बीते 19 फ़रवरी को एक पोस्ट लिखी थी पंडिताई करने वालों को गरियाने का मौसम। बहुत सारे वाद-विवाद-संवाद हुए। होते ही जा रहे हैं।
पर इस जहरीले श्वान को देखिए और इस का 20 फ़रवरी की रात का यह कमेंट :
पंडित को नाउ लोहार आदि से कई गुना दिया जाता हैं पंडित को 3000 -4000 दिया जाताहै तो नाउ लोहार आदिको हजार रुपयेही
इस श्वान को जवाब दिया तो इस ने तुरंत फ़ेसबुक को रिपोर्ट किया। फ़ेसबुक के अंधे नीति नियंताओं ने सेकेण्ड भर भी नहीं लगाया और मेरे प्रतिवाद को हटाते हुए मुझे दो दिन के लिए प्रतिबंधित कर दिया। फ़ेसबुक तो अंधा है ही। उस का कान अकसर कौवा ले ही जाता है। पर इस श्वान से आप मित्रों को ज़रुर पूछना चाहिए कि इस प्रतिवाद में क्या आपत्तिजनक है जो किसी समुदाय को आहत कर गई है ? वैसे भी यह श्वान मेरी मित्र सूची में नहीं है। लेकिन जब इस श्वान की वाल देखी तो पाया कि यह अपनी वाल पर बहुत कम पोस्ट करता है। वह भी सामान्य। ख़ैर , मेरा प्रतिवाद यह है , जो पोस्ट में भी उपस्थित है :
विष वमन के प्रवक्ता , किसी मांगलिक कार्य में नेतृत्व कौन करता है ? नाऊ , लोहार ? नाऊ , लोहार का क्या काम होता है , किसी मांगलिक कार्य में ? किसी ब्रिगेडियर और सिपाही का वेतन एक ही होता है क्या ? इंजीनियर और मज़दूर में फर्क करने की क्या ज़रुरत ? फिर जब नाऊ , लोहार को कम पैसा दे कर काम हो जाता है तो पंडित को बुलाना ही क्यों ? उन्हीं से काम चलाना चाहिए। काहे को पैसा फेकना। नाऊ , लोहार से ही मंत्रोच्चारण भी करवा लेना चाहिए। या फिर मंत्रोच्चारण की ज़रुरत भी क्या है। बिना इस के ही काम चला लेना चाहिए। किसी संविधान या क़ानून में तो लिखा नहीं कि पंडित को बुलाया जाना अनिवार्य है। गोली मारिए पंडित को।
एक कोई सुयोग्य गुप्ता [ Suyogya Gupta ] भी बहुत उछाल कूद करता रहा इस पोस्ट पर और लोगों के तमाम प्रतिवाद को जब झेल नहीं पाया तो मुझे ब्लॉक कर चंपत हो गया।
नाम तो इस श्वान का संदिग्ध लग ही रहा है तो आई डी का भी क्या कहें ! बहरहाल आप मित्रों की सुविधा के लिए यमन जीत की आई डी का लिंक यह रहा :
https://www.facebook.com/profile.php?id=100037701014418&comment_id=Y29tbWVudDo2NTc4MTkxMzg4ODYwODg2XzEzODI0MDIwMDU4NDc3MjM%3D
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