Tuesday 4 January 2022

उज्जैन ही नहीं भारत की शान भारती भवन की शान और शुचिता को बचना बहुत ज़रुरी है

दयानंद पांडेय 


आप जाइए कभी यूरोप के किसी देश। रुस जाइए। फ़्रांस जाइए। कहीं भी जाइए। लेखकों के घर स्मारक के रुप में मिलेंगे। शेक्सपीयर से लगायत टालस्टाय , गोर्की हर किसी के स्मारक मिलेंगे। लोग वहां फ़ोटो खिचवाते मिलेंगे। लेकिन भारत में तो सरकारें लेखकों का स्मारक तो छोड़िए , उन की निशानी ही मिटाने में लगे हैं। उन का घर ही ढहाने में लगे हैं। क्या तो काशी विश्वनाथ कारीडोर की तरह उन्हें उज्जैन में भी महाकाल कारीडोर बनाना है। महाकाल कारीडोर बने। ज़रुर बने। लेकिन पद्मविभूषण पंडित सूर्यनारायण व्यास का घर मत गिराइए। उसे बचाते हुए बनाइए। याद कीजिए केदारनाथ में बीते 16 जून , 2013  जब प्रलय आया था तो सब कुछ ध्वंस हो गया था। लेकिन प्रकृति ने भी केदारनाथ मंदिर को नहीं छुआ था। संपूर्ण मंदिर सीना तान कर आज भी खड़ा है। तो जब नाराज प्रकृति भी अगर केदार मंदिर को सुरक्षित रख सकती है तो सरकार भी साहित्य के मंदिर भारती भवन को क्यों नहीं सुरक्षित छोड़ सकती। बल्कि उसे और चमका कर , जीर्णोद्धार कर साहित्य के इस मंदिर की प्रतिष्ठा बढ़ा कर , अपनी प्रतिष्ठा भी बढ़ा सकती है। 

बहुत समय हुए भारतीय लेखकों को आंदोलनरत हुए। समय आ गया है कि एक लेखक की विरासत , उस की धरोहर और उस की पहचान को बचाए रखने के लिए सभी भारतीय लेखक आंदोलनरत हों और लेखक की विरासत और उस का घर बचाने के लिए सरकार , प्रशासन और उस की प्रक्रिया पर टूट पड़ें। हम बात कर रहे हैं अपने समय के सूर्य पंडित सूर्य नारायण व्यास के घर और उन की विरासत को बचाने के लिए। देश के लिए धार्मिक विरासत और चिन्ह बचाने की तरह ही लेखक की विरासत को बचाना भी उतना ही ज़रुरी है। 


असल में अपने समय के सूर्य पद्मविभूषण पंडित सूर्यनारायण व्यास के उज्जैन स्थित घर भारती भवन को मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने गिराने के लिए नोटिस दे दिया है। बता दिया है कि यह अवैध है। वह भारती भवन जो आज़ादी की लड़ाई के समय क्रांतिकारियों का अड्डा था। तमाम लेखकों , राजनीतिज्ञों की नर्सरी रहा भारती भवन अब मध्य प्रदेश सरकार को जाने किस तरह अवैध लग रहा है। सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आज़ाद, मदन मोहन मालवीय, सुखदेव, राजगुरु ,  भगत सिंह,लाल बहादुर शास्त्री, जय प्रकाश नारायण , राहुल संकृत्यायन , विशम्भर नाथ शर्मा, , काका कालेलकर, जयशंकर प्रसाद, मैथिलीशरण गुप्त , पांडेय बेचन शर्मा उग्र सुमित्रा नंदन पंत , दिनकर, महादेवी वर्मा, बच्चन , नीरज,  रामकुमार वर्मा, शिवमंगल सिंह सुमन आदि तमाम राजनीतिक और साहित्यिक  विभूतियां  , क्रांतिकारी भारती भवन को प्रणाम करने आईं और यहां रहीं। देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद समेत की भी कर्मभूमि बताई जाता है भारती भवन को। विक्रम विश्वविद्यालय, कालिदास अकादमी, कालिदास समारोह, विक्रम कीर्ति मंदिर , सिंधिया शोध प्रतिष्ठान जैसे तमाम उपक्रम पंडित सूर्य नारायण व्यास की ही देन हैं। कुल हासिल यह कि भारती भवन का ऋणी है देश। 

बस ग़नीमत है कि अभी तहसीलदार की नोटिस आई है। और नोटिस पंडित सूर्यनारायण व्यास की पत्नी के नाम आई है। जो अब दिवंगत हैं। इस तकनीकी आधार पर अभी कार्रवाई विलंबित है। व्यास जी के चार पुत्र हैं। इन चार पुत्रों में सब से छोटे पुत्र राजशेखर व्यास भी लेखक हैं और प्रसार भारती में अतिरिक्त महानिदेशक पद से हाल ही सेवानिवृत्त हुए हैं। वह कोशिश में निरंतर हैं कि किसी तरह भारती भवन बच जाए। पर यह काम किसी अकेले का नहीं है। इस लिए राजशेखर व्यास के साथ सभी लेखकों और संस्कृति कर्मियों , सामाजिक कार्यकर्ताओं , राजनीतिज्ञों हर किसी को इस लड़ाई में अपनी-अपनी क्षमता से खड़ा होना पड़ेगा। ताकि उज्जैन की शान भारती भवन पर कोई आंच न आने पाए। उस का सम्मान और शुचिता बनी रहे। भारती भवन उज्जैन ही नहीं , भारत की भी शान है। आन-बान है। 







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