न्यायपालिका पर लालू, मायावती, ए राजा, जयललिता को विश्वास नहीं होगा तो क्या हम को -आप को होगा ?
कुछ और फेसबुकिया नोट्स
- अब भारतीय न्यायपालिका पर लालू प्रसाद यादव, मायावती , ए राजा , जयललिता आदि को विश्वास नहीं होगा तो क्या हम को -आप को होगा ?
- कुछ लोग हैं जो रहते तो हिंदुस्तान में हैं पर जेहन से पाकिस्तानी हैं
लेकिन पाकिस्तान से आया आलू खाने में उन को बदहजमी हो रही है , आने से पहले
ही , खाने से पहले ही। सेक्यूलरिज्म की हिपोक्रेसी में यह मोदी विरोध की
नई कैफ़ियत है ।अब जहालत के मारे इन लोगों को यह भला कौन समझाए कि पाकिस्तान
से लाख मुश्किल के बावजूद रोटी और बेटी का रिश्ता सर्वदा से ही है ।
पाकिस्तान का पान , चीनी , आलू , प्याज, मसाला आदि-आदि तमाम चीज़ें भारत के
लोग सर्वदा से ही खाते आ रहे हैं , पाकिस्तान भी भारत की तमाम
चीज़ें खाता ही है । यह कोई पहली बार नहीं होने जा रहा । पाकिस्तानी
शेरो-शायरी , संगीत , फ़िल्में , धारावाहिक आदि अभी भी लोग शौक से देखते
सुनते हैं। हमारा पाकिस्तान से राजनीतिक और सरहदी रिश्ता हमेशा ही से खटाई
में रहा है, लेकिन आतंकवाद , कश्मीर के बावजूद बाक़ी रिश्ते पानी की तरह
चलते रहे हैं । और तमाम मुश्किलों के बावजूद इस के बरक्स हमारा सांस्कृतिक
और व्यापारिक रिश्ता सर्वदा से पुरसुकून और परवाज़ पाता रहा है । क्रिकेट
डिप्लोमेसी की तरह व्यावसायिक और सांस्कृतिक रिश्ते कभी स्थगित नहीं हुए , न
लोगों की आवाजाही । कुछ अपवाद को छोड़ कर । लेकिन पाकिस्तान का आलू भी
लोगों को बदहजमी का सबब अब लग रहा है , उन को जो पाकिस्तान की बिना पर अपनी
रोटी सेंकने के लिए कुख्यात हैं ।
- महात्मा गांधी ने हिंद स्वराज में साफ लिखा है कि तीन लोग समाज के सब से
बड़े दुश्मन हैं। वकील, रेल और डाक्टर। राम जेठमलानी , सलमान खुर्शीद और
कपिल सिब्बल टाइप वकील गांधी की इस बात को निरंतर प्रमाणित करते जा रहे हैं
। ऐसे वकीलों को चुन-चुन कर फांसी दे देनी चाहिए । अपराधी और भ्रष्ट समाज
बनाने में इन वकीलों का जो योगदान है, वह अपने आप में ही एक आपराधिक कृत्य
है। अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को जीवनदान और सम्मान दिलाने वाले यह वकील
एक पेशी के ही तीस-तीस लाख रुपए तक लेते हैं तो इतना पैसा
तो कोई बेईमान ही दे सकता है और कि बेईमानी के काम के लिए ही दे सकता है ।
लालू प्रसाद यादव , मायावती , ए राजा , आशाराम बापू और यह जयललिता जैसे
जनता का धन लूटने वाले लोगों को यह और ऐसे वकील ही बचाते फिरते हैं क़ानून
में छेद खोज-खोज कर । बताइए कि आज आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी जयललिता को
सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत दिलवाने वाले राम जेठमलानी ही हैं । और बहुत बड़े
सेक्यूलर नेता और वकील सलमान खुर्शीद इन दिनों आशाराम बापू को जेल से
छुट्टी दिलवाने की पैरवी में लगे हुए हैं। यह बेईमान वकील ही हैं जो
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बेईमान न्यायमूर्तियों को भी भेड़-बकरी की तरह
खरीदने के लिए दलाल का काम भी करते हैं और न्याय को अन्याय के पक्ष में
खरीद लेते हैं , और न्याय नीलाम हो जाता है खड़े-खड़े !
- जयललिता को ज़मानत मिल जाने की पहली ध्वनि यही है कि अपनी सर्वोच्च अदालत खुल्ल्मखुल्ला बिक गई !
- तो क्या दलित अतिवादी लेखक या संगठन ईसाई मिशनरियों से जुड़ कर उन के इशारे
पर, उन की फंडिंग के दम पर धार्मिक अराजकता फैलाने की गरज से जहर उगल रहे
हैं ? महिषासुर विवाद का झंडा गाड़ने वाले फारवर्ड प्रेस का मामला तो
क्लीयरकट ईसाई मिशनरी से जुड़ा हुआ सिद्ध हो गया है !
- बेटे और बहू की आत्महत्या के बाद गीतकार संतोषानंद को टी वी स्क्रीन पर देख
कर हिल गया हूं । मुकेश के गाए और संतोषानंद के लिखे गीत की यह गुहार
तोड़-तोड़ देने वाली है | तू धार है नदिया की , मैं तेरा किनारा हूं ! नदिया
तो सूख गई है , किनारा तो टूट गया है । अब इस गीत को इस तरह कैसे सुनूंगा ?
आंखों में समंदर है आशाओं का पानी है ! आशाओं का पानी भी तो सूख गया है।
परछाईयां रह जातीं , रह जाती निशानी है ! उन की अबोध नातिन को छटपटाते हुए
देखना इस परछाईं को भी बेमानी कर देता है । संतोषानंद ने
अनगिनत लोगों के जीवन में मधुर गीत दिए पर अब उन्हीं के जीवन से इस तरह
गीत का विदा हो जाना भीतर तक तोड़ कर छलनी-छलनी कर गया है। अब पुरवा कैसी
भी हो , सुहानी तो नहीं ही रहेगी , न पानी का वह रंग रहेगा कि जब जिस में
मिल जाए , उस जैसा हो जाए ! अब इस बेरंग पानी और बेरंग की जिंदगी में मौजों
की रवानी भी भला कैसे आएगी , सोच कर दिल दहल-दहल जाता है । तूफ़ान आ कर चला
गया है और आँख के बादल भी कितना बरसेंगे अब ? ज़िन्दगी की यह कहानी ऐसे भी
खत्म हो जाती है भला ?
- आप नरेंद्र मोदी को पसंद करें या नापसंद यह आप की अपनी सुविधा है। लेकिन इस
आदमी ने यह एक काम तो कर ही दिया है कि भ्रष्ट और जातिवादी , पारिवारिक
राजनीति पर पूर्ण विराम तो लगा ही दिया है । पहले दिल्ली की केंद्रीय
राजनीति से नेहरु गांधी परिवार और अब महाराष्ट्र से पवार और ठाकरे परिवार
और हरियाणा की राजनीति से चौटाला , भजनलाल परिवार की विदाई के साथ ही अब
यह परिवार , जाति , भ्रष्टाचार और छत्रप राजनीति का संभावित अवसान
उत्साहजनक है । अब आप सांप्रदायिक, सेक्यूलर जैसे भारी भरकम लफ्फाज़ी
वाले अल्फाज़ों से अभी भी घिरे हुए हैं , वैचारिक हठ के दुराग्रह में अभी
भी फंसे पड़े हैं तो मित्रों आप को आप का यह आग्रह मुबारक ! अगर यह सब इतना
ही प्रिय था तो क्यों जातिवादी , पारिवारिक भ्रष्टाचारी राजनीति पर आप का
यह हठ अब तक मुंह सिला हुआ था? समय रहते क्यों नहीं खुला ? तब अगर यह सारे
मसले आप का मुंह सिले हुए थे और आप एक सेक्यूलर शब्द के झुनझुने की आड़ में
इस जाति, परिवार और भ्रष्टाचार , कदाचार आदि सब को ' कवर ' किए हुए थे,
इतना कि सेक्यूलर शब्द अपना राजनीतिक-सामाजिक अर्थ भी धूमिल कर बैठा ।
लेकिन जनता-जनार्दन तो जनता-जनार्दन ही ठहरी ! वह क्लीयर बात जानती है , और
ऐसे कदाचारियों को क्लीयर करना भी ! ध्यान रहे देश में पिछड़े ,दलित और
मुस्लिम अस्सी प्रतिशत से अधिक हैं । तो इस बात को ब्राह्मणवादी और भाजपाई
या मोदी भक्त बता कर शुतुरमुर्गी अदा दिखा कर मुंह बिचकाने की गुंजाइश भी
बहुत है नहीं । इस विकल्प को चुनने में सवर्णों से ज़्यादा इन दलित , पिछड़ों
और मुस्लिम मतदाताओं की ही भूमिका है । बाक़ी तो आप मित्रों की लफ्फाज़ी के
लहज़े में बहुत कुछ और भी है पर सच को सच कहने और स्वीकार करने का साहस
अनुपस्थित है यह तो मैं जानता ही हूं ।
- कई बार मैं सोचता हूं कि अगर मेरे जीवन में यह मेरा लिखना न होता तो मैं
क्या होता ? मेरी पहचान भी क्या होती भला ? और कि क्या मैं जी भी रहा होता ?
सांस आख़िर कहां से लेता ? सच, यह लिखना मेरी सांस है ।
- सत्य की आंच लफ़्फ़ाज़ों को लेकिन बर्दाश्त नहीं होती।
- आज तक पर नेशनल कांग्रेस के प्रवक्ता डी पी त्रिपाठी कह रहे हैं कि अब
सिर्फ सेक्यूलर शब्द के इस्तेमाल से कुछ नहीं होने वाला । बात एक्ज़िटपोल
में भाजपा के बढ़त पर हो रही है । कांग्रेस के संजय निरुपम भी हामी भर रहे
हैं । जाने साहित्य और फेसबुक के लफ्फाज़ इस तथ्य को कैसे और किस रूप में
स्वीकार करेंगे।
- फेसबुक पर कुछ दलित विद्वानों की टिप्पणियों को देख-पढ़ कर मैं हैरत में हूं
। आखिर तथ्यों से परे इतना कुतर्क, इतना जहर मन में रख कर भगवान जाने वे
कैसे सांस भी ले पाते होंगे। और इन के समूह में बसे फालोवर तो इन के सुर
में सुर मिलाते हुआं-हुवां करते हुए सियारों को भी मात कर देते हैं । कभी
यह सब देख कर दुःख होता है तो कभी हंसी भी आती है । कुतर्क और तथ्यहीनता के
इन विष बुझे आचार्यों से विवेक , संयम और तर्क-तथ्य आदि सभी पानी मांगें ।
- कई बार लगता है कि कुछ लोग फ़ेसबुक पर सिर्फ़ और सिर्फ़ घृणा और नफ़रत फैलाने
के लिए ही उपस्थित हैं । उन के पास न कोई सकारात्मक सोच है न कोई सकारात्मक
पोस्ट । और इन लोगों का बाक़ायदा एक भरा-पुरा गैंग भी है , हां में हां
मिलाते हुए , जहर से भरे हुए, कुतर्क और गाली गलौज के समर्थन ख़ातिर जिन में
ज़्यादातर फ़र्जी आई डी वाले लोग हैं । इस नाते इन से बहस या विमर्श की कोई
गुंजाइश होती नहीं । क्यों कि हर बात पर इन का टेप हर बार , हर बात पर एक
ही सुर में बजता है। आप को दीवार में सर मारने का शौक हो तो इन की बहस में
ज़रुर शामिल हो जाइए, सब समझ में आ जाएगा और अंतत: आप इन से झख मार कर विदा
ले लेंगे ।
- पाकिस्तान को सीमा पर तो भारतीय सुरक्षा बल लगातार सबक़ सिखा ही रहे हैं
संयुक्त राष्ट्र संघ से भी उसे मुंह की खानी पड़ गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ
ने पाकिस्तानी फ़रियाद को दरकिनार कर कश्मीर पर दखल देने से इंकार कर दिया
है । और कहा दिया है कि आपस में बात कर के ही मामला सुलझाएं।
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