ग़ज़ल / दयानंद पांडेय
अब नमाज भला कैसे पढूं बम विस्फोट हो जाने के बाद
अब सजदा मेरा हराम है इतने लोगों के मर जाने के बाद
अब सजदा मेरा हराम है इतने लोगों के मर जाने के बाद
इस्लाम हम शर्मिंदा हैं बहुत अब लाशें भी चीखती हैं
किस किस को रोऊं भला दोस्तों को दफनाने के बाद
मेरे अल्लाह मेरे पैगंबर तुम कहां हो किस जहां में हो
क्या आओगे अब किसी और कयामत के आने के बाद
इस लगातार खूंखार खूंरेजी पर भी तुम ख़ामोश हो कैसे
सवाल बहुत हैं तुम्हारे इस तरह ख़ामोश रह जाने के बाद
ढाका हो मदीना हो पेरिस पाकिस्तान भारत अमरीका
फातिहा पढ़ना बेकार है इतने हमले हो जाने के बाद
[ 7 जुलाई , 2016 ]
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