Monday, 1 December 2014

सरस कवि गोष्ठी




शुचिता श्रीवास्तव हैं तो मेरी बेटी सरीखी लेकिन काम वह किसी खांटी मां जैसा करती मिलती हैं। और अकसर। खादी को ले कर फैशन डिजाइनिंग का उन का मोह , कविता को ले कर उन का अनुराग, घर संभालने की उन की जद्दोजहद , पढ़ने-लिखने की तबीयत , सब से सब को जोड़ने का उन का उत्साह और जीवन का अनूठा संघर्ष उन्हें इस छोटी उम्र में भी बहुत बड़ा बना देता है । उन का कद बहुत विरल और बड़ा बन जाता है। वह अकसर खादी मेले में अपना स्टाल लगाती हैं और उस मेले में कवि सम्मेलन करवाना भी नहीं भूलतीं। कल 30 नवंबर की शाम कोई खादी मेला नहीं था। लेकिन शुचिता ने 1 , रॉयल होटल में एक बढ़िया कवि गोष्ठी करवा दी । एकदम नए और कुछ पुराने कवियों का संगमन जैसा । हर धारा और हर विचार के लोग उपस्थित थे । न कोई खानापूरी , न कोई खेमेबाज़ी। बच्चों पर कविता पढ़ी गई तो भोजपुरी में भी । गीत , छंद, सवैया, मुक्तक , ग़ज़ल , कविता भी। कोई तीन घंटे से अधिक चली इस सरस कवि गोष्ठी में शुचिता ने संचालन तो सादगी से किया ही , खुद अच्छी कविताएं भी सुनाईं। नसीम साकेती,  मालती त्रिपाठी ,अजयश्री  ,शारदा लाल ,अलका प्रमोद ,हेमंत कुमार ,सत्य जी ,ब्रजेश नीरज ,अजीत प्रियदर्शी ,शोभा त्रिपाठी , आदि लगभग 20 कवियों ने अपनी कविताएं पढ़ीं। समाजवादी और चिंतन सभा के आयोजन में दीपक मिश्र के घर पर हुई इस कवि गोष्ठी की अध्यक्षता मैं ने की। बाद में ग्रुप फ़ोटो भी हुआ । इस मौके की कुछ फ़ोटो पेशे-नज़र है। मन करे तो आप भी लुक करें । हां देखिए कि एक बात बताना तो भूल ही गया। जब इस गोष्ठी के लिए घर से चलने लगा तो अचानक मुंबई से सूरज प्रकाश जी का संदेश मिला कि शुचिता ने बताया है कि आप कवि गोष्ठी की अध्यक्षता करने जा रहे हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था हो सके तो बताइएगा मैं भी कवि गोष्ठी में शामिल हो जाऊंगा। कविता पढूंगा। पर वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था हो नहीं पाई । पर शुचिता की लोगों को लोगों से जोड़ने का जो उत्साह है वह तो हमारे सामने उपस्थित हो ही गया।     








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