Wednesday, 25 September 2019

सूर्य कुमार पांडेय को बाल साहित्य भारती


कविता कैसी भी लिखनी हो अगर सीखनी हो तो सूर्य कुमार पांडेय से मिलिए। किसी भी छंद में , किसी भी रस में , किसी भी विषय पर आप सूर्य कुमार पांडेय से कविता , कभी भी लिखवा सकते हैं। सीख सकते हैं। कविता जैसे उन की नस-नस में बहती है , गंगा , यमुना , सरस्वती की तरह और वह कविता में। बहुत कठिन है व्यंग्य लिखना , अच्छा व्यंग्य लिखना। लेकिन सूर्य कुमार पांडेय पद्य और गद्य दोनों ही में समान अधिकार से लिखते हैं। और इतना सशक्त लिखते हैं कि बड़े-बड़े दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। हास्य लिखते हैं तो उन्हें पढ़ और सुन कर हंसी का झरना फूट पड़ता है। मुझे याद है कि जब मैं एक फीचर एजेंसी राष्ट्रीय समाचार फीचर्स नेटवर्क में संपादक था तो देश भर के अख़बारों के लिए रोज ही चार लेखों का एक बुलेटिन जारी होता था। तय हुआ कि रोज एक राजनीतिक व्यंग्य में सनी चार , छ लाइन की कविता भी परोसी जाए। इस काम के लिए मुझे जो पहला नाम सूझा वह सूर्य कुमार पांडेय का ही था। उन से जब इस बाबत बात की तो वह बिना किसी नखरे और हिचक के सहर्ष तैयार हो गए। न सिर्फ़ तैयार हो गए बल्कि रोज लिखने भी लगे।

चुटकी नाम से रोज एक छंद वह लिखते। देखते ही देखते सूर्य कुमार पांडेय की चुटकी उस फीचर एजेंसी में खूब चटक हो गई। अख़बार कोई लेख भले ड्राप कर देते थे पर सूर्य कुमार पांडेय की चुटकी ज़रूर छापते थे। लंबे समय तक पांडेय जी ने चुटकी लिखी। इस के पहले वह स्वतंत्र भारत में वह कांव-कांव भी लिखते रहे थे। अभी भी कई दैनिक अख़बारों में उन का साप्ताहिक व्यंग्य नियमित छपता है। टी वी चैनलों से लगायत कवि सम्मेलनों में वह निरंतर सक्रिय हैं। न सिर्फ़ सक्रिय हैं बल्कि मंच पर होने के बावजूद कभी अपनी कविता को बाजारू या स्तरहीन नहीं होने दिया है। लतीफा नहीं होने दिया है। जब मैं अपना उपन्यास बांसगांव की मुनमुन लिख रहा था तब लिखते-लिखते अचानक एक चनाजोर गरम बेचने का दृश्य उपस्थित हो गया। मुनमुन की बहादुरी की शान में चनाजोर गरम बिकना था । बड़ी मुश्किल में पड़ गया। मुझे आज भी छंद लिखने नहीं आता , तब भी नहीं आता था। और गाने के लिए छंद से बेहतर कुछ नहीं होता। वह भी जनता के बीच गाने के लिए। मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करूं ? कलम अनायास थम गई। लाख कोशिश करूं , लिखा ही न जाए। फिर सहसा सूर्य कुमार पांडेय की याद आई। फोन किया उन्हें और अपनी मुश्किल बताते हुए मदद मांगी। उन्हों ने पात्र और स्थितियों की डिटेल पूछी। मैं ने विस्तार से बता दिया। दूसरे ही दिन मुनमुन के नाम से चनाजोर गरम उपन्यास में बिकने लगा। इस गीत ने मुनमुन के चरित्र को और सशक्त बना दिया। उपन्यास चल निकला। आप भी पढ़िए वह चनाजोर गरम वाला गीत जिसे सूर्य कुमार पांडेय ने मुनमुन खातिर लिखा :

मेरा चना बना है चुनमुन
इस को खाती बांसगांव की मुनमुन
सहती एक न अत्याचार
चनाजोर गरम!

मेरा चना बड़ा बलशाली
मुनमुन एक रोज़ जब खा ली
खोंस के पल्लू निकल के आई
गुंडे भागे छोड़ बांसगांव बाजा़र
चनाजोर गरम!

मेरा चना बड़ा चितचोर
इस का दूर शहर तक शोर
इस के जलवे चारो ओर
इस ने सब को दिया सुधार
बहे मुनमुन की बयार
चनाजोर गरम!

मेरा चना सभी पर भारी
मुनमुन खाती हाली-हाली
इस को खाती जो भी नारी
पति के सिर पर करे सवारी
जाने सारा गांव जवार
चना जोर गरम!

जब पढ़ता था तब कविताएं लिखता था। जगह-जगह बड़ी-बड़ी पत्रिकाओं में मेरी कविताएं छपती थीं। एक बार मन हुआ कि पराग में भी छपा जाए। पराग में कविताएं भेजीं। कन्हैयालाल नंदन ने वह कविता वापस करते हुए लिखा था कि बच्चों के लिए हमेशा छंदबद्ध कविताएं ही लिखनी चाहिए। फिर बाद में पराग में मेरी कहानियां तो छपीं। लेकिन कविताएं नहीं। लिखी ही नहीं। लेकिन अपने सूर्य कुमार पांडेय ने व्यंग्य से ज़्यादा बच्चों के लिए कविताएं लिखी हैं। सोहनलाल द्विवेदी सूर्य कुमार पांडेय की बाल कविताओं के घनघोर प्रशंसक थे। पांडेय जी ने युवा अवस्था में उन के साथ मंच भी शेयर किया है। सूर्य कुमार पांडेय के खाते में बच्चों के लिए एक से एक नटखट , एक से एक मासूम कविताएं हैं । बचपन की ओस में भीगी हुई। निर्दोष और सुकोमल। व्यंग्य लिखना जितना कठिन होता है , बच्चों के लिए लिखना उस से भी ज़्यादा कठिन। बाल हठ और बाल मनोविज्ञान को जानना दोनों ही किसी लेखक के लिए आसान नहीं। सब के मन को जानना , मापना और समझना भी कठिन ही होता है लेकिन बच्चों के मन को समझना , उसे लिखना और फिर बच्चों के दिल में बस जाना तो जादूगरी ही होती है। अपने सूर्य कुमार पांडेय बच्चों के मन को जानने और उन के दिल में बस जाने का जादू जानते हैं। सूर्य कुमार पांडेय की इसी जादूगरी को सम्मान देते हुए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने उन्हें बाल साहित्य भारती से सम्मानित करने की घोषणा की है। बाल साहित्य सम्मान से सम्मानित होने के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय सूर्य कुमार पांडेय जी , कोटिश: बधाई ! आप ऐसे ही लिखते रहें और बच्चों से ले कर बड़ों तक को हंसाते , गुदगुदाते खूब सक्रिय और स्वस्थ रहें। बहुत-बहुत बधाई ! आप मित्र लोग भी सूर्य कुमार पांडेय को उन के मोबाइल नंबर 9452756000 पर बधाई दे सकते हैं।

1 comment:

  1. जी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं सूर्य कुमार पांडेय जी को।
    जानकारी युक्त सुंदर प्रस्तुति।

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