फ़ोटो : अनिल रिसाल सिंह |
ग़ज़ल / दयानंद पांडेय
हम तो सर्वदा अच्छी बात , अच्छी याद याद रखते हैं
तुम हमारे साथ हो यह साथ ही सर्वदा याद रखते हैं
आधी फसल पक जाए आधी हरी रह जाए खेत में जैसे
तुम्हारी देह में उग आया यह कंट्रास्ट हम याद रखते हैं
तुम्हारे साथ भीगे थे हम जब पहली बार लांग ड्राईव में
वह मिलना वह बरखा की पहली बौछार याद रखते हैं
तुम्हारा बाहों में आना कसमसाना और फिर पिघल जाना
अभी नहीं और नहीं आज नहीं फुसफुसाना याद रखते हैं
तुम्हारा बाहों में आना कसमसाना और फिर पिघल जाना
अभी नहीं और नहीं आज नहीं फुसफुसाना याद रखते हैं
तुम्हारी मर्जी तुम्हारी सुविधा तुम्हारी इज़ाज़त का मान
मंदिर में देवी की आराधना की तरह हम याद रखते हैं
जैसे कोई कोंपल निकलती है पेड़ की किसी शाख पर
वैसे ही तुम्हारा टटकापन तुम्हारा हरापन याद रखते हैं
गीली तौलिया बिस्तर पर रखते ही तुम्हारा भड़क जाना
अच्छा नहीं लगता पर तुम को सिर चढ़ाना याद रखते हैं
[ 24 फ़रवरी , 2016 ]
एक लड़का भीगता है घर के आंगन में बरसात होने पर
बारिश के पानी में नहाना अम्मा से पिटना याद रखते हैं
आनंद दायक।
ReplyDeleteआनंद दायक।
ReplyDeleteबेहद खुबसूरत अभिब्यक्ति ...सर ..
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