द वायर , स्क्राल , कारवां , और द लीफलेट जैसे न्यूज़ पोर्टल किस के लिए काम करते हैं ? अगर किसी को ग़लतफ़हमी हो तो जान ले कि कांग्रेस के लिए काम करते हैं। कांग्रेस द्वारा पोषित यह पोर्टल कांग्रेस द्वारा प्रायोजित खबरों को ही चलाते हैं। नरेंद्र मोदी की नफ़रत में डूबे यह जहरीले पोर्टल तहलका का परिष्कृत और समृद्ध संस्करण हैं। एजेंडा न्यूज के शीर्ष पर बैठे यह सभी पोर्टल अपराधियों की तरह ख़बर चलाने की सुपारी लेते हैं । याद कीजिए कि सी बी आई के निदेशक रहे सुप्रीम कोर्ट को दिया गया आलोक वर्मा का सील बंद जवाब भी द वायर ही छापता था। कांग्रेस की लड़ाई लड़ते हुए। संयोग से कांग्रेस आलोक वर्मा की लड़ाई हार गई और कांग्रेस के टूल बने आलोक वर्मा निपट गए। अब राफेल को ले कर जब राहुल गांधी के ख़िलाफ़ कंटेम्प्ट सुनवाई का समय आया तो कांग्रेस आखिर अपनी मुगलिया साज़िशों पर उतर आई। चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ एक औरत को आगे बढ़ा कर यौन उत्पीड़न का मामला बनाया गया और इस बाबत उस औरत की एफीडेविट को द वायर , स्क्राल , कारवां , और द लीफलेट जैसे पोर्टलों पर छपवाया गया। आहत हो कर जस्टिस गोगोई शनिवार को भी बंद कोर्ट खोल कर बैठे और इस मामले की सुनवाई के लिए एक अलग बेंच बना दी।
कांग्रेस आखिर अपनी मुगलिया साज़िशों में निरंतर घिरती जा रही है। पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रहे दीपक मिश्रा को घेरा। दीपक मिश्रा भी कांग्रेसी पृष्ठभूमि के ही थे। लेकिन कांग्रेस के डिक्टेशन पर नहीं चलने के कारण कांग्रेस ने दीपक मिश्रा के ख़िलाफ़ महाभियोग की धमकी दी। जस्टिस लोगों के एक ग्रुप से प्रेस कांफ्रेंस करवाई। दीपक मिश्रा का गुनाह यह था कि उन्हों ने राम जन्म भूमि मामले की सुनवाई के लिए बेंच बना दी थी। लेकिन इन प्रसंगों से वह घबरा गए । अंततः दीपक मिश्रा ने राम जन्म भूमि केस को ठंडे बस्ते में डाल दिया और चुपचाप रिटायर हो गए। और अब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का नंबर आ गया है। गोगोई भी कांग्रेस के डिक्टेशन पर चलने से अब इंकार कर चुके हैं। लेकिन कांग्रेसी पृष्ठभूमि के रंजन गोगोई ने दीपक मिश्रा की तरह चुप रहने की जगह दहाड़ लगा दी है। कभी कांग्रेस और लेफ्ट की शह पर दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस की कमान संभालने वाले रंजन गोगोई ने कह दिया है कि न्यायपालिका की आज़ादी गंभीर ख़तरे में है। बिलो द बेल्ट आरोप से आहत जस्टिस गोगोई ने साफ कह दिया है कि लेकिन कुछ भी हो , मैं अपने कार्यकाल के अंतिम दिन तक निडर हो कर इस कुर्सी पर रहूंगा । यह अविश्वसनीय है। मैं इन आरोपों को नकारने के लिए नीचे नहीं झुकूंगा। मैं ने आज अदालत में बैठने का असामान्य और असाधारण कदम उठाया है क्यों कि चीज़ें बहुत आगे बढ़ चुकी हैं।
गोगोई ने आहत हो कर कहा है कि इज्जत ही एकमात्र चीज़ है जो हमें मिलती है , अब इस पर भी हमले हो रहे हैं। गौरतलब है कि उक्त महिला के आरोप के बाबत मीडिया को सुनवाई होने तक ख़बर न लिखने पर रोक लगी हुई थी। लेकिन द वायर , स्क्राल , कारवां , और द लीफलेट जैसे न्यूज़ पोर्टल ने एक साथ , एक जैसी ख़बर जारी कर दी।
अब कांग्रेस यह प्रचारित कर रही है कि चीफ़ जस्टिस पर यह हमला भाजपा ने करवाया है। क्यों कि राम जन्म-भूमि मामले की भाजपा के हिसाब से सुनवाई नहीं हुई। लेकिन अब जब राहुल पर कंटेम्प्ट को ले कर गोगोई ने सख्त रुख अपना लिया है तो कांग्रेस अब दाएं-बाएं देख रही है। ज़िक्र ज़रूरी है कि चीफ जस्टिस गोगोई कांग्रेस प्रभावित माने जाते हैं। इन के पिता आसाम में कांग्रेस के मुख्य मंत्री रहे हैं , भाई अभी भी कांग्रेस में हैं। लेकिन आदमी की ख़ुद की इज्जत पर आती है तो आदमी सारी प्रतिबद्धता भूल जाता है। गोगोई ने कहा ही है कि यह मेरी इज्जत पर हमला है। कांग्रेस ने रंजन गोगोई को भी , दीपक मिश्रा की तरह डरपोक जस्टिस समझ लिया था। लेकिन दांव ग़लत चल दिया। देखना दिलचस्प होगा कि राहुल का राफेल पर क्या होता है । बाकी और भी कई महत्वपूर्ण मामले बस गोगोई के सामने आने ही वाले हैं। कांग्रेस अब दिल थाम कर बैठे। घायल गोगोई भरे बैठे हैं। अपना बैंक बैलेंस बता कर ख़ुद को सामने कर दिया है । मेरे मित्र और भोजपुरी के मशहूर गायक बालेश्वर एक गाना गाते थे , जे केहू से नाईं हारल , ते हार गइल अपने से !
ReplyDeleteअसम के भूतपूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री गोगोई के पुत्र व वर्तमान में भारत की सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई भी, यौन शोषण व उत्पीड़न के आरोपों के घेरे में आकर, कांग्रेसी चरित्र के असली द्योतक निकले।
मुख्य न्यायाधीश गोगोई के विरुद्ध एक 35 वर्षीय महिला ने जो पहले सर्वोच्च न्यायालय में कनिष्ठ कोर्ट सहायक के पद पर कार्यरत थी ने आरोप लगाया है कि मुख्यन्यायाधीश ने 10 अक्टूबर व 11 अक्टूबर 2018 को अपने निवास स्थान में, उसका, यौन शोषण करने का प्रयास किया था। इस महिला ने अपने आरोपो का शपथपत्र न्यायालय के सभी 22 न्यायाधीशों को भी भेज दिया है।
आरोपी महिला में अपने शपथपत्र में बताया है कि “उन्होंने(मुख्यन्यायाधीश रंजन गोगोई) मुझे मेरी कमर से पकड़ लिया और मेरे पूरे शरीर को छुआ। फिर अपने शरीर को मेरे ऊपर डाल कर मेरे शरीर को दबाया। मैंने छूटने की कोशिश की लेकिन उन्होंने, अपनी गिरफ्त से मुझको छूटने नही दिया। उन्होंने मुझसे, उनको पकड़ने को कहा लेकिन मैं जड़वत हो गयी और अपने शरीर को उनसे दूर रखने का प्रयास करती रही।"
आगे पीड़िता कहती है कि उसके द्वारा इनकार किये जाने के बाद वह उनके निवास के ऑफिस से हट गई, जहां वह अगस्त 2018 से नियुक्त थी। इस घटना के 2 माह के बाद उसको, 3 आरोप लगाते हुए, 21 दिसम्बर को नौकरी से निकल दिया गया, जिसमे एक आरोप था की बिना पूर्व अनुमति के 1 दिन का आकस्मिक अवकाश लिया था।
यही नही इसके बाद उसके परिवार को भी पीड़ित किया गया। उस के पति और बहनोई जो दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल है, उनको 28 दिसम्बर 2018 को 2012 के ऐसे केस में निलंबित कर दिया गया, जिसमे समझौता हो चुका था।
उसके बाद 11 जनवरी 2019 को पुलिस वाले उसको मुख्यन्यायाधीश के निवास पर ले गये, जहां मुख्यन्यायाधीश की पत्नी ने उसको जमीन पर बैठ कर नाक रगड़ कर माफी मांगने को कहा। उसने, यह न जानते हुए की किस बात की उससे माफी मंगवाई जारही है, उसने वह सब किया, जो उससे कहा गया था।
उसके द्वारा माफी मांगने के बाद भी उसके देवर, जो दिव्यांग है और सर्वोच्च न्यायालय में अस्थायी रूप से 9 अक्टूबर 2018 से कनिष्ठ कोर्ट अटेंडेंट के पद पर कार्यरत था, उसकी नौकरी, बिना कारण बताए, 14 जनवरी 2019 को समाप्त कर दी गयी।
पीड़िता का आरोप है कि उसके विरुद्ध प्रताड़ना सिर्फ यहीं तक नही रुकी, उसके बाद 9 मॉर्च 2019 को दिल्ली की पुलिस राजस्थान में उनके पुश्तेनी घर से उसको और उसके पति को, एक फ़र्ज़ी केस में लेने पहुंच गई। उसको अपने पति, देवर, देवरानी और एक रिश्तेदार के साथ तिलक मार्ग पुलिस स्टेशन में रोके रक्खा गया और मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना दी हई। उनके हाथ पैर बांध कर, बिना खाने पानी के 24 घण्टे थाने में बन्द रक्खा गया। पीड़िता ने अपने शपथपत्र के साथ थाने का वीडियो भी संलग्न किया है।
मैं मानता हूँ कि भारत के मुख्यन्यायाधीश गोगोई के विरुद्ध, आरोपी महिला के यौन उत्पीड़न के साथ, उसके परिवार को पुलिस द्वारा प्रताड़ित किये जाने के आरोप इतने गम्भीर है कि प्रथमदृष्टया इनकी अवेहलना नही की जासकती है।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (25-04-2019) को "एक दिमाग करोड़ों लगाम" (चर्चा अंक-3316) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'