फ़ोटो : अनन्या पांडेय |
ग़ज़ल / दयानंद पांडेय
दादरी में सेक्यूलरिज्म की चांदनी है बताऊं कैसे
मालदा इस के विपरीत है यह बात बताऊं कैसे
शून्य का महत्व हमारे खेल में भी बहुत है सर्वदा से
दादरी के शून्य की ताक़त सामने है छुपाऊं कैसे
मालदा का दर्द भूले रहेंगे मां की दवाई की तरह
बहुत बड़े हिप्पोक्रेट हैं हम यह बात बताऊं कैसे
हम लिखते हैं पढ़ते हैं बोलते हैं उन की सुविधा पर
भौंकते भी उन के कहने से हैं यह राज़ बताऊं कैसे
उन का सीधा आदेश है दूध को काला बताने का
पर दूध सफ़ेद होता है इस सच को छुपाऊं कैसे
हम हुकुम के गुलाम हैं पान की बेग़म और जोकर भी
सारे पत्ते उन के हैं यह बात आप को बताऊं कैसे
कम्यूनलिज्म वर्सेज सेक्यूलरिज्म का आर्केस्ट्रा
उन के कहने से बजाता हूं यह बात बताऊं कैसे
जम्मू कश्मीर देश से कट जाता है कट जाने दो
इस मसले पर चुप रहना मुफ़ीद है बताऊं कैसे
सैनिक मरते हैं सीमा पर रोज तो मर जाने दो
यह हमारा एजेंडा नहीं है लेकिन बताऊं कैसे
इतना सटीक बयान नये वर्ष की सबसे सुंदर सौगात है।
ReplyDeleteकवि और कविता जाएंगे लाख बरस।