Thursday 11 May 2017

तो क्या आई पी एस अफसर चारु निगम शराब माफ़िया के ट्रैप में आ गईं

तो क्या गोरखपुर में गोरखनाथ की सी ओ , आई पी एस अफसर चारु निगम शराब माफ़िया के ट्रैप में आ गईं । या कि अब वह उत्तर प्रदेश में शराब बंदी के लिए कोर काज बन जाएंगी । क्यों कि गोरखपुर के विधायक राधा मोहन अग्रवाल भले मुख्य मंत्री योगी के खास हैं लेकिन वह गोरखपुर में अपनी विनम्रता और सदाशयता के लिए भी परिचित हैं । चिकित्सक हैं , पंद्रह बरस से विधायक हैं । ठेके पट्टे से भी दूर हैं । बी एच यू से पढ़े हैं , बी एच यू और गोरखपुर मेडिकल कालेज में पढ़ा चुके हैं । मैं उन से सीधे परिचित नहीं हूं । बस एक कार्यक्रम में छोटी सी एक औपचारिक मुलाकात है । पर गोरखपुर में उन का यही परिचय , उन की यही छवि बताई जाती है । हां , जिस तरह से वह चारु निगम को चीख़-चिल्लाहट के साथ डपट रहे हैं , वह उन की इस छवि के विपरीत है । उन की सही बात को भी गलत बताने के लिए काफी है । कई बार क्या होता है कि आप गलत बात भी सही तरीके से कह देते हैं तो लोग सही मान लेते हैं । जब कि सही बात भी गलत तरीके से कहने पर बात गलत हो जाती है । राधा मोहन अग्रवाल यहीं गलत हो गए हैं । अब सवाल है कि वह चारु निगम को इस तरह डपट क्यों रहे हैं और कि इस घटना की वीडियो बना कौन रहा है । सूचना है कि यह शराब माफ़िया का काम है । राधा मोहन अग्रवाल को उत्तेजित कर वीडियो बनवा कर उन की छवि को खंडित करना ।
चारु निगम के आंसुओं ने इस में चार चांद लगा दिया । फिर इन आंसुओं ने इस वीडियो को वायरल कर दिया । न्यूज चैनलों ने भी इसे बड़ी खबर बना दिया । इस वीडियो के मार्फत राधा मोहन अग्रवाल गुंडा और दबंग विधायक के रुप में स्टैब्लिश हो चुके हैं । कोई बात नहीं , उन के इस डपटने के तरीके को किसी सूरत जायज नहीं ठहराया जा सकता । निंदनीय है । खास कर किसी स्त्री के साथ यह दुर्व्यवहार किसी जन प्रतिनिधि को हरगिज नहीं करना चाहिए ।
लेकिन आबादी में खुली उस शराब की दुकान की हिफाज़त करती हुई चारु निगम ? आंदोलनरत औरतों की पिटाई करती , करवाती चारु निगम ? वह आई पी एस हैं और आई पी एस की पहली पोस्टिंग सी ओ की ही होती है । वह स्त्री हैं , युवा हैं । उन्हें शराब की दुकान को जान पर खेल कर बचाना क्यों इतना ज़रुरी लगा कि आंदोलनरत महिलाओं जिन में वृद्ध और गर्भवती स्त्रियां भी थीं की पुलिसिया पिटाई हो जाए । अगर कहीं स्कूल, धार्मिक स्थान और आबादी वाले क्षेत्र में शराब की दुकान है तो अवैध है । उसे हटाने के लिए ही स्त्रियां आंदोलन कर रही थीं । पुलिस का काम नियमतः उस शराब की दुकान को हटवाना ही है , आंदोलनरत स्त्रियों की पिटाई नहीं । आंदोलन अपराध नहीं है , शराब की दुकान आबादी में होना ज़रुर अपराध है ।
आबादी में शराब की दुकान नहीं खुल सकती । चारु निगम नहीं जानतीं । या शराब से गरीब स्त्रियों की जो यातना होती है , जो नरक उपजता है , उसे भी चारु निगम नहीं जानतीं । लेकिन राधा मोहन अग्रवाल नामक एक गुंडे विधायक से डर कर रो पड़ती हैं । फ़ेसबुक पर बहादुरी इस आंसू की वीर गाथा लिखती हैं । क्यों नहीं आंसू बहाने की जगह उस गुंडे विधायक की वहीँ डंट कर पिटाई कर देतीं । आखिर लेडी सिंघम बताई जा रही हैं । जो भी हो गोरखपुर का शराब माफ़िया तात्कालिक रुप से अपने मकसद में सफल हो चुका है । बरास्ता चारु निगम के आंसू । अब गोरखपुर का यह शराब माफ़िया कौन है , क्या यह भी बताने की ज़रुरत है । कम से कम गोरखपुर में तो लोग जानते ही हैं । हां , लेकिन बोलने की हिम्मत नहीं कर सकते । राधा मोहन अग्रवाल जैसे गुंडे के खिलाफ बोलने में लेकिन किसी को डर नहीं लगता ।

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