Wednesday, 7 May 2025

क़ानून , गायकी और पत्रकारिता में अखिलेश यादव की दलाली करने वाले एक साथ खड़े हो गए

दयानंद पांडेय




राहुल गांधी एक समय तत्कालीन कांग्रेसी हिमंत शर्मा से मिलते समय अपने कुत्तों को बिस्किट खिलाते रहे। बात नहीं की। और बाद में वही कुत्तों वाला बिस्किट हिमंत शर्मा को पेश कर दिया। इस संदर्भ को याद करते हुए यह दो फ़ोटो देखिए। देखिए कि पी डी ए के दुकानदार अखिलेश यादव ने कैसे अपने लिए भौकने वालों को कपिल सिब्बल से मिलवाया। पर फ़ोटो साथ नहीं खिंचवाई। इन के साथ फ़ोटो खिंचवाने लायक़ नहीं माना या जाने क्या बात है , वही जानें। पर दोनों फ़ोटो में कपिल सिब्बल के वस्त्र वही हैं। वह बेवफ़ा सनम फ़िल्म में अनवर मदान का लिखा , सोनू निगम का गाया एक फ़िल्मी गाना है न :

इश्क में हम तुम्हें क्या बताये
किस कदर चोट खाये हुये हैं

ऐलहद अपनी मिट्टी से कह दे
दाग लगने ना पाये कफन को

आज ही हमने बदले हैं कपड़े
आज ही हम नहाये हुये हैं।

लेकिन दाग़ तो लग गया है। दिलचस्प यह कि कपिल सिब्बल , नेहा राठौर , संजय शर्मा में से कोई भी पी डी ए वाला नहीं है। सभी अगड़ी जाति के हैं। पर अखिलेश यादव के लिए भौकना , इन की बड़ी ख़ासियत है। क़ानून , गायकी और पत्रकारिता में अखिलेश यादव की दलाली करने वाले एक साथ खड़े हो गए। नंगे हो गए हैं। इस से अच्छी बात और क्या हो सकती है भला !

इस बाबत अखिलेश यादव का ट्वीट भी देख सकते हैं।

लिखा ही था नेहा राठौर ने कि उन के बैंक खाते में सिर्फ़ पांच सौ रुपए रह गए हैं। पर पहुंच गईं एक पेशी के लिए एक करोड़ रुपए लेने वाले कपिल सिब्बल के पास। क्या इतनी क्राऊड फंडिंग मिल गई ? कि यह अखिलेश यादव ही यह भुगतान करेंगे ? दिलचस्प यह कि नेहा राठौर के साथ मशहूर ब्लैकमेलर और अखिलेश यादव के लिए दलाली करने वाले 4 पी एम के संजय शर्मा भी हैं। इन का यू ट्यूब चैनल भी सरकार ने पाकिस्तानपरस्त होने के आरोप में हटवा दिया है। कल रात मेरी एक दूसरी पोस्ट पर बौखला कर संजय शर्मा लगातार तू - तड़ाक और अभद्रता की भाषा बघार रहे हैं। कभी मेरे पांव छूते थे , जब बाक़ायदा दलाल नहीं थे। पर अब दलाली की चर्बी इतनी चढ़ गई है , काला धन इतना आ गया है कि सारी तमीज और भाषा भूल कर अनाप - शनाप , अंट-शंट बोल रहे हैं। मजा लीजिए उन की इस बौखलाहट का भी। उन की अभद्र भाषा का। फ़िलहाल तो कपिल सिब्बल के साथ अपनी फ़ोटो साझा करते हुए अपनी वाल पर लिख रहे हैं : जिंदगी के सुनहरे पल।

एक दलाल , दूसरे दलाल से मिल कर ऐसा ही महसूस कर और लिख सकता है। इस में कुछ नया नहीं है। एक क़ानून का दलाल , एक गायकी की दलाल और एक पत्रकारिता का दलाल।

भाजपा वालों शर्म करो। तुम भी अपने लिए भौंकने वालों , अपने दलालों की रक्षा करने के लिए अखिलेश यादव से कुछ सीखो। कांग्रेस से कुछ सीखो।



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