Wednesday, 10 April 2019

बइठ राफ़ेल अब उड़ो अकासा



 दयानंद पांडेय

बइठ राफ़ेल अब उड़ो अकासा 
इहां नहीं अब वोट के  आसा

मतदाता का विवेक ही जाने  
अब कौन है सोना , कौन है कांसा 

ई झूठ कि ऊ झूठ कि सारे झूठ 
किसी के पास नहीं सच का पासा  

झूठ के दलदल में बोलें ख़ुद को सांच
चुनाव जीतने के लिए खुद को फांसा

बैंड बजाते घूम रहे थे इन का उन का 
बाज रहा अब उन के सिर पर तासा

[ 10 अप्रैल , 2019 ]


1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (12-04-2019) को "फिर से चौकीदार" (चर्चा अंक-3303) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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