लाल सलाम जारी रखिए लेकिन तिरंगे को
सैल्यूट करते हुए
डियर कामरेड ,
आप शायद इस बात से वाकिफ़ ही नहीं हैं कि सरकार से लड़ना और बात है , जनमत से लड़ना और बात । और ख़ुद ही से लड़ना बहुत बड़ी बात है । अब जिस मोड़ पर आप आ खड़े हुए हैं यह रास्ता सरकार से नहीं जनमत से लड़ने का रास्ता है । यह मेरा आकलन है और इसे ग़लत भी कहने के लिए आप आज़ाद हैं कि आप ख़ुद से भी लड़ रहे हैं । बहरहाल आज जे एन यू में बीते दिनों लगा नारा जान से प्यारा पाकिस्तान आज बदल गया है । न सही जे एन यू दिल्ली की सड़कों पर ही सही यह सुनना बहुत सुखद रहा , जान से प्यारा जे एन यू ! दूसरी तरफ यह भी अच्छा लगा कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय विश्विद्यालयों में तिरंगा फहराने का जो निर्देश जारी किया है उस पर हाल-फ़िलहाल स्वागत न सही , आप का ऐतराज भी सामने नहीं आया है । यह भी सुखद है ।
आप शायद इस बात से वाकिफ़ ही नहीं हैं कि सरकार से लड़ना और बात है , जनमत से लड़ना और बात । और ख़ुद ही से लड़ना बहुत बड़ी बात है । अब जिस मोड़ पर आप आ खड़े हुए हैं यह रास्ता सरकार से नहीं जनमत से लड़ने का रास्ता है । यह मेरा आकलन है और इसे ग़लत भी कहने के लिए आप आज़ाद हैं कि आप ख़ुद से भी लड़ रहे हैं । बहरहाल आज जे एन यू में बीते दिनों लगा नारा जान से प्यारा पाकिस्तान आज बदल गया है । न सही जे एन यू दिल्ली की सड़कों पर ही सही यह सुनना बहुत सुखद रहा , जान से प्यारा जे एन यू ! दूसरी तरफ यह भी अच्छा लगा कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय विश्विद्यालयों में तिरंगा फहराने का जो निर्देश जारी किया है उस पर हाल-फ़िलहाल स्वागत न सही , आप का ऐतराज भी सामने नहीं आया है । यह भी सुखद है ।
लेकिन इस सारी क़वायद में जे एन यू का नुकसान तो बहुत हो गया है। हीरे जैसी इस संस्था का अवमूल्यन बहुत हो गया है । मिट्टी में मिल गई है इस की शान । इस की भरपाई अब कैसे करेंगे ? क्यों कि अब यह सिर्फ़ एक जे एन यू का नुकसान नहीं है , पूरे देश का नुकसान है । मनुष्यता का नुकसान है । देश की शिक्षा और नौजवानों का नुकसान है । देश होता है , समाज होता है , मनुष्यता होती है तभी कोई विचार होता है । देश , समाज और मनुष्यता नहीं होगी तो विचार और वैचारिकता भी भला किस के लिए होगी ? कभी इस एक बिंदु पर भी सोच कर देखिए । ज़िद , सनक और अहंकार की आग से निकल कर सोचिए ।
एक लड़की जो जे एन यू कैंपस से बाहर रहती है , हास्टल में जगह नहीं मिल पाई है उस को पर जे एन यू रोज पढ़ने आती है । एन डी टी वी की एक रिपोर्ट में वह लड़की बड़े दुःख के साथ बता रही थी कि इस पूरे मामले के बाद अब जब वह कोई ऑटो लेती है जे एन यू जाने के लिए तो ऑटो वाला तंज करता है कि जे एन यू क्या जाओगी , चलो पाकिस्तान ही छोड़ आते हैं । जे एन यू के पास मुनिरका गांव है । यहां जे एन यू के बहुत से छात्र-छात्राएं किराए पर घर ले कर रहते हैं । एन डी टी वी की यही रिपोर्ट बताती है कि लोग इन छात्रों से घर अब ख़ाली करवा रहे हैं । रवीश कुमार की एक रिपोर्ट में दिल्ली में आज निकले जुलूस में शामिल एक लड़का बता रहा था सिटी बसों में लोग जे एन यू का नाम सुनते ही मारने दौड़ पड़ रहे हैं । जे एन यू के छात्र पिट रहे हैं । जगह-जगह । दिल्ली में या कहीं बाहर भी लोग जे एन यू नाम सुनते ही बिदकने लगे हैं । दिल्ली से बाहर रह रहे लोग जे एन यू में पढ़ रहे अपने बच्चों को घर वापस बुलाने लगे हैं । यह
वही जे एन यू है जिस का पहले नाम सुनते ही लोग यहां के छात्रों को ,
अध्यापकों को सिर आंखों पर बिठा लेते रहे हैं । बहुत प्यार , मान और सम्मान
देते रहे हैं । बहुत नाज़ और रश्क के साथ यहां के लोगों को देखते रहे हैं । पर कामरेड चंद दिनों में क्या तो गति बना दी है आप ने अति कर के । अगर आप की ही शब्दावली उधार ले लें और पूछें आप ही की तरह कि तो क्या यह ऑटो वाले , मुनिरका गांव के लोग , सिटी बस में बैठे हुए लोग , जे एन यू नाम सुन कर बिदकने वाले सभी लोग संघी हैं । देश के अधिकांश लोग संघी हो गए हैं ? हिंदुत्व के मारे हुए लोग हैं ? पटियाला कोर्ट में कामरेड कन्हैया के साथ हिंसक व्यवहार करने वाले वकील मुमकिन है कि सभी संघी हों पर देश के अधिकांश लोग संघी नहीं हैं । देश से प्यार करने वाले लोग हैं । यह देश राणा प्रताप का देश है जो घास की रोटी खा लेता है पर हल्दीघाटी नहीं देता है । यह देश अब्दुल हमीद का देश है जो पाकिस्तानी टैंक को उड़ाने के लिए टैंक के नीचे लेट जाता है पर देश को हारने नहीं देता । यह देश ए पी जे अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिक का देश है जो परमाणु बम बना कर शांति का संदेश देता है और दुनिया में भारत का सिर गर्व से भर देता है ।
लेकिन कामरेड आप ?
उसी पाकिस्तान ज़िंदाबाद करने वालों को बचाने के लिए दीवार बन कर खड़े हो जाते हैं । उन लोगों के पीछे खड़े हो जाते हैं । और फिर इन आतंकी नारों का क्या करें ? आप को इन आतंकी नारों से ज़रा भी तकलीफ
नहीं होती ? ऐतराज नहीं होता ? यह आतंकी नारे लगाने वाले आप के दामाद कैसे
हो जाते हैं ? कि आप का मुंह भी नहीं खुलता ? भारत तेरे टुकड़े होंगे ,
इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह , इंडिया गो बैक , अफजल को शहीद का दर्जा देने और
ऐसी बातों पर आप की ख़ामोशी बेचैन बहुत करती है। भाजपा विरोध की कीमत पर
देशद्रोहियों की पैरवी बंद कीजिए , शर्म कीजिए ।
आप अभी ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं कि आप किस कदर नरेंद्र मोदी की डिप्लोमेसी भरे ट्रैप में फंस गए हैं । कामरेड कन्हैया की गिरफ़्तारी एक ट्रायल केस था । आप को एक्सपोज करने का ट्रायल । फंदा बुना गया है उमर खालिद एंड कंपनी के लिए । पर आप दुनिया भर की वैचारिकी भाखते हैं लेकिन डिप्लोमेटिक राजनीति और किसी घाघ से लड़ना नहीं जानते । राजनीति में सिर्फ़ गुंडई का खेल नहीं होता । यह खेल अब पिट चुका है । यही गुंडई का खेल खेलते-खेलते आप पश्चिम बंगाल की सत्ता से आऊट हो गए। नंदीग्राम और सिंगूर के फंदे अपने लिए आप ने ख़ुद तैयार किए । मज़दूर विरोधी अपने को आप ने ख़ुद बना लिया , इतना बना लिया कि अब आप उसी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के शव के साथ ख़ुद को जिंदा रखने की तरकीब में पड़ गए हैं । तो आप की गुंडई भरी राजनीति का तोड़ मोदी ने जे एन यू की आग में जिस के लिए लकड़ियां आप ने बटोरी थीं , खोज लिया है । गोड़ दिया है । कन्हैया की गिरफ़्तारी के बहाने उमर खालिद को भागने का मौक़ा दे दिया है , आप का गुस्सा डाईवर्ट कर दिया । उमर खालिद की संदिग्ध गतिविधियां और उन के खुलासे मीडिया में हो चुके हैं । अब बहुत मुमकिन है कि उमर खालिद की मुठभेड़ में मारे जाने की ख़बर भी जल्दी ही आ जाए ।
फिर आप क्या करेंगे ?
इतिहास में तोड़-फोड़ तो आप जानते हैं पर इतिहास से सबक़ लेना भी सीखिए । गुजरात आप के सामने है । गुजरात का आचार्य आप के सामने है । और आप हैं कि एक पिटी हुई कांग्रेस की पीठ पर बैठ कर गुजरात के राष्ट्रीय पाठ की पीठिका निर्मित करने में हवन हुए जा रहे हैं । अफ़सोस कामरेड , अफ़सोस । अपनी सारी ऊर्जा एक ग़लत मुद्दे पर क्यों जाया कर रहे हैं । आप ऐसे ही मूर्खताओं में , ऐसे ही अहंकार में गुजरात-गुजरात की माला फेरते रह गए और नरेंद्र मोदी आप की छाती पर दो साल से प्रधान मंत्री बन कर सवार है । अब राजनीति के नाम पर आप के पास सेक्यूलर , फासिस्ट , संघी , हिंदू , बीफ़ जैसे कुछ शब्दों की लफ्फाजी के अलावा कुछ और शेष नहीं रह गया है । सेक्यूलर शब्द को इतना घिस दिया है आप लोगों ने कि यह शब्द अपनी अर्थवत्ता खो कर अब जन सामान्य में मजाक और हिकारत का सबब बन गया है ।
बात कामरेड कन्हैया की करते हैं । जे एन यू छात्र संघ के यह अध्यक्ष कन्हैया कुमार देश द्रोही नारों के मसले पर दूध के धोए हुए नहीं हैं । वीडियो सामने आ गए हैं जिन में वह फिसले हुए दीखते हैं । लेकिन कामरेड कन्हैया जब जान गए कि अब गिरफ़्तारी तय है तो बारह फ़रवरी को एक देशभक्ति का जुलाब भरा भाषण रिकार्ड करवाया दोस्तों के बीच और सोशल साईट पर वायरल करवा दिया । देशभक्त बन गए। लेकिन नौ और दस फ़रवरी के वीडियो लुक कीजिए और देखिए कि उमर खालिद के साथ कैसे तो देशद्रोही नारों में सुर से सुर मिला कर क्रांति का घड़ा फोड़ रहे हैं ! भारत तेरे टुकड़े होंगे , इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह और गो बैक इंडिया आदि जहरीले नारों के बीच उत्साह में छलकती उन की बाडी लैंग्वेज भी लुक कीजिए ।
कुछ अति उत्साही लोग कन्हैया का वह वीडियो जिस में उस ने देशद्रोही नारे लगाए हैं , ऐसे मांग रहे हैं जैसे वह वीडियो नहीं मिला तो देश में आग लगा देंगे । एक खबर और चली है कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने के बाद दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बस्सी ने कहा है कि अभी तक जे एन यू घटना से लश्कर का जुड़ाव का सबूत नहीं मिला है । मैं ने भी बस्सी का बयान सुना है , बस्सी ने इस बिंदु पर कुछ भी नहीं कहा है । लेकिन इस बात को ऐसे चलाया जा रहा कि देश का गृह मंत्री झूठा है , वह देशद्रोही दूध के धुले हैं । वह वीडियो तुरंत चाहिए इन मूर्खों और देशघातियों को । अजब है यह भी । अच्छा यह भी किस ने और कब कहा कि कन्हैया ने नारे लगाए ? देखे हुए वीडियो के आधार पर मैं यह ज़रूर कह रहा हूं कि देशद्रोही नारे लगाने वालों को कन्हैया ने सपोर्ट किया । उस वक्त उन की प्रफुल्लित बॉडी लैंग्वेज तो देखिए ! अच्छा जिन लोगों ने देशद्रोही नारे लगाए हैं खुले आम उन का भी आप ने क्या कर लिया ? विरोध न करने वाले भी , खामोश रहने वाले भी उतने ही अपराधी हैं । इस बिंदु पर इन देशघातियों के विरोध या सहमति के स्वर भी नहीं निकले । दिनकर लिख गए हैं , जो तटस्थ हैं , समय लिखेगा उन का भी अपराध । घबराइए नहीं अभी बहुत कुछ सामने आने वाला है । आप सिर्फ एक वीडियो की फरमाइश कर रहे हैं , कई वीडियो सामने आने वाले हैं । जे एन यू की इंटरनल कमेटी ने भी कन्हैया को प्रथम दृष्टया दोषी पा लिया है । दिल्ली पुलिस के पास भी बहुत कुछ है जो पब्लिक डोमेन में अभी नहीं है । और फिर कन्हैया के नाम पर उन देशद्रोहियों को बचाने की मुहिम कब तक चलेगी ? कब तक मुंह सिले रहेंगे ? आग फैल रही है देशद्रोही नारे लगाने वालों की । कल कोलकाता में जादवपुर यूनिवर्सिटी में अफजल और इशरत की शहादत भरे नारे लगे हैं । कश्मीर के साथ मणिपुर की आज़ादी की भी मांग जुड़ गई है । लेकिन शर्म इन क्रांतिकारियों को नहीं आती ।
आप अभी ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं कि आप किस कदर नरेंद्र मोदी की डिप्लोमेसी भरे ट्रैप में फंस गए हैं । कामरेड कन्हैया की गिरफ़्तारी एक ट्रायल केस था । आप को एक्सपोज करने का ट्रायल । फंदा बुना गया है उमर खालिद एंड कंपनी के लिए । पर आप दुनिया भर की वैचारिकी भाखते हैं लेकिन डिप्लोमेटिक राजनीति और किसी घाघ से लड़ना नहीं जानते । राजनीति में सिर्फ़ गुंडई का खेल नहीं होता । यह खेल अब पिट चुका है । यही गुंडई का खेल खेलते-खेलते आप पश्चिम बंगाल की सत्ता से आऊट हो गए। नंदीग्राम और सिंगूर के फंदे अपने लिए आप ने ख़ुद तैयार किए । मज़दूर विरोधी अपने को आप ने ख़ुद बना लिया , इतना बना लिया कि अब आप उसी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के शव के साथ ख़ुद को जिंदा रखने की तरकीब में पड़ गए हैं । तो आप की गुंडई भरी राजनीति का तोड़ मोदी ने जे एन यू की आग में जिस के लिए लकड़ियां आप ने बटोरी थीं , खोज लिया है । गोड़ दिया है । कन्हैया की गिरफ़्तारी के बहाने उमर खालिद को भागने का मौक़ा दे दिया है , आप का गुस्सा डाईवर्ट कर दिया । उमर खालिद की संदिग्ध गतिविधियां और उन के खुलासे मीडिया में हो चुके हैं । अब बहुत मुमकिन है कि उमर खालिद की मुठभेड़ में मारे जाने की ख़बर भी जल्दी ही आ जाए ।
फिर आप क्या करेंगे ?
इतिहास में तोड़-फोड़ तो आप जानते हैं पर इतिहास से सबक़ लेना भी सीखिए । गुजरात आप के सामने है । गुजरात का आचार्य आप के सामने है । और आप हैं कि एक पिटी हुई कांग्रेस की पीठ पर बैठ कर गुजरात के राष्ट्रीय पाठ की पीठिका निर्मित करने में हवन हुए जा रहे हैं । अफ़सोस कामरेड , अफ़सोस । अपनी सारी ऊर्जा एक ग़लत मुद्दे पर क्यों जाया कर रहे हैं । आप ऐसे ही मूर्खताओं में , ऐसे ही अहंकार में गुजरात-गुजरात की माला फेरते रह गए और नरेंद्र मोदी आप की छाती पर दो साल से प्रधान मंत्री बन कर सवार है । अब राजनीति के नाम पर आप के पास सेक्यूलर , फासिस्ट , संघी , हिंदू , बीफ़ जैसे कुछ शब्दों की लफ्फाजी के अलावा कुछ और शेष नहीं रह गया है । सेक्यूलर शब्द को इतना घिस दिया है आप लोगों ने कि यह शब्द अपनी अर्थवत्ता खो कर अब जन सामान्य में मजाक और हिकारत का सबब बन गया है ।
बात कामरेड कन्हैया की करते हैं । जे एन यू छात्र संघ के यह अध्यक्ष कन्हैया कुमार देश द्रोही नारों के मसले पर दूध के धोए हुए नहीं हैं । वीडियो सामने आ गए हैं जिन में वह फिसले हुए दीखते हैं । लेकिन कामरेड कन्हैया जब जान गए कि अब गिरफ़्तारी तय है तो बारह फ़रवरी को एक देशभक्ति का जुलाब भरा भाषण रिकार्ड करवाया दोस्तों के बीच और सोशल साईट पर वायरल करवा दिया । देशभक्त बन गए। लेकिन नौ और दस फ़रवरी के वीडियो लुक कीजिए और देखिए कि उमर खालिद के साथ कैसे तो देशद्रोही नारों में सुर से सुर मिला कर क्रांति का घड़ा फोड़ रहे हैं ! भारत तेरे टुकड़े होंगे , इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह और गो बैक इंडिया आदि जहरीले नारों के बीच उत्साह में छलकती उन की बाडी लैंग्वेज भी लुक कीजिए ।
कुछ अति उत्साही लोग कन्हैया का वह वीडियो जिस में उस ने देशद्रोही नारे लगाए हैं , ऐसे मांग रहे हैं जैसे वह वीडियो नहीं मिला तो देश में आग लगा देंगे । एक खबर और चली है कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने के बाद दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बस्सी ने कहा है कि अभी तक जे एन यू घटना से लश्कर का जुड़ाव का सबूत नहीं मिला है । मैं ने भी बस्सी का बयान सुना है , बस्सी ने इस बिंदु पर कुछ भी नहीं कहा है । लेकिन इस बात को ऐसे चलाया जा रहा कि देश का गृह मंत्री झूठा है , वह देशद्रोही दूध के धुले हैं । वह वीडियो तुरंत चाहिए इन मूर्खों और देशघातियों को । अजब है यह भी । अच्छा यह भी किस ने और कब कहा कि कन्हैया ने नारे लगाए ? देखे हुए वीडियो के आधार पर मैं यह ज़रूर कह रहा हूं कि देशद्रोही नारे लगाने वालों को कन्हैया ने सपोर्ट किया । उस वक्त उन की प्रफुल्लित बॉडी लैंग्वेज तो देखिए ! अच्छा जिन लोगों ने देशद्रोही नारे लगाए हैं खुले आम उन का भी आप ने क्या कर लिया ? विरोध न करने वाले भी , खामोश रहने वाले भी उतने ही अपराधी हैं । इस बिंदु पर इन देशघातियों के विरोध या सहमति के स्वर भी नहीं निकले । दिनकर लिख गए हैं , जो तटस्थ हैं , समय लिखेगा उन का भी अपराध । घबराइए नहीं अभी बहुत कुछ सामने आने वाला है । आप सिर्फ एक वीडियो की फरमाइश कर रहे हैं , कई वीडियो सामने आने वाले हैं । जे एन यू की इंटरनल कमेटी ने भी कन्हैया को प्रथम दृष्टया दोषी पा लिया है । दिल्ली पुलिस के पास भी बहुत कुछ है जो पब्लिक डोमेन में अभी नहीं है । और फिर कन्हैया के नाम पर उन देशद्रोहियों को बचाने की मुहिम कब तक चलेगी ? कब तक मुंह सिले रहेंगे ? आग फैल रही है देशद्रोही नारे लगाने वालों की । कल कोलकाता में जादवपुर यूनिवर्सिटी में अफजल और इशरत की शहादत भरे नारे लगे हैं । कश्मीर के साथ मणिपुर की आज़ादी की भी मांग जुड़ गई है । लेकिन शर्म इन क्रांतिकारियों को नहीं आती ।
यह गनीमत बहुत है कि जे एन यू छात्र संघ के अध्यक्ष कामरेड कन्हैया कुमार
जाति से भूमिहार हैं। सोचिए कि ख़ुदा न खास्ता कामरेड कन्हैया दलित , पिछड़े
या मुसलमान होते तो सीन क्या होता ? कितना उत्पात , कितना जहर , कितनी
सीनाजोरी होती ? देश में आग लगा देते यह लोग। देशद्रोह तब दिखने भी नहीं
देते यह लोग । जाति का पहाड़ ले कर खड़े हो गए होते। अब तो मंज़र यह है कि
सर्वदा जहर उगलने वाले एक दलित ठेकेदार तो घबराए हुए हैं और खुल कर लिख रहे
हैं कि कन्हैया पर बात बंद होनी चाहिए। क्यों कि रोहित वेमुला का मामला इस
से दब गया है । अफ़सोस कि उन का प्रिय और ज्वलनशील विषय उन के हाथ से
फिसलता जा रहा है । सोचिए कि देश , देशद्रोह या जे एन यू की अस्मिता से
ज़्यादा ज़रूरी है उन के लिए जातीय अस्मिता। कामरेड डी राजा की बेटी जो इस
देशद्रोही वीडियो में नारे लगाती लुक नहीं होती तो कामरेड लोग भी क्या करते
भला ? अफ़सोस कि जाति और मजहब का भस्मासुर अब देश और मनुष्यता से भी ऊपर
है। अफजल गुरु को फांसी की सज़ा देने वाली सुप्रीम कोर्ट हत्यारी है , प्रधान
मंत्री देशद्रोही है , जे एन यू की क्लिपिंग चलाने वाले सभी चैनल संघी हैं ,
सारा देश संघी है । लेकिन घर-घर से अफजल गुरु भेजने वाले , कश्मीर की
आज़ादी का नारा लगाने वाले देशभक्त। क्या यह नया पाठ्यक्रम है ?
कामरेड कन्हैया की लिखी इस चिट्ठीनुमा अपील के निहितार्थ कई-कई हैं। सब
का अपना-अपना इंटरप्रेटेशन है और कि होगा । लेकिन पहली ध्वनि यही है कि इस
चिट्ठी में कामरेडी तेवर नहीं हैं । जो आग होनी चाहिए थी , जो गुस्सा होना
चाहिए था , नहीं है। बल्कि यह पुलिस की डिक्टेशन वाली चिट्ठी है । बिलकुल
सरकारी गवाह बन जाने की ध्वनि है। जैसे रा ने हेडली को तोता बना कर गवाही
दिलवाई है उसी तरह दिल्ली पुलिस ने कामरेड कन्हैया को अपना तोता बना लिया
है। दिल्ली पुलिस की मेहरबानी देखिए कि डिक्टेट कर के
मन मुताबिक चिट्ठी लिखवा ली , कोर्ट परिसर में तमाम सुरक्षा के वकीलों से
पिटाई भी करवा दी। महत्वपूर्ण यह भी है कि कोर्ट में बावजूद पिटाई के यह भी
कहलवा लिया कि पुलिस ने उन के साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया है। कन्हैया को
देश के संविधान में यकीन हो ही गया है , जे एन यू की देशद्रोही घटना से भी
अपने को समूची मासूमियत से अलग कर लिया है। मान लिया है कि सब गलत हुआ है ।
दूसरी तरफ बस्सी ने भी कह दिया कि अब कन्हैया की ज़मानत का विरोध नहीं
करेंगे। तीसरे बाहर कामरेड लोग भी पलटी मार गए हैं। देर से ही सही आज
दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर के जे एन यू में लगे देशद्रोही नारों का
विरोध कर अपने को उस से अलग करने का ऐलान कर दिया है। और तो और अब दिल्ली
पुलिस कमिश्नर बस्सी की कमिश्नर पद से विदाई की भी ख़बर भी आ गई है। दिल्ली
के नए पुलिस कमिश्नर अलोक वर्मा के नाम का ऐलान हो गया है ।
कामरेड आप जनता की नस , देश की भावना क्यों नहीं जानते-समझते कभी ? जानते हैं तो सिर्फ़ बौद्धिक लफ्फाजी। शब्दों की हेरा फेरी । गाल बजाना। येन केन प्रकारेण मोदी को मज़बूत
बनाना। अपनी मूर्खता , ज़िद और सनक में ऐसे ही सने रहे तो जनता आप को चबा
जाएगी इस देशद्रोह बिंदु पर। क्रांति और अहंकार के आकाश से उतर कर ज़मीन पर आईए कामरेड । आप समाप्त हो रहे हैं । दुःख होता है आप के इस पतन पर। देश
का सैनिक तक आप के ख़िलाफ़ खड़ा हो चुका है । रो रहा है आप की इस कृतघ्नता पर । इतने अंधे हो गए हैं आप कि यह भी
नहीं दीखता। यह लाल सलाम में तर काला गागल्स उतार कर एक बार देखिए तो सही।
नरेंद्र मोदी जैसा आदमी आप की इसी मूर्खता का अचार खा कर प्रधान मंत्री बन गया।
मोदी को और कितना मज़बूत करने की मूर्खता करेंगे ? संभलिए कामरेड , संभलिए !
बहुत फिसल चुके हैं , अब और मत फिसलिए । कांग्रेस की तरह अपनी कब्र ख़ुद मत खोदिए । देश के लिए सभी लोग ज़रूरी हैं , आप कामरेड लोग भी । विद्यार्थी जीवन के समय से ही कभी हम भी कामरेड रहे थे । ब्रेख़्त , नेरुदा , नाजिम हिक़मत और फ़ैज़ को पढ़ते-गाते खड़े हुए थे । साथी लाल सलाम कहते हुए मुंह नहीं थकता था । या तो कविता में , शेरो-शायरी में बात करते थे या कामरेड कह कर पुकारते थे । घर में पिता तक को सीनियर कामरेड बोल देते थे । पर बाद के दिनों में कुछ कामरेडों की हिप्पोक्रेसी और अंतर्विरोध देख कर कामरेडशिप के जूनून से हम किनारे हो गए। अब यह भटका हुआ माहौल और मंज़र देख कर अफ़सोस भी नहीं होता। लगता है , ठीक ही किया था । बहरहाल यह क़िस्सा और प्रसंग यहां मौजू नहीं है । इस का क़िस्सा फिर कभी । लेकिन इस लिए भी दर्द होता है कामरेड आप के इस पतन पर ।
ख़ैर आज जान से प्यारा जे एन यू का नारा लगाया है , जान से प्यारा हिंदुस्तान का नारा भी लगाना सीख लेंगे तो देश ख़ुश होगा । विचारधारा ज़रूरी है , वामपंथ भी लेकिन देश भी , देश का सम्मान इस से भी ज़्यादा ज़रूरी है । सियाचिन जैसी सरहदों पर तैनात सैनिकों के साहस का सम्मान भी ज़रूरी है । लाल सलाम जारी रखिए लेकिन तिरंगे को सैल्यूट करते हुए । काश उमर खालिद जैसे लोगों का जे एन यू के लोगों ने फ़ौरन विरोध जताया होता या लगने ही नहीं दिया गया होता देशद्रोही नारा , बनने ही नहीं दिया होता यह अप्रिय माहौल तो शायद यह अफ़सोसनाक मंज़र तो कम से कम नहीं ही होता । लेकिन कोलकाता के जादवपुर यूनिवर्सिटी में जारी देश विरोधी नारे आप की शिनाख़्त पर सवाल जारी रखेंगे । कामरेड अब यह लफ्फाजी छोड़ भी दीजिए। यह दलित और सेक्यूलर सब्जेक्ट नहीं है। देशद्रोह है । चाहे जितने भी जुलूस निकाल लीजिए जनमत आप को देशद्रोही मान लेगा तो देश को बहुत मुश्किल होगी । आप भी फिर कहां बचेंगे ? नरेंद्र मोदी भाजपा और उन की सरकार का विरोध कीजिए , डट कर कीजिए पर देश और जनमत की भावना से खेलना बंद कीजिए । क्यों कि यह देश सिर्फ़ संघियों और कम्युनिस्टों भर का नहीं है । नौजवानों को पढ़ने दीजिए । इन ख़तरनाक मुद्दों पर विद्यार्थी परिषद और आइसा का संग्राम बनाने से बचिए । यह देश इन नौजवानों का है । इन्हें नफ़रत के कुएं में ढकेलने के बजाय ख़ुशनुमा माहौल दीजिए । मां को मां ही बने रहने दीजिए , बाप की बीवी कहना मत सिखलाईए इन नौजवानों को । इतनी क्रांति भी बहुत अच्छी बात नहीं है । यह देश भी हमारी मां है । भारत माता की जय हम कहते ही हैं । आप भी कहना सीख लीजिए । नुकसान नहीं होगा । ख़ुद से लड़ना अगर शौक़ है तो बड़े शौक़ से लड़िए । सरकार से लड़िए , देश से और देश के जनमत से लेकिन मत लड़िए ।
लाल सलाम ! आमीन !
आप का साथी ,
दयानंद पांडेय
ख़ैर आज जान से प्यारा जे एन यू का नारा लगाया है , जान से प्यारा हिंदुस्तान का नारा भी लगाना सीख लेंगे तो देश ख़ुश होगा । विचारधारा ज़रूरी है , वामपंथ भी लेकिन देश भी , देश का सम्मान इस से भी ज़्यादा ज़रूरी है । सियाचिन जैसी सरहदों पर तैनात सैनिकों के साहस का सम्मान भी ज़रूरी है । लाल सलाम जारी रखिए लेकिन तिरंगे को सैल्यूट करते हुए । काश उमर खालिद जैसे लोगों का जे एन यू के लोगों ने फ़ौरन विरोध जताया होता या लगने ही नहीं दिया गया होता देशद्रोही नारा , बनने ही नहीं दिया होता यह अप्रिय माहौल तो शायद यह अफ़सोसनाक मंज़र तो कम से कम नहीं ही होता । लेकिन कोलकाता के जादवपुर यूनिवर्सिटी में जारी देश विरोधी नारे आप की शिनाख़्त पर सवाल जारी रखेंगे । कामरेड अब यह लफ्फाजी छोड़ भी दीजिए। यह दलित और सेक्यूलर सब्जेक्ट नहीं है। देशद्रोह है । चाहे जितने भी जुलूस निकाल लीजिए जनमत आप को देशद्रोही मान लेगा तो देश को बहुत मुश्किल होगी । आप भी फिर कहां बचेंगे ? नरेंद्र मोदी भाजपा और उन की सरकार का विरोध कीजिए , डट कर कीजिए पर देश और जनमत की भावना से खेलना बंद कीजिए । क्यों कि यह देश सिर्फ़ संघियों और कम्युनिस्टों भर का नहीं है । नौजवानों को पढ़ने दीजिए । इन ख़तरनाक मुद्दों पर विद्यार्थी परिषद और आइसा का संग्राम बनाने से बचिए । यह देश इन नौजवानों का है । इन्हें नफ़रत के कुएं में ढकेलने के बजाय ख़ुशनुमा माहौल दीजिए । मां को मां ही बने रहने दीजिए , बाप की बीवी कहना मत सिखलाईए इन नौजवानों को । इतनी क्रांति भी बहुत अच्छी बात नहीं है । यह देश भी हमारी मां है । भारत माता की जय हम कहते ही हैं । आप भी कहना सीख लीजिए । नुकसान नहीं होगा । ख़ुद से लड़ना अगर शौक़ है तो बड़े शौक़ से लड़िए । सरकार से लड़िए , देश से और देश के जनमत से लेकिन मत लड़िए ।
लाल सलाम ! आमीन !
आप का साथी ,
दयानंद पांडेय
शानदार लिखा है , प्रणाम श्रीमान
ReplyDeleteBahut khoobsurat lekh...
ReplyDeleteBahut khoobsurat lekh...
ReplyDeleteSalutes sir dayanand panday ji jai hind vande matram
ReplyDeleteSalute sir dayanand panday ji jai hind vande matram
ReplyDeleteबहुत सही
ReplyDeleteखरी खरी कहीं आपने मान्यवर ये जरूरी भी है.
ReplyDeleteखरी खरी कहीं आपने मान्यवर ये जरूरी भी है.
ReplyDeletesathi lal salam
ReplyDeleteNice article!!
ReplyDeletedesh prem se otprot article! kash ye baat in kamredon ko samajh aati. bahut achchi dhulai aap ne ki hai. sadhuwad !
ReplyDeletebahoot hi acchi baaten kahi apne..
ReplyDeleteबहुत बुरा हुआ .........
ReplyDeleteबहुत सही आंकलन
ReplyDeletebahut hi satik lekh likha aapne..
ReplyDeleteनीति ब्यक्ति और सिद्धांतों के विरोध तक सही पर राष्ट्र की नींव खोदना कोइ स्वीकार नहीं कर पायेगा
ReplyDeletePahli baar aapko pdha lekin aisa lga kitni dino se aapko padh rha. Bahut achhi.
ReplyDeleteShandaar
Jabardast
Jindabaad
Pahli baar aapko pdha lekin aisa lga kitni dino se aapko padh rha. Bahut achhi.
ReplyDeleteShandaar
Jabardast
Jindabaad
क्या जूता भींगा के मारा है इन देशद्रोहियो वामपंथियो को !. इस युग में कहाँ वामपंथी विचार धरा रहेगी. वामपंथी और नक्सल सिर्फ गुंडागर्दी है आम जनता के लिए. इनका समूल नाश होना अति आवश्यक है.
ReplyDeleteSir, Jabardast...bahut badhiya!!!
ReplyDeleteकमाल कर दिया आपने। आईना दिखाया है
ReplyDeletebahut badhiya sir. yahee sach hai aur yahee sahi rasta hai, sabke liye.
ReplyDeleteBahut hi sundar tarike se sab kuch bayan karta hua badhiya lekh . Shukriya aapka
ReplyDeleteबेहतरीन आलेख । इस मुद्दे पर अब तक का सबसे सटीक विश्लेषण । ग़ालिब के शब्दों में -
ReplyDeleteकिस मुँह से काबा जाओगे ग़ालिब
शर्म तुमको तो मगर आती नहीं है
बची खुची कसर कॉमरेड के साथी पत्रकार बन्धु पूरी कर रहे हैं । वे शायद भूल गए कि कैसे मोदी ने चतुराई से उनका इस्तेमाल गुजरात के मुख्यमंत्री रहते किया और एक के बाद एक लगातार 3 बार चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बने और फिर प्रधानमंत्री भी ।
अब फिर से मोदी को लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनाने का अपना अभियान प्रारंभ कर दिया है । शुभकामनाएं ।
ये आखिर में आमीन क्यों
ReplyDeleteइन्शाअल्लाह ही लिख देते पाण्डे जी
sundar santulit abhivyakti....
ReplyDeleteKya baat hai superb jay hind jay bharat
ReplyDeleteKya baat hai superb jay hind jay bharat
ReplyDeleteSuperb article
ReplyDeleteबहुत सही..बेहतरीन
ReplyDeletecorrect example
ReplyDeletecorrect example
ReplyDeleteseedhi baat no bakwas
ReplyDeleteबढ़िया आर्टिकल
ReplyDeleteAB TAK JNU MUDDE PER SABSE BARIYA LEKH
ReplyDeleteक्या कहूं, हमेशा की तरह बहुत अच्छा.
ReplyDeleteसर्वोत्तम, कई दिनों बाद इस तरह का लेख पढने को मिला। आप लेखनी के धनी और विचारों से ऋषी है।आप को बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteसर्वोत्तम, कई दिनों बाद इस तरह का लेख पढने को मिला। आप लेखनी के धनी और विचारों से ऋषी है।आप को बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteसच की यही भाषा होती है। आपके विचारों का व्यापक प्रचार प्रसार होना चाहिए। आपकी कलम आइना दिखा देती है बौद्धिक लफंगई की। अति सुन्दर
ReplyDeleteसच की यही भाषा होती है। आपके विचारों का व्यापक प्रचार प्रसार होना चाहिए। आपकी कलम आइना दिखा देती है बौद्धिक लफंगई की। अति सुन्दर
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteDhanyawad Dyanand Ji....itne clear aur acche lekh k liyea..Mai chaunga ki aap aage bhi likhte rahiyea.
ReplyDeleteसुस्पष्ट विश्लेषण, श्रीमान पाण्डे जी
ReplyDeleteसुस्पष्ट विश्लेषण, श्रीमान पाण्डे जी
ReplyDeleteसराहनीय विश्लेषण के लिये धन्यवाद।बहुत दिनों बाद सटीक भाषाशैली युक्त आलेख पढ़ने को मिला ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सर
ReplyDeleteबधाई
बहुत सुंदर सर
ReplyDeleteमां को मां ही बने रहने दीजिए , बाप की बीवी कहना मत सिखलाईए इन नौजवानों को । इतनी क्रांति भी बहुत अच्छी बात नहीं है । यह देश भी हमारी मां है...����
ReplyDeleteमां को मां ही बने रहने दीजिए , बाप की बीवी कहना मत सिखलाईए इन नौजवानों को । इतनी क्रांति भी बहुत अच्छी बात नहीं है । यह देश भी हमारी मां है...����
ReplyDeletegood sir
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