हां, ज्योतिष में विश्वास करता हूं।
-आप जानते हैं कि कौन सा ग्रह और कौन सा पत्थर गायक बनाने में मदद कर सकता है?
नहीं, गायन तो पैदाइशी है। अगर आप गाना नहीं जानते तो रूबी पहन कर नहीं गा सकते।
-आप गाना गाते समय क्या फ़िल्म के हीरो की छवि भी ध्यान में रखते हैं?
नहीं। हां, सिचुएशन तो सुनता हूं। क्यों कि गाना तो अब पहले रिकॉर्ड होता है और हीरो बाद में सैलेक्ट होता है। पहले बताते भी थे कि कौन हीरो है, पर आज अगर बताते भी हैं तो अगर बताया कि हीरो गोविंदा है तो फ़िल्म जब आती है तो अक्षय कुमार हीरो हो जाता है। तो मैं खुद को हीरो मान कर गा लेता हूं।
-तो क्या इसी नाते आप अब फ़िल्मों में अभिनय करने लगे हैं?
ऐसा कारण नहीं है। बात ऐसी है कि वह स्टोरी ही सिंगर के लिए है और मेरी मातृभाषा बंगला की फ़िल्म है। इस के लिए मैं ने अपना वज़न भी घटाया है कोई 27 किलो। पहले मेरा वजन 102 किलो का था।
-आप गायकी खातिर अपने गले को फिट रखने के लिए परहेज भी करते हैं?
परहेज नहीं करता, क्योंकि यह तो नेचर की चीज़ है। हां, अगर मैं गले का परहेज रखना शुरू कर दूंगा तो ज़रूर गला खराब हो जाएगा। मैं तो तेल फ्राई की तमाम चीज़ें खाता हूं। आइसक्रीम खाता हूं। स्पाइसी खाना मुझे बहुत पसंद है। चाइनीज और मुगलई मेरा फेवरिट खाना है और मैं खुद भी एक अच्छा कुक हूं। जब जो चाहता हूं, बना लेता हूं।
-पर जब आप ने इधर वज़न घटाया है तो क्या डाइटिंग की थी?
डायटिंग जैसी कोई बात नहीं। खाने में थोड़ी क्वांटिटी घटा दी और एक्सरसाइज की।
-लखनऊ आप पहली बार आए हैं?
हां, लखनऊ मेरे लिए फर्स्ट टाइम है।
-कभी उत्तर प्रदेश के किसी और शहर में आना हुआ है क्या पहले?
दिल्ली क्या यूपी में है। दिल्ली आया हूं।
-पर दिल्ली तो यूपी में नहीं है?
तो नहीं आया। आज फ्लाइट के रास्ते में बनारस पड़ा था।
-क्या लखनऊ घूमने का इरादा है?
घूम नहीं पाऊंगा। कल शाम को चार बजे बंबई में रिकॉर्डिंग है। राजेश रौशन जी का एक गाना गाना है, इस लिए चला जाऊंगा।
-किस फ़िल्म के लिए?
फ़िल्म का नाम पता नहीं। गाने का ट्यून और गीतकार का नाम भी पता नहीं।
-आप कुछ पढ़ते भी हैं?
पढ़ना अब नहीं हो पाता। पहले डिटेक्टिव नॉवेल्स पढ़ता था। अब डिस्कवरी चैनल और कार्टून टीवी पर देखता हूं।
-अखबार भी नहीं पढ़ते?
अखबार मंगाता तो हूं। टाइम्स आफ इंडिया। बाथरूम में देख लेता हूं, पर पढ़ नहीं पाता। पर मंगाता इस लिए हूं कि लोगों को लगे कि मैं पढ़ता हूं। (कह कर वह हंसते हैं।)
-हिंदी सिनेमा देखते हैं?
बहुत कम। वैसे अंगरेजी फ़िल्में देख लेता हूं। खास कर फाइट, थ्रिलर वाली फ़िल्में।
-आर्ट फ़िल्में?
आर्ट फ़िल्म देखने के लिए सोने का वक्त चाहिए। जिंदगी में टेंशन वैसे ही बहुत है। आर्ट फ़िल्में देखकर टेंशन और बढ़ाना नहीं चाहता।
-पॉलिटिक्स?
आई हेट पॉलिटिक्स। अब क्यों? आप जानते हैं, क्यों कि पॉलिटिक्स में रियालिस्टिक कुछ है नहीं।
-वोट तो देते हैं?
वोट मैं ने दिया नहीं। कम से कम आठ-नौ साल से। मेरा वोट कोई और दे देता है, तो यह भी रियालिस्टिक है।
-आप को पसंद क्या है?
कंट्री घूमना पसंद है। मुझे पहाड़ और समुद्र पसंद है। आई लव नेचर।
-माना जाता है कि जिन को प्रकृति से लगाव होता है, वह इमेजिनेशन भी काफी रखते हैं?
मैं नहीं रखता। सुबह उठ कर सोचता हूं कि इमेजिनेशन कुछ करूं। पर यह भी जानता हूं कि वह कभी होने वाला नहीं है। तो कहता हूं चुपचाप गाने पर निकल जाओ बेटा, पर सपने तरह-तरह के देखता हूं। बिल्कुल फैंटेंसी भरे।
-आप को गाने किस तरह के पसंद हैं?
गाने मैं हर किस्म का गा चुका हूं। पर सेमी क्लासिकल, सैड सांग्स और रोमांटिक गाने मेरी पसंद के गाने हैं।
-आप का अपना गाना, कौन सा गीत आप को पसंद है?
जुर्म फिल्म का जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए। साजन फिल्म का ये दिल कितना पागल है, ये प्यार तुम्हीं से करता है तथा 1942 ए लव स्टोरी का गाना कुछ न कहो, कुछ ना सुनो भी पसंद है। ऐसे देखने जाऊं तो मुझे अपना गाया बहुत सारा गाना पसंद है।
-गायकी का स्टारडम इन दिनों हिंदी फ़िल्मों में किस के पास है?
मैं खुद स्टारडम के दौर से गुज़र रहा हूं। आशिकी के बाद से। दरअसल स्टारडम शब्द एक्टिंग से है। पर जैसे कि लोग सिंगर को फेस वाइज पहले पहचानते नहीं थे, पर अब इतना मीडिया आ गया है कि लोग जान गए हैं और कहते हैं, देखो वो जा रहा है।
-तो एक्टर स्टार और सिंगर स्टार में फर्क क्या है?
एक्टर स्टार्स और हम में फर्क यह है कि एक्टर या एक्ट्रेस आंखों से दिल में उतरते हैं और हम कानों से दिल में उतरते हैं। पर आंख एक दिन में सात बार झपकती है, तो स्टार चेंज होते रहते हैं। तो आंख के कई पर्दे होते हैं। आंख एक बार आप की झपकी तो दिलीप कुमार, फिर झपकी तो अमिताभ, शाहरूख वगैरह-वगैरह। पर कान में ऐसा कोई पर्दा नहीं होता। कोई झपकी-वपकी नहीं होती। एक बार आपने सुना तो हम आप के हो गए।
-ऐसा क्या हो सकता है कि कोई आप का फैन हो, आपका फॉलोवर हो और आपकी ज़िंदगी में आ जाए?
फॉलोवर? मेरी जिंदगी में क्यों आएगा? मैं खाली तो नहीं हूं कि कोई आ जाए। बड़ी परेशानी है।
-आप का बिखरा दांपत्य हमेशा चर्चा में रहता है?
पर्सनल लाइफ के बारे में बिल्कुल बात नहीं।
-बीते दिनों आपने एक ट्रस्ट बनाया था?
ट्रस्ट बनाया तो अच्छे के लिए।
-कहा गया कि आप ने ऐसा अपनी संपत्ति से पत्नी को वंचित करने के लिए किया?
यह सब गलत बात है। सब झूठ खबरें हैं।
-अभी आप का एक वीडियो एलबम आया है, उस में आप काफी शर्माते हुए दिखते हैं?
हां, सिंगर को एडमायर करने वाला करेक्टर है।
-कुनिका के साथ आप की दोस्ती की चर्चा भी खूब होती है?
हां, हमारी बहुत अच्छी दोस्ती है।
-यह भी कहा जाता है कि आपका दांपत्य इसी लिए बिखरा है?
दांपत्य इस लिए नहीं बिखरा।
-आप के बिखरे दांपत्य का गायकी पर भी असर पड़ा होगा?
गायकी पर कोई असर नहीं पड़ा।
-आप गायकी की दुनिया में आए कैसे?
पहला चांस जगजीत सिंह ने दिया। आंधियां फ़िल्म के लिए। पर पहला ब्रेक जादूगर फ़िल्म से मिला। फर्स्ट हिट फ़िल्म आशिकी थी। 26 गाने एक दिन में रिकॉर्ड करने का गिनीज रिकॉर्ड भी है मेरा। पांच बार लगातार फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड भी मुझे मिला है।
-आप ने संगीत की कोई विधिवत शिक्षा भी ली है?
बिल्कुल नहीं। कोई गुरु भी हमारा नहीं है, पर हमारी फ़ैमिली म्यूजिकल है। खानदानी। बड़े भाई रापन भट्टाचार्य बंगला फ़िल्मों में म्यूजिक डॉयरेक्टर हैं। पिता जी प्योर क्लॉसिकल हैं।
-आप के इस तरह के गाने से पिता नाराज नहीं होते?
बिलकुल नहीं।
-रियाज कितनी देर करते हैँ?
रियाज बिलकुल नहीं। दिन में जो गाने गाता हूं, वहीं रियाज है।
-बंबई में घर में कौन-कौन है?
घर में मैं अकेला हूं। एक डॉग है। टाइगर।
-घर के और लोग?
दांपत्य की बात अभी खुद कर चुके हैं आप। पर मदर, ब्रदर, सिस्टर सब कलकत्ता में हैं। सब गाने बजाने में।
-इन दिनों जो पॉप का चलन चला है, आप क्या कहना चाहेंगे?
बरसाती मेंढ़क हैं। जैसे तीन-चार महीने मेंढक चलता है। आता है, जाता है। तो पॉप भी ऐसा ही है। फिर भी चेंजेज होना चाहिए, अच्छा है।
-लोक संगीत का भी पॉप में इस्तेमाल खूब हो रहा है?
फोक रिजनल है। फोक तो बेसिक है हमारा। पर पॉप में इसे ढालना ठीक नहीं है। पर सिर्फ़ फोक भी कोई नहीं सुनता, तो कुछ डाल कर लोग देख रहे हैँ। यह भी ठीक है।
-तमाम गायक इन दिनों कंपोजिंग में लग गए हैं। टीवी कार्यक्रमों के एंकर बन गए हैं?
मैं नहीं करना चाहता। इस के लिए बहुत समय चाहिए होता है। मेरे पास समय नहीं है।
-लेकिन आप बंगला फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं, तो क्या यह माना जाए कि आप किशोर कुमार को भी फॉलो करने में लगे हैं, क्यों कि वह भी अभिनय करते थे।
इस तरह से लोग समझे तो यह बात अलग है। पर है यह को-इंसीडेंस।
-हिंदी फ़िल्मों में काम करने का इरादा है?
हिंदी फ़िल्मों में आफर तो बहुत हैं, पर काम नहीं करूंगा।
-एक गायक हैं शैंलेंद्र सिंह। उन्हों ने भी कुछ फिल्मों में काम किया, पर पिट गए। कहीं इस डर से तो नहीं, हिंदी फ़िल्में मना कर रहे हैं?
इस डर से नहीं।
-आप की जिंदगी की खास तमन्ना क्या है?
म्यूजिक डॉयरेक्टर बनना चाहता हूं।
-तो दिक्कत क्या है? आप जब चाहें, जिस को कह सकते हैँ?
जब चाहे नहीं कह सकते। सिंगिंग कैरियर को अहिस्ता कर के जाएंगे। पांच साल और गा लूं, तो उस के बारे में सोंचूं।
-आप ने कई धारावाहिकों किस्मत, अंदाज आदि में गाया है। खुद धारावाहिक नहीं बना रहे हैं?
बनाया है। बंगाली में। कुमार शानू प्रा.लि. की ओर से। डीडी-7 के लिए।
-ऐसा क्यों होता है कि चाहें हेमंत कुमार हों, एस.डी. बर्मन हों, सब के सब वापस कलकत्ते की ओर जाने लगते हैँ?
अपनी मां को कोई भूल नहीं सकता न। जहां कहीं भी जाऊं, खाऊं-पीऊं, अपनी मां को नहीं भूल सकता।
-सिनेमा और वीडियो में इन में किसके दिन ज़्यादा अच्छे दिखते हैं, आप को?
निश्चित रूप से वीडियो। वीडियो और धारावाहिक ज्यादा मार्केट में हैं। क्यों कि यह कम खर्चीला है।
-सुनते हैं आप को कारों का बड़ा शौक है?
सही सुना है। मेरे पास इस समय तीन कारें हैं। प्रीविया, शेना और सेलो। ड्राइविंग खुद भी करता हूं। जहाज में भी बैठने का शौक है।
-सुपर कैसेट्स ग्रुप के छोड़ने के बाद आप के कैरियर मे कोई फ़र्क नहीं आया?
कोई नहीं। अब यहां अनुराधा पौंडवाल हर गाने में दखल देने लगीं थीं। डिक्टेटिव नेचर था उन का। तो छोड़ दिया और फिर नौ मन का तेल जलेगा भी नहीं और मिलेगा भी नहीं तो क्या फ़ायदा।
-पर अब तो अनुराधा पौंडवाल फ़िल्मों में गाना बंद कर चुकी हैं। अब आप की वापसी हो सकती है सुपर कैसेट्स में?
अनुराधा ने गाना नहीं बंद कर दिया। लोगों ने उन्हें लेना बंद कर दिया था। पहले बोली थी कि गाऊंगी नहीं, पर अब गा रही हैं। मेरे साथ भी गा रही हैं। अब डिक्टेट नहीं करतीं।
-किस-किस संगीतकार के साथ आप अनुराधा पौंडवाल के साथ गा रहे हैँ?
अन्नू मलिक, दिलीप सेन, समीर सेन और बप्पी दा के साथ।
-ऐसा क्यों हुआ कि मुहम्मद रफी, मुकेश और किशोर कुमार की जगह तमाम लोगों ने लेनी चाही, पर किशोर कुमार की जगह तो दो-तीन लोगों ने जैसे-तैसे कवर की है, पर रफी और मुकेश की आवाजों का कोई वारिस नहीं दिख रहा?
इस लिए कि हर कोई किसी न किसी को फॉलो कर के इंडस्ट्री में आया है। फॉलो करना बुरी बात नहीं है। सहगल को मुकेश और किशोर दा ने भी फॉलो किया था। नूरजहां को लता ने फॉलो किया था और गीता दत्त को आशा भोसले ने। दुर्रानी को रफी साहब ने। पर इन सब लोगों ने अपना रास्ता बाद में अलग बनाया। आपनी अलग पहचान बनाई। अपनी क्रियेटिविटी को कायम किया। जैसा कि मैं ने भी किया किशोर दा को फॉलो कर के।
-पर किशोर कुमार की मैलोडी आप की गायकी में काफी छाई रहती है?
किशोर दा की मैलोडी ही नहीं, उनकी पूरी सिंगिंग टेक्निक, स्टाइल, एक्टिंग, ब्रोइंग सब इस्तेमाल किया।
-पर जैसे कि रफी और मुकेश की आवाज़ों की लोगों ने वल्गर कॉपी की, कान में शीशा डाला, आप इस से कैसे बच पाए?
कान में शीशा उन लोगों ने इस लिए डाला कि उस में वो अपना कुछ मिला नहीं पाए। स्कूल में टीचर को कई बार फॉलो करते हैं तो इसका मतलब तो यह नहीं होता कि हम टीचर बन जाएं।