Sunday, 21 December 2014

भारत को आतंक मुक्त करने के लिए युद्ध का अपराध अब कतई ज़रुरी कार्रवाई हो गई लगती है


कुछ फुटकर फेसबुकिया नोट्स 


मैं विशुद्ध रूप से अहिंसा में विश्वास करने वाला व्यक्ति हूं और कि किसी भी सूरत में युद्ध को अपराध मानता हूं। किसी भी सभ्य समाज में युद्ध कोई विकल्प नहीं है । लेकिन बावजूद इस सब के अब मैं स्वीकार करता हूं कि पाकिस्तानी आतंकवाद और उस की सारी मूर्खताओं का जवाब कोई संवाद , कोई विमर्श या कोई डिप्लोमेसी नहीं है। अगर कोई जवाब है इस का तो सिर्फ़ और सिर्फ़ भारतीय सेना और सैनिक कार्रवाई ही है। टी वी चैनलों पर पाकिस्तानी पत्रकारों , सेना के रिटायर्ड अधिकारियों की बातचीत जितनी एकतरफ़ा, जहरीली और कुतर्क भरी सुनने को मिलती हैं उस का कुल निष्कर्ष यही है। कांग्रेस सरकार का रवैया पाकिस्तान के लिए अगर वोट बैंक के मद्देनज़र नरम था तो अब भाजपा की मोदी सरकार भी क्यों नरमी दिखा रही है , यह किसी भी समझ से परे है। भारत को आतंक मुक्त करने के लिए युद्ध का अपराध अब कतई ज़रुरी कार्रवाई हो गई लगती है।

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कई बार अपने कुछ उदारवादी प्रगतिशील सेक्यूलर मित्रों को सलाह देने को मन कर देता है कि वह सीधे पाकिस्तान की नागरिकता क्यों नहीं ले लेते ? आख़िर अल्लामा इकबाल और जोश मलिहाबादी प्रगतिशील होते हुए भी गए ही थे। आख़िर अपना-अपना स्टैंड है। जिस को जैसे चाहे लेने का हक़ है। नागरिकता भी कोई कहीं की ले ही सकता है। लेकिन भईया जहां के नागरिक हैं कम से कम वहां से द्रोह तो मत कीजिए। ऐसी प्रगतिशीलता भी इत्ती भली नहीं होती।

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यह तो बहुत अच्छी ख़बर है कि पंडित मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न दिया जाएगा इस बार। स्वदेशी की अवधारणा , अदालतों में हिंदी , चौरीचौरा कांड में सवा सौ से अधिक लोगों को फांसी से छुड़ा लेना , दलितों के उत्थान आदि के इतने सारे काम किए हैं मालवीय जी ने उन को जितना सम्मान दिया जाए कम है। महात्मा गांधी उन्हें वैसे ही नहीं महामना की उपाधि से विभूषित कर गए। लेकिन जाने वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए ही जाते हैं। उन्हें और उन की स्मृति को बहुत प्रणाम ! पंडित मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी को एक साथ भारत रत्न देना देश का सौभाग्य है ।

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इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
जैसे सच्चे शेर लिखने वाले मेरे महबूब शायर और मित्र मुनव्वर राना को साहित्य अकादमी मिलने पर बहुत बधाई !

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सरोकारनामा की हिट आज डेढ़ लाख की संख्या पार कर गई
हमारे तमाम लेखक साथी जब-तब जाने क्यों पाठक का रोना रोते रहते हैं। हमें तो कभी पाठकों का रोना नहीं रोना पड़ा। शुरू से ही । पाठक मित्रों का स्नेह और उन के स्नेह की इस डोरी से सर्वदा बंधा रहा हूं। यह अटूट डोर और इस का सुफल ही है कि आज सुबह-सुबह हमारे ब्लॉग सरोकारनामा की हिट डेढ़ लाख की संख्या पार कर गई है । आप मित्रों को बहुत-बहुत प्रणाम !

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इण्डिया न्यूज़ पर पाकिस्तान के पूर्व आई एस आई चीफ हामिद गुल उपस्थित हैं । हर सवाल पर वह ऐसे जवाब दे रहे हैं गोया वह खुदा हों और बाक़ी सारे लोग कीड़े-मकोड़े ! हर दूसरी बात पर वह सर्द आवाज़ में लगभग चुनौती देते हुए कह रहे हैं जो करना हो कर लो ! क्या कर लोगे ? इतना सर्द और जालिम अंदाज़ तो हमारी फ़िल्मों के खलनायक भी नहीं आज़मा पाते ! बहस मुंबई हमले के मास्टर माइंड लखवी की ज़मानत पर हो रही है। एक पाकिस्तानी पत्रकार मोहसिन रज़ा भी इसी अकड़ में लबालब भरे पड़े हैं । और लगातार एकतरफ़ा बात करते जा रहे हैं। तर्क और तथ्य से न हामिद गुल को कुछ लेना देना है न मोहसिन रज़ा को। अद्भुत है ! जाने कौन सी रोटी खाते हैं और कौन सा पानी पीते हैं यह पाकिस्तानी ! बरबाद हो गए हैं लेकिन आदाब और अदब अभी तक नहीं आया ! न आने की उम्मीद दिखती है ।

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दुनिया पाकिस्तानी आतंकवाद और पेशावर में मारे गए बच्चों से हलकान है। हाफ़िज़ सईद की जहरीली आग और मुंबई हमले के मास्टर माइंड लखवी की ज़मानत की चर्चा में मशगूल है । हिंदुस्तान पर आतंकवादी हमले की तलवार और धमकी दोनों ही तारी हैं। लेकिन हमारी संसद में विपक्ष और हमारे सो काल्ड सेक्यूलर बंधु अभी तक धर्मांतरण जैसे फालतू विषय पर गुब्बारे में हवा भर-भर कर थके जा रहे हैं ! क्या प्राथमिकता है पार्टनर ? मनुष्यता से इस कदर कुट्टी ? आख़िर इतने बीमार क्यों हैं आप लोग ? कुछ लेते क्यों नहीं ?


 

1 comment:

  1. आपकी पाठक संख्या डेढ़ लाख पार करने की बधाई।
    मुनव्वर राना जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने की बधाई।

    बाकी जहां तक लडाई की बात है तो यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिये कि एक दिन की सीधी लड़ाई में हजारों करोड़ फ़ुंकते। उसके बाद भी जीतने पर भी स्थाई शान्ति की कोई गारण्टी नहीं होती।

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