Monday, 11 July 2016

हमारा इम्तहान लेने की तुम्हारी आदत सी है

सुलोचना वर्मा की फ़ोटो

ग़ज़ल 

सवालों में मुझे घेरे रहने की एक आदत सी है
हमारा इम्तहान लेने की तुम्हारी आदत सी है

गुलमोहर के ऊपर बादल है और बादलों में तुम 
गुलमोहर के बागीचे में एक खिलखिलाहट सी है 
 
तुम मुझे तड़पाओ या कि चाहे जितना सताओ
तुम्हें हर घड़ी देखते रहने में एक राहत सी है

तुम अपने दिल में इक छोटा सा मंदिर बनाओ 
इस मंदिर में घंटी बन बजते रहने की चाहत सी है 

एक नदी है हमारे मन के भीतर निरंतर बहती हुई 
तुम भी मेरे साथ बहो मन में ऐसी छटपटाहट सी है 


[ 11 जुलाई , 2016 ]

इस ग़ज़ल का मराठी अनुवाद 


🌷 माझी परीक्षा घेण्याची तुझी सवय आहे🌷

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प्रश्नांत घेरुन राहण्याची,माझी एक सवय आहे.

माझी परीक्षा घेण्याची,तुझी सवय आहे.


गुलमोहरावरचे मेघ, मेघांत तू.

गुलमोहराच्या बागेत,एक हास्याचा खळखळाट आहे.


तू बेचैन कर,वाटेल तसे सतवत रहा मला.

सुख आहे माझे ,दर क्षणी पाहणे तुला.


हृदयात तुझ्या तू बनव एक छोटेसे मंदीर ,

ह्या मंदिरातील घंटा होवून,नादावयाची इच्छा आहे.


एक नदी आहे अतंर्मनात निरंतर वाहणारी,

वाहा माझ्या सवे तू ही,मनात अशी व्याकुळता आहे. 


अनुवाद : प्रिया जलतारे 




🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀



2 comments:

  1. एक नदी है हमारे मन के भीतर निरंतर बहती हुई
    तुम भी मेरे साथ बहो मन में ऐसी छटपटाहट सी है---- अपने संग मन को बहा ले जाती हुई बेहतरीन पंक्तियाँ है सभी . बधाई !

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  2. Tum bhi baho mere sath..bahut khoob...

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