Friday, 15 January 2016

वह ईमानदार है इस लिए बहुत हैरान और परेशान है


फ़ोटो : सुशील कृष्णेत
ग़ज़ल / दयानंद पांडेय

मजे उसी के हैं जो जालसाज कमीना और बेईमान है 
वह ईमानदार है इस लिए बहुत हैरान और  परेशान है 

कोई पागल समझता है कोई केमिकल लोचा  बताता है 
वह डिगता नहीं ईमान से इस से परेशान हर बेईमान है 

फकीर नहीं है पर दीखता और रहता फकीर जैसा  है 
कपड़े लत्ते से बेपरवाह गर्वीली ग़रीबी उस की शान है 

बंगला नहीं कार नहीं लाकर या सोने से लदी बीवी नहीं
बिगड़ैल बेटा भी नहीं वह तो रोटी दाल में ही परेशान है 

दुःख जैसे दोस्त है सुख से घनघोर दुश्मनी है उस को
मुश्किलें उस की मौसी हैं बेबात अड़ जाना पहचान है 

टूट सकता नहीं झुक सकता नहीं समझौता सुहाता नहीं 
उसे अपनी अनमोल ईमानदारी पर बहुत ज़्यादा गुमान है 

[ 15 जनवरी , 2016 ]

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-01-2016) को "सुब्हान तेरी कुदरत" (चर्चा अंक-2224) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुंदर गजल

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