दयानंद पांडेय
वैसे चवन्नी देखे ज़माना हो गया था जयंत चौधरी। आप को आज देखा तो धन्य हो गया। नास्टेल्जिया सा हो गया। एक समय था कि आप के ग्रैंड फादर चौधरी चरण सिंह के साथ बागपत जाया करता था। यह 1983 -1984 के दिन थे। क्या तो सम्मान था उन का , उस इलाक़े में। कितने बड़े , कितने सरल और विद्वान आदमी थे। राजनीतिज्ञ से पहले अर्थशास्त्री थे। बागपत में गन्ने के खेत के बीच उन्हें देखता तो गन्ने से अधिक मिठास उन के सौम्य और निर्मल व्यक्तित्व से छलकती दिखती। सफ़ेद कुर्ते में , अपने कुर्ते से ज़्यादा धवल वह दीखते।
गले तक करीने से बंद बटन वाले कुर्ते में उन का सलीक़ा , लहजा और बड़प्पन देखते बनता था। भाषण में भी कभी चीख़-पुकार नहीं करते थे। आंकड़ों में बात करते थे। बिना किसी नोट के। किसी से कभी तू-तकार करते नहीं देखा उन को। एक पैसे का दाग़ नहीं लगा उन पर कभी। लखनऊ में पुराने लोग बताते हैं कि कई बार लखनऊ से दिल्ली जाने के लिए टिकट के लिए भी उन के पास पैसे नहीं होते थे। दोस्तों से टिकट कटवाने के लिए कहते थे। तब जब कि वह मुख्य मंत्री रह चुके थे। चौधरी चरण सिंह और बागपत चुनाव को कवर किया है। चौधरी चरण सिंह का इंटरव्यू भी किया है। बहुत नाप-तौल कर बोलते थे। और एक आप हैं कि ख़ुद अपनी तुलना , चवन्नी से कर बैठे हैं। समय-समय का फेर है। आधी इज्ज़त तो उन की आप के पिता अजित सिंह ने मिट्टी में मिला दी थी। बाक़ी चवन्नी आप ने मिला दी है।
बता दूं जयंत चौधरी कि जिस अखिलेश यादव के चरणों में आप इन दिनों समर्पित हैं , इन्हीं अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव , चौधरी चरण सिंह के चरणों में , ज़मीन पर बैठते थे। कुर्सी पर नहीं। ऐसा मैं ने कई बार देखा है। दिल्ली में तुगलक रोड पर चौधरी चरण सिंह के घर पर भी और फ़िरोज़शाह शाह रोड पर लोकदल के कार्यालय में भी। एक समय उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने दस्यु उन्मूलन के तहत मुलायम सिंह यादव का पुलिस इनकाऊण्टर करने के लिए आदेश दे दिया था। तब मुलायम भाग कर साइकिल से खेत-खेत होते हुए , पगडंडियों से दिल्ली पहुंचे थे चौधरी चरण सिंह की शरण में। चरण सिंह ने मुलायम की तब जान बचाई थी। इन्हीं मुलायम सिंह यादव ने आप के पिता अजीत सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री नहीं बनने दे कर अपमानित किया। ख़ुद मुख्य मंत्री बन बैठे।
हां , झेंप मिटाने के लिए लखनऊ एयरपोर्ट का नाम चौधरी चरण सिंह के नाम पर तब ज़रुर कर दिया। तो भी मुलायम सिंह से खिन्न अजीत सिंह अपने भाषणों में कहा करते थे कि अगर किसी गाड़ी में दिख जाए सपा का झंडा तो समझो उस के अंदर गुंडा ! ख़ैर , समय ऐसे भी बदलता है , नहीं जानता था। कि आप अपने पुरखों की चंपू करने वालों की चंपू करने लगे हैं। भूल गए हैं कि सपा की अखिलेश सरकार में आप के जाट बंधुओं की बहन , बेटियों के साथ कैसे एक ख़ास संप्रदाय के लोग बलात्कार और बदतमीजियां करते रहे हैं। जाट समुदाय द्वारा इस का विरोध करने पर मुजफ्फर नगर दंगा हुआ था।
दंगे में कमान तब के सपा के सब से ताक़तवर मंत्री आज़म ख़ान ने दंगाइयों और पुलिस की कमान थाम ली थी। पुलिस को दंगाइयों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं करने दी। थाने में थानेदार को आज़म खान सीधे निर्देश देते थे। चैनलों के स्टिंग ऑपरेशन में यह बात सामने आई थी। जयंत चौधरी आप कैराना का पलायन भी भूल गए। क्या सिर्फ़ चवन्नी से अपनी तुलना करने के लिए। अजब है यह भी। और आप भी। खैर , फिकर नॉट ! 10 मार्च को आप को अपने जाट समुदाय के फ़ैसले पर बहुत फ़ख्र होगा। तब और जब आप जानेंगे कि अपनी बहू-बेटियों की इज्ज़त की हिफ़ाजत वह बिना किसी हिंसा के , एक वोट दे कर भी कर सकते हैं। किसान आंदोलन को कैश करने का भूत तब उतर जाएगा। तब अपनी तुलना चवन्नी से भी करने लायक़ नहीं रह जाएंगे जयंत चौधरी , यह लिख कर कहीं रख लीजिए। वह गाना सुना ही होगा , ये पब्लिक है , ये सब जानती है ! हां , लेकिन जोड़ी अच्छी जमेगी , एक टोटी और एक हैंडपंप की।
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