कुछ फेसबुकिया नोट्स
इन मूर्ख राजनीतिज्ञों को कोई यह क्यों नहीं बता देता कि गीता धार्मिक
ग्रंथ नहीं है। अनवर जलालपुरी ने तो गीता का जो उर्दू शायरी में गीता नाम
से मकबूल अनुवाद किया है उस में उन्हों ने गीता को नगमए इल्म-व-अमल कहा है।
इन राजनीतिज्ञों की मूर्खता भरी बहस और विचार सुनने के बाद अनवर जलालपुरी
द्वारा गीता के अनुवाद के एक शेर में जो कहें तो
धृतराष्ट्र आंखों से महरूम थे
मगर यह न समझो कि मासूम थे
मगर यह न समझो कि मासूम थे
सो यह सब के सब धृतराष्ट्र हैं ।
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मैं अभी गोरखपुर के अपने गांव और ननिहाल से लौटा हूं। मुलायम सिंह यादव के
लिए एक बुरी खबर है । उन की असली जातीय राजनीति की ज़मीन खिसक रही है ।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम तुष्टिकरण के बिना पर राष्ट्रीय स्वयं
सेवक संघ ने बड़ी तेज़ी से यादव समाज में अपनी पैठ बना ली है । ऐसे में
समाजवादी जनता पार्टी बना लेने और लालू प्रसाद यादव से रिश्ता जोड़ लेने भर
से कुछ होने-हवाने वाला है नहीं । तब और जब मुस्लिम वोटर कांग्रेस की तरफ
खिसक रहे हों । एम वाई का फैक्टर बिखर रहा है नेता जी ! सावधान हो जाइए ।
समय बहुत कम शेष रहा गया है विधान सभा चुनाव के लिए । नौकरशाही पहले ही आप
के साथ असहयोग आंदोलन छेड़े हुए है ।
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गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर सवा किलोमीटर का एक प्लेटफार्म है। कुछ रिकार्ड
विकार्ड में भी दर्ज हो गया है । क्या तो दुनिया का सब से बड़ा प्लेटफार्म
है यह । पर समझ में नहीं आता कि क्या सोच कर इसे इतना लंबा बनाया गया है।
क्या मॉनिंग वाक करने के लिए ? या यात्रियों को सिर्फ और सिर्फ तकलीफ देने
के लिए ? रिकार्ड में चाहे जो दर्ज हो लेकिन गोरखपुर रेलवे स्टेशन के लिए
यह लंबा प्लेटफार्म फिलहाल यह एक दाग है , यात्रियों के लिए एक बड़ी असुविधा
है। एक तो यह सवा किलोमीटर का प्लेटफार्म एक नहीं है ।
प्लेटफार्म नंबर एक और दो को मिला कर यह सवा किलोमीटर की लंबाई बनती है।
तो यह रिकार्ड तो फर्जी हुआ । आंख में धूल झोंकना हुआ । तीसरे यात्रियों को
जो असुविधा होती है इतना लंबा चलने में , इस की भी रेल प्रशासन को कुछ खबर
है ? स्वस्थ आदमी भी चलते-चलते थक जाए। साथ में जो सामान हो तो आदमी खच्चर
बन जाए । कुलियों द्वारा यात्रियों की लूट का इंतज़ाम है यह। अगर दस-पांच
मिनट का ही मार्जिन ले कर कोई आया हो और सवारी ने यात्री को जो प्लेटफार्म
के दूसरे सिरे पर उतारा हो तो उस की ट्रेन छूटनी पक्का । और जो कोई वृद्ध
हो , बीमार हो उस का भगवान ही मालिक है। कोढ़ में खाज यह कि प्लेटफार्म नंबर
एक पर तो न पूरा शेड है , न लाइट है। रात के अंधेरे में, सर्दी, धूप या
बरसात में यात्रियों का जो बुरा हाल होता है वही जानते हैं। दिलचस्प यह भी
कि प्लेटफार्म नंबर एक और दो की सरहद क्या है यह भी पता नहीं चलता।
1,355.40 मीटर का यह प्लेटफार्म सफेद हाथी है , यात्रियों के लिए सरदर्द।
कबीर पहले ही कह गए हैं कि लंबा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर , पंथी को
छाया नहीं फल लागे अति दूर ! तो गोरखपुर का यह बड़ा प्लेटफार्म कबीर का वही
खजूर का पेड़ साबित हो रहा है।
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इन पूर्व जनता दलियों को जो सचमुच नरेंद्र मोदी का विरोध ही करना है तो
इन्हें अपनी पार्टियों का विलय कर समाजवादी जनता दल बनाने के बजाय सीधे
कांग्रेस में विलय कर लेना चाहिए। शायद कुछ सफलता मिल भी जाए। नहीं अभी तो
यह पार्टियों का मिलन नहीं , परिवारों का मिलन ज़्यादा लग रहा है । हालां कि
यह सारी कवायद भी लोकसभा चुनाव पूर्व करने की थी । अब तो चिड़िया खेत चुग
चुकी है।
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