Tuesday, 27 October 2020

विकास की तुलना लालू के अधिक बच्चों से करना ज़रूर ही अति है , पतन है नीतीश कुमार का

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तो तमाम ओपिनियन पोल में जीत की अटकलों के बीच क्या नीतीश कुमार बिहार में  हार के भय से सचमुच बौखला गए हैं। जिस तरह लालू यादव और तेजस्वी यादव को ले कर वह निरंतर व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं , उस से लगता तो यही है। कोई 15 बरस मुख्य मंत्री रह कर , सुशासन बाबू बन कर रहने वाला व्यक्ति अगर अपने विकास की तुलना में लालू यादव के अधिक बच्चा करने से , सन कांप्लेक्स से करने पर आमादा हो जाए तो यह राजनीतिक नीचता की पराकाष्ठा है । राजनीति तो हरगिज नहीं है यह। लालू परिवार की बड़ी बहू पर हुए अत्याचार की बात तक तो बात ठीक थी।  तेजस्वी का चरित्रहनन करते हुए कि दिल्ली में यह कहां रहता है तक भी ठीक था। पर यह विकास की तुलना अधिक बच्चों से करना ज़रूर ही अति है , पतन है नीतीश कुमार का। 

लंपट ही सही , नौवीं फेलियर ही सही पर तेजस्वी यादव ने जिस शालीनता से नीतीश कुमार की इस बात का प्रतिवाद किया है और कहा है कि यह मेरी मां का अपमान है , एक स्त्री का अपमान है। बिलकुल ठीक कहा है। नीतीश कुमार ने शालीनता और शुचिता की हद पार कर दी है। इस बिंदु पर नीतीश कुमार को क्षमा मांग लेनी चाहिए। बाक़ी नेताओं को भी नीतीश की इस बात की कड़ी निंदा करनी चाहिए। वैसे भी नीतीश कुमार एक समय लालू यादव के बहुत करीब रहे हैं। पारिवारिक मित्र भी रहे हैं। लालू के निकट सलाहकार रहे हैं। ऐसे आरोप सच होते हुए भी , चुनावी मुद्दा नहीं हो सकते। ऐसे व्यक्तिगत हमलों से नीतीश कुमार को ही नहीं , हर किसी को बचना चाहिए। 

नीतीश कुमार की भाषा भी इन दिनों निरंतर तू-तकार वाली हो गई है। जिस तरह रैलियों में वह तेजस्वी को तू-तकार से संबोधित करते दिख रहे हैं , भीड़ पर तुम-तुम कह कर भड़क रहे हैं , बिलकुल ही ठीक नहीं है। सुशासन बाबू को , उन की छवि को खंडित करती है उन की यह तू-तकार। हम इस नीतीश कुमार को पहले नहीं जानते थे , अब जान रहे हैं। भारतीय राजनीति में अहंकार और सामंतवाद के लिए , बदजुबानी के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। 

सख्त से सख्त बात भी शालीनता और शुचिता की मर्यादा की हद में ही होनी चाहिए। याद रहे कि बिहार में लालू यादव का पतन सिर्फ भ्रष्टाचार , जंगलराज और जातिवाद के कारण ही नहीं हुआ। लालू यादव का अहंकार और उन का सामंतवाद , उन की बदजुबानी भी बड़ा कारण रहा है। चारा कांड उन पर चढ़ बैठा यह अलग बात है। नीतीश कुमार को जान लेना चाहिए कि सुशासन के साथ शालीनता ही शोभा देती है। अहंकार , सामंतवाद और बदजुबानी कतई नहीं। आप अमृत भी अपमान के साथ सोने के थाल में  परोस दें , कोई भला मानुष स्वीकार कोई नहीं करता।

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