Thursday 17 March 2016

प्यार सितार का तार होता है टूट कर बज नहीं सकता

फ़ोटो : शुभम सुंदर


ग़ज़ल 

धूप में खड़ा हो कर चांदनी की बात कर नहीं सकता
प्यार सितार का तार होता है टूट कर बज नहीं सकता 

धूप बादल में भी हो होती धूप ही है लगती रहती है बहुत
प्यार के पिन चुभोती रहो अभिनेता बन हंस नहीं सकता 

बहुत मुश्किल होता है हां में हां मिलाना कि जैसे मर जाना 
झूठ ही ख़ुश करने के लिए तो तोता चश्म बन नहीं सकता 

पुल के नीचे ज़रुरी बिलकुल नहीं है कि नदी में पानी हो 
बिना पानी की नदी में कागज की नाव बन नहीं सकता 

झूठ और मक्कारी की दुनिया जिन्हें सुहाती मुबारक उन्हें
फ़रेबी दुनिया में ख़ुद को कभी भी फिट कर नहीं सकता

अपनी धरती खुरदरी ही सही बहुत प्यारी दुनिया में न्यारी
चिकनी दुनिया में हंसने के लिए छल छंद कर नहीं सकता  

जादू होता है बहुत प्यार की धार और तकरार में वह जारी है 
पहलू में तुम हो और मैं कुछ और सोचूं ऐसा हो नहीं सकता  

[ 18 मार्च , 2016 ] 

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