जो लोग नहीं जानते वह अब से जान लें कि तबलीग का मतलब है प्रोपगैंडा। तो तबलीग जमात अपने नाम के अनुरूप प्रोपगैंडा में अभी तक तो बेहद कामयाब है। 1927 में इस्लाम का प्रोपगैंडा करने के लिए तबलीग जमात की स्थापना की गई थी। अगर कोई पूछ ले कि आज़ादी की लड़ाई में तबलीग जमात की क्या भूमिका थी तो वह सांप्रदायिक घोषित हो जाएगा। हां , पाकिस्तान निर्माण में इन की भूमिका क्या थी , यह तो पूछा ही जा सकता है। वैसे भी पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे मुहम्मद रफीक तरार , नवाज शरीफ के पिता मुहम्मद शरीफ, पाक आईएसआई के महानिदेशक जनरल जावेद नासिर जैसे भारत विरोधी लोग इस जमात के सदस्य रहे हैं। अभी भी पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद आफरीदी , इंजमामुल हक तबलीग जमात के सदस्य हैं। गरज यह कि भारत विरोधियों की यह जमात है तबलीग जमात। इसी लिए इस्लाम के साथ-साथ घर-घर कोरोना को पहुंचाने में सक्रिय हैं। देश भर में कोरोना फ़ैलाने में इसी लिए सक्रिय हैं।
देश का ऐसा कोई कोना नहीं है जहां तबलीग जमात के लोग इस समय कोरोना फ़ैलाने के लिए न सक्रिय हों। और कि ये जहां भी हैं क़ानून और सामाजिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ा कर हर किसी को हलकान किए हुए हैं। डाक्टरों पर थूकने , सामूहिक नमाज आदि गलीज हरकतों से आगे बढ़ कर कहीं बेड के सामने वार्ड में शौच कर , किसी अस्पताल से भाग कर , बिरयानी के लिए हंगामा मचाने पर आ चुके हैं। शायद ही किसी शहर की कोई ऐसी मस्जिद हो जहां यह न ठहरे हों। कोरोना बढ़ाना ही इन का मकसद है। वह एक नारा था न कि तुम कितने अफजल मारोगे , हर घर से अफजल निकलेगा की तर्ज पर ये हर घर से कोरोना निकालने की फिराक में हैं। यह प्रोपगैंडा जमात अपने मकसद में अभी तक तो कामयाब दिखती है।
देश में 65 प्रतिशत कोरोना इस जमात ने अभी तक अकेले फैलाया है। और जो यही स्थिति रही तो जल्दी ही कोरोना फ़ैलाने की इन की भागीदारी सौ प्रतिशत पर आ जाएगी। क्यों कि अपने फोन बंद कर अभी भी हर जगह छुपे हुए हैं। विभिन्न प्रदेशों की पुलिस इन्हें खोजने में हलकान है। अच्छी बात है कि केंद्र सरकार और सारी प्रदेश सरकारें एक दूसरे से कंधे से कंधा मिला कर कोरोना से लड़ने में लगी हैं। यह शुभ है। बस कुछ सेक्यूलर टुकड़खोर और तबलीग जमात ही अशुभ बने हुए हैं। इन से भी निपट लिया जाएगा। ऐसी उम्मीद है। क्यों कि मनुष्यता और उम्मीद से बड़ी कोई चीज़ नहीं होती।
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