Friday 3 April 2020

तो क्या देश गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा हो गया है


नरेंद्र मोदी सरकार , मुसलमानों से डरी हुई है। बुरी तरह डरी हुई है। इसी लिए वह निरंतर डरा रहे हैं। नहीं एक से एक महाबली , गुंडे , माफ़िया अस्पतालों में भर्ती होते रहते हैं। अभी तक किसी की हिम्मत नहीं हुई थी कि नर्सों के आगे नंगे हो कर नाचे। डाक्टरों पर थूके। अब नौबत यह आ गई कि इन कमीनों के इलाज के लिए सेना के डाक्टर तैनात किए गए हैं। इंडिया न्यूज़ की एक खबर के मुताबिक सेना ने इन डाक्टरों के साथ हथियारबंद प्रोटेक्शन टीम को भी भेजा है। शाहीनबाग़ और सी ए ए को ले कर हुए दिल्ली दंगे , देश भर में हुए उपद्रव पर  मोदी सरकार ने जिस तरह ढुलमुल रवैया अपनाया , वह बहुत ही घातक साबित हुआ है , देश के लिए। 

अस्सी के दशक में लगभग यही अराजकता खालिस्तानियों ने शुरू की थी। भिंडरावाले के नेतृत्व में खालिस्तान आंदोलन इतना हिंसक हो गया था कि सिखों को देखते ही लोग डर कर दूर हो जाते थे। फिर जो हिंसा का तांडव शुरू हुआ वह गृह युद्ध में तब्दील हो गया। गनीमत थी की इस की आंच दिल्ली , हरियाणा और पंजाब की सरहदों तक ही थी। इंदिरा गांधी जैसी लौह महिला प्रधान मंत्री थी। स्वर्ण मंदिर में सेना भेज कर किसी तरह इस गृह युद्ध को टाला था। बाद में उन्हें इस की कीमत अपनी कुर्बानी दे कर चुकानी पड़ी थी। देश उन की शहादत को भूला नहीं है। न उन के साहस को। लेकिन इस 2020 में स्थिति खालिस्तान आंदोलन से भी ज़्यादा खतरनाक और बदतर है। कोरोना जैसी विश्वव्यापी आपदा के समय भी अगर कोई कौम खुल कर देशव्यापी स्तर पर अपने आत्मघाती होने के निरंतर सुबूत दे रही हो तो आप इसे सिर्फ हिंदू-मुसलमान के खांचे में डाल कर सो जाना चाहते हैं तो यह आप की भूल है। आप का अपराध है। 

अस्सी के दशक में इंदिरा गांधी और कांग्रेस के प्रति सिख समुदाय की जो नफरत थी , उस से कहीं सौ गुना नफरत इस समय मुस्लिम समाज की नफरत नरेंद्र मोदी और भाजपा के प्रति दिख रही है। यह नफरत पाकिस्तान की सरहद तक जाती है। बांग्लादेश तक जाती है। सिर्फ दिल्ली , हरियाणा , पंजाब तक नहीं। इस बात को , इस तथ्य को अगर कोई सदाशयता में भी अनदेखा कर रहा है तो निश्चित रूप से वह अंधा है। मुश्किल यह कि सेक्यूलर हिप्पोक्रेटों ने इस नफरत को वैचारिक ज़मीन दी है। उबाल और नफरत तो 2014 ही से थी। याद कीजिए फारुख अब्दुल्ला जैसों के बयान जो मोदी को वोट देने वालों को समंदर में डुबो रहे थे। तमाम और गतिविधियों को याद कीजिए। यह भी याद कीजिए जब कुछ लोग मोदी के जीतने पर देश छोड़ने की धमकी दे रहे थे। अमर्त्य सेन जैसे लोगों की आर्थिक नौटंकी याद कीजिए। खैर , वह कांग्रेसी पैसे पर नाच रहे थे और अपने नोबल पुरस्कार को डुबो रहे थे। गाय वाय फिर शुरू हुआ। अवार्ड वापसी , जे एन यू में जहर की फसल वगैरह याद कर लीजिए। गोहत्यारों के बचाव में माब लॉन्चिंग का नैरेटिव आदि-इत्यादि। नोटबंदी , जी एस टी के कुचक्र के बहाने नफरत और नागफनी के तमाम पड़ाव पार कर जब 2019 का चुनाव भी जीत लिया मोदी ने तब ही इस गृहयुद्ध की बुनियाद रख दी गई। इस्लाम फर्स्ट , नेशन सेकंड की अवधारणा में जीने वाले , वंदे मातरम और भारत माता की जय का मजाक उड़ाने और तौहीन करने वाले लोग अब संविधान बचाने का राग ले कर उपस्थित हो गए। तीन तलाक , कश्मीर में 370 के खात्मे ने उन की बुनियाद में खाद का काम किया। लेकिन कोई राजनीतिक कंधा नहीं मिल रहा था। अब आया सी ए ए। कांग्रेस ने लाभ के लिए कंधा थमा दिया। कह दिया , सड़क पर उतरो। कांग्रेस के टट्टू कम्युनिस्टों ने शाहीन बाग़ सजा दिया। सोए जे एन यू को जगा दिया। जामिया मिलिया को जला दिया। आज तक जामिया हिंसा में एक नहीं मारा। लेकिन अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से लगायत जाधवपुर यूनिवर्सिटी तक जामिया के शहीदों की शहादत तापने के लिए एकजुट हो गए।

दिसंबर में हुए देशव्यापी उपद्रव में मोदी सरकार ठीक आकलन करने से चूक गई। जनसंख्या नियंत्रण क़ानून , कॉमन सिविल कोड , एन आर सी आदि की तैयारी में लगी रही। कि दिल्ली तीन दिन के दंगे में झुलस गई। तब मोदी सरकार की नींद टूटी। पर अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ! देश गृह युद्ध की नाव पर बैठ चुका था। वारिस पठान कहने लगा था 15 करोड़ 100 करोड़ पर भारी हैं। क्या कार्रवाई हुई वारिस पठान पर। नार्थ ईस्ट को देश से काटने के आह्वान के साथ शरजील इमाम खड़ा हो गया। अभी तो यह शेरनियां हैं। जैसी बातें होने लगीं। तो क्या यह सब लोग जनगणमन गा रहे थे ? शहर दर शहर शाहीन बाग़ खुल गए। मोदी सरकार ने क्या कर लिया इन का। नतीजा सामने है। गृह युद्ध के इन सिपहसालारों को कोई कोरोना , फोरोना का भय नहीं रह गया है। जो लोग मुसलामानों के अनपढ़ , जाहिल होने के तर्क दे रहे हैं , वह नादान लोग हैं। राहत इंदौरी तो चलिए पुराने कटटर हैं। लीगी हैं। लिखते ही रहे हैं किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़े ही है। लिखते ही रहे हैं कि कब्रों की ज़मीने दे कर मत बहलाइए / राजधानी दी थी राजधानी चाहिए। मुनव्वर राना भी एक मां के बहाने लोकप्रिय हो कर इस्लाम का ही तराना गाते रहे हैं। लेकिन जावेद अख्तर ? जावेद अख्तर तो राज्य सभा में भारत माता की जय बोलने वालों में से थे।  उन को अब क्या हो गया ? दस बरस तक उप राष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी को क्या हुआ ? आमिर खान , शाहरुख़ खान , नसीरुद्दीन शाह सभी का डर जोड़ लीजिए। तमाम और डर जोड़ लीजिए। तो क्या 370 की आड़ में जो हिंसा हो रही थी , देशद्रोही कारनामे हो रहे थे , वह डरे हुए मुसलमानों का कारनामा था ? और अब जो मुसलसल छ महीने से हो रहा है , वह डरे हुए लोग कर रहे हैं ? कोरोना से भी नहीं डरने वाले लोग मोदी सरकार से डरे हुए हैं ? किस की आंख में धूल झोंक रहे हैं भला आप। आप की आंख पर पट्टी बंधी हुई है तो बांधे रहिए। 

पर आप मानिए न मानिए मुस्लिम समाज के अराजक तत्वों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वह कोरोना को गले लगा कर पुलिस पर सरेआम गोली तान सकते हैं। डाक्टरों पर थूक सकते हैं। जिन नर्सों का दुनिया भर में सम्मान हो , जिन्हें सिस्टर कहा जाता हो , उन के सामने नंगे नाच सकते हैं। अश्लील हरकतें कर सकते हैं। पुलिस पर पत्थरबाजी की प्रैक्टिस तो इन्हें मक्का और कश्मीर से ही है। लेकिन कोरोना की इस विपत्ति में निजामुद्दीन मरकज से निकल कर पूरे देश में फ़ैल कर तबलीग जमात के लोगों द्वारा कोरोना को बढ़ाने का यह हिंसक हौसला कुछ तो कहता ही है। फिर टिक टाक पर जो कोरोना फ़ैलाने के लिए परोसे गए बेशुमार वीडियो हैं , उन का क्या करें। उस में भी बच्चों का बेधड़क इस्तेमाल साफ़ बताता है कि मोदी सरकार का इकबाल और धमक मुस्लिम समाज में पूरी तरह समाप्त हो चुका है। अब भी अगर मोदी सरकार नहीं चेती , इन अराजक और हिंसक लोगों पर कड़ी कार्रवाई नहीं करती तो तय मानिए भारत अब गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। किसी एक गांव , किसी एक शहर की बात नहीं है। देश भर की मस्जिदों से निरंतर लोग निकाले जा रहे हैं। विदेशी लोग भी। मुस्लिम समाज द्वारा सी ए ए के बहाने लॉक डाऊन का देशव्यापी विरोध और कोरोना फ़ैलाने की सनक से भी सरकार की आंख नहीं खुलती तो फिर आने वाला समय बहुत संकट में डालने वाला है देश को। कम से कम गृह युद्ध को ऐसी स्थिति में बिना कड़ी कार्रवाई के आप नहीं टाल सकते। छिटपुट रासुका लगाने से यह संकट टलता नहीं दीखता। 

कोरोना से निपटने के बाद गृह युद्ध के जाल अगर समय रहते नहीं काटा गया तो फिर भगवान ही मालिक है। या फिर पाकिस्तान की तर्ज पर भारत को भी कब्रिस्तान और श्मसान घाटों की पर्याप्त व्यवस्था करनी शुरू कर देनी चाहिए। या फिर इंदिरा गांधी जितना साहस बटोर कर मोदी को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। मुस्लिम समाज से डरना बंद कीजिए मिस्टर मोदी। मुस्लिम तुष्टिकरण के खिलाफ जनता ने मोदी को चुना था। पर मोदी तो कांग्रेस से भी बड़े मुस्लिम तुष्टिकरण के दुकानदार साबित हो रहे हैं। एक हाथ में कंप्यूटर , दूसरे हाथ में कुरआन का नारा सुनने में अच्छा लगता जो यह सचमुच साकार हुआ होता। यह नारा तो जुमला साबित हो गया। न साबित हुआ होता जुमला तो यह डाक्टरों पर यह लोग थूकते नहीं। नर्सों के सामने नंगे हो कर नाचते नहीं। कोरोना फ़ैलाने का ऐलानिया कैरियर न बनते। ताली और थाली बजा कर , दिया जला कर इस कैंसर का इलाज नहीं हो सकता। गृह युद्ध को नहीं टाला जा सकता। यह लोग लॉक डाऊन नहीं तोड़ रहे , देश तोड़ रहे हैं। जागो , मोदी जागो ! देश को होमियोपैथी की मीठी गोली बहुत खिला लिया। सर्जिकल स्ट्राइक , एयर स्ट्राइक की तरह देश तोड़कों के खिलाफ भी एक स्ट्राइक बहुत ज़रूरी हो गई है। 

6 comments:

  1. अब मेरायह गीत भी गाया जाय।
    कुछ नव इतिहास बनाया जाय।।
    $ $ $ $ $ $ $ $ $$
    @ @ @ @ @ @ @
    बहुत हो चुकी सहन शीलता,
    अब तो शस्त्र उठाना होगा।
    संविधान के अनुशासन का,
    विधिवत पाठ सिखाना होगा।
    स्वतंत्रता की आड़ में दुश्मन,
    युद्ध रखे जो जारी हैं।
    कोरोना के माध्यम से यह,
    फिदायीन तैयारी है।।

    हिन्दुस्तान की बरबादी का,
    कुटिल खेल वो खेल रहे।
    उनका घातक विष-दंश सब,
    भारतवासी झेल रहे।।
    लोक-सेवकों के ऊपर जो,
    थूके वह मक्कारी है।
    कोरोना के माध्यम से यह,
    फ़िदायीन तैयारी है।।

    उन मायावी देशद्रोहियों,
    की पहचान करवा डालो।
    जैसे चीन ने किया नियंत्रित,
    वैसे उनको मरवा डालो।
    इस जघन्य अपराध के ऊपर,
    चुप रहना भी गद्दारी है।
    कोरोना के माध्यम से यह,
    फ़िदायीन तैयारी है।।

    अगर बच गये साँप-सँपोले,
    हरदम फण फैलायेंगे।
    भारत की धरती को एक दिन,
    वे श्मशान बनायेंगे।।
    ऐसे विषधर नागों को तो,
    छोड़ना भूल अब भारी है।
    कोरोना के माध्यम से यह,
    फ़िदायीन तैयारी है।।

    आज देश यदि चूकेगा तो,
    वर्षों-वर्षों तक जलना होगा।
    मुन्ना पाठक रणनीति से,
    साँपों का शीश कुचलना होगा।
    विश्वयुद्ध संग गृहयुद्ध की,
    फैली यह महामारी है।
    कोरोना के माध्यम से यह,
    फ़िदायीन तैयारी है।।
    @
    Munna Pathak.

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  2. मैं तो इसमें मुसलमानों की कोई गलती नहीं मानता; वह लोग तो यही कर रहे हैं जो उनकी आसमानी किताब उन्हें सिखाती है। अगर तबलीगी जमात के हर सदस्य को ढूँढ कर जेलों में डाल दिया जाय, अगर हर वह मस्जिद उड़ा दी जाय जिसमें तबलीगियों के छिपे होने का सन्देह हो, तब भी मुसलमानों में गैर मुसलमानों के प्रति नफ़रत कम नहीं होगी, क्योंकि पवित्र कुरआन तो तब भी रहेगी।
    फ़सादी मुसलमानों के खिलाफ़ प्रशासनिक/ कानूनी कार्रवाइयाँ ज़रूरी हैं, पर वैचारिक स्तर पर कुरआन को चुनौती देकर उसे गलत और मानवीयता के विरुद्ध सिद्ध किये बिना इन कार्रवाइयों से कुछ भी नहीं होगा।
    और इस्लाम/ कुरआन के विरुध्द यह लड़ाई लड़ने लायक शक्ति भारत में तो क्या किसी देश में नहीं है। अफ़गानिस्तान में तालिबान पर बमबारी शुरू करने से पहले जॉर्ज बुश को भी यह स्पष्टीकरण देना पड़ा था कि उनकी लड़ाई इस्लाम के विरुध्द नहीं थी। इस्लाम के विरुध्द यह लड़ाई तो गैर-इस्लामी देशों को मिलकर ही लड़नी होगी। वर्तमान समय में तो चीन दुनिया का इस्लाम से भी बड़ा शत्रु दिख रहा है। एकसाथ दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ने में दुनिया का कोई देश अपने को सक्षम नहीं पा रहा है, फिर अकेले मोदी पर कमज़ोरी और नामर्दी का आरोप लगाने का कोई अर्थ नहीं। हमें परिस्थितियों के अनुकूल होने तक प्रतीक्षा करनी ही होगी, और यह प्रतीक्षा बहुत, बहुत लम्बी भी हो सकती है।

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  3. विपक्ष की मानसिकता से बाहर निकलिए। जब सेना निरंतर मोर्चे जीत रही हो, और दुश्मन कोई एक मोर्चा जीत ले तो अपने सेनानायक पर अविश्वास नहीं किया जाता।
    निसंदेह कांग्रेस और वामपंथियों की गद्दारी के कारण से देशतोड़क शक्तियों ने मुसलमानों को बुरी तरह से भरमा लिया है, और नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ एक दम बेखौफ खड़ा कर दिया है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि सारी बाजी हारी जा चुकी है और सेना तथा सेनानायक असफल सिद्ध हो चुका है।
    सी ए ए के तत्काल बाद ही कोरोना महामारी का कहर सामने आया है ऐसी स्थिति में एक साथ दो शत्रुओं से लड़ना कोई समझदारी नहीं है। आवश्यकता अपना आत्मविश्वास बनाए रखने की, अपने नेतृत्व पर पूर्ण समर्पण के साथ भरोसा करने की तथा धैर्य पूर्वक अनुकूल परिस्थितियों की प्रतीक्षा करने की है ना कि अपना आत्मविश्वास खो कर, क्रोध की अग्नि में जलकर, अपने ही नेतृत्व का मनोबल तोड़ने की।

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  4. Corona virus एक और ISLAMIC BIRD (एक और इस्लामिक चिङिया ).

    इस्लामिक मुल्कों (अफगानिस्तान, पाकिस्तान), में रहने वाले 9/11 की घटना को बताते हैं कि कैसे इस्लामिक बहादुरों ने दुश्मन की चिङिया (aeroplane) से ही दुश्मन (अमेरिका) को घुटनों के बल रेंगने पर मजबूर कर दिया था । वैसे ही तबलीघी जमात का नाम इस्लामिक इतिहास में corona virus से मुट्ठी भर गाजी (इस्लामिक बहादुरों) ने दुश्मन देश की 130 करोड़ की जनता को घुटनों के बल रेंगने और काँपने के लिए मजबूर करने के लिए जाना जाएगा।

    Striking terror into the hearts of the enemy from the preparatory stage of war while providing effective safeguards against being terror------- striken by the enemy.Under ideal condition, jihad can produce a direct decision and force it's will upon the enemy.
    ये कुरान का आदेश है। आतंक उनका सबसे बड़ा हथियार । बहुत से ज्ञानी तबलीघी जमात के लोगों की hospital में उनकी हरकतों से उनको चरित्र हीन बताने की कोशिश में लगे हैं । कभी सोचा है कि क्या "काफिरो " से उनको" चरित्र प्रमाण पत्र " (character certificate )चाहिए । वो इस्लाम के अनुसार सबसे पवित्र, और बहादुर लोग हैं हम फुदक-फुदक कर चरित्र हीन बताने की कोशिश कर अपनी हार छुपा रहे हैं ।

    इस हार का कारण है हमारी burocreacy. विश्व का कोई भी newspaper उठा ले , तबलीघी जमात की ये कारस्तानी ( पाकिस्तान में दस दिन पहले हो चुकी थी) और पूरी दुनिया को इसकी जानकारी थी ,नहीं पता था तो केवल देश की burocreacy, अफसरों को देश की जनता को, मीडिया को सवाल, इनसे पूछना चाहिए कि ये कहाँ सो रहे थे । मुट्ठी भर लोगों ने हमें अपनी बेवकूफी से शर्मनाक स्थिति में पहुँचा दिया है ।

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  5. बिलकुल सही आकलन है ।आखिर कब तक आख बन्द करके गरदन नीचे करके खतरे को टालते रहेंगे ।आर पार की लड़ाई के लिए तैयार होना होगा ।मोदी सरकार भी बयान बहादुर से उपर उठकर हकीकत से रूबरू हो ।

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  6. तालिबानी ज़मात ने इस्लाम का एजेंडा दरपेश किया है,अब देखना ये है कि हम अब भी गंगा जमुनी तहज़ीब जैसे ज़मलौं को तवज्जो देते रहेंगे या फिर शठे शाठ्यम् समाचरेत् का अनुसरण करेंगे।समय की मांग है कि फिलहाल हम इस ज़मात का पूर्णरूप से बहिष्कार करें और आगे की रणनीति तैयर करें......

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