ने इस मकान का हिसाब मांगा। अखंड प्रताप सिंह ने बाकायदा हिसाब दिया और बताया कि इस पूरे मकान में उन्हों ने कुल पांच लाख रुपए खर्च किए हैं । और यह पांच लाख भी उन्हों ने बीवी के जेवर बेच कर , तमाम कर्ज ले कर बटोरे हैं । बैंक से ले कर वेतन के मद में शासन तक से कर्ज लिए हैं ।
उन दिनों अखंड प्रताप सिंह इन कर्जों की सारी किश्तें चुका कर वेतन के मद में सिर्फ़ दो सौ रुपए प्रति माह पाते थे । ऐसे और भी कई आई ए एस अफसर थे जो दो सौ रुपए प्रति माह वेतन पा कर ठाट से रहते थे । खैर जब अखंड प्रताप सिंह ने अपने जिस मकान का कुल मूल्य सिर्फ़ पांच लाख रुपए बताया था कल्याण सिंह ने उसी मकान को पांच करोड़ रुपए में नीलाम करने का प्रस्ताव विधान सभा में रख दिया था । इस शर्त के साथ कि जो भी लाभांश होगा यानी यह सारा पांच करोड़ रुपए अखंड प्रताप सिंह को ही दे दिया जाए । अखंड प्रताप सिंह को लेकिन कल्याण सिंह का यह प्रस्ताव पसंद नहीं आया । उन्हों ने अस्वीकार कर हाथ जोड़ लिए । कल्याण सिंह सहित मुख्य मंत्री के सामने नतमस्तक हो गए । कल्याण सिंह तो नहीं माने मामला उठाते रहे लेकिन सरकार ख़ामोश हो गई । अखंड प्रताप सिंह ने सब कुछ न सिर्फ़ सेट कर लिया बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव भी बन गए । मुलायम सिंह यादव ने अपने शासन काल में बनाया और बचाया ।
आई ए एस अफसरों के एक वर्ग ने उन्हें फिर भी महाभ्रष्ट घोषित किया । सी बी आई के फंदे में आ कर वह जेल भी गए । लेकिन वह घर उन का आज भी सही सलामत है । उन के तमाम फार्म हाऊस भी । जहां वह फूलों की खेती करते हैं और ए सी ट्रकों से दिल्ली भेज कर विदेशों में निर्यात करते हैं । रियल स्टेट में इसी तरह तमाम नौकरशाहों , राजनीतिज्ञों ने कुछ लाख के घर और खेत ख़रीद रखे हैं जिन की वास्तविक कीमत अरबों खरबों में है । इन की खबर कब और कौन लेगा यह कोई जानता हो तो बताए भी । यह खेल अभी भी जारी है कि लोग पचास करोड़ का मकान पांच लाख का बता कर या अरबों का घर एक आध करोड़ का बता कर चैन की नींद सो रहे हैं । कोई तो जगाओ भाई इन अरबपति टाईप लखपतियों को ।
No comments:
Post a Comment