Wednesday 1 April 2020

दो कामरेड मित्रों को अलग-अलग जवाब के पहलू

एक लेखक मित्र की पोस्ट पर एक कवि और 

कामरेड मित्र के कमेंट पर मेरा कमेंट 


इस तरह आप के भड़कने की विवशता समझ सकता हूं। कोई भभकी नहीं दे रहा मैं किसी को। लेकिन वैचारिक कटटरता भी आदमी को इतना मुश्किल में डाल सकती है , इतना बड़ा भक्त बना सकती है , वैचारिकी का गुलाम बना सकती है , आप की इस प्रतिक्रिया को पढ़ कर समझा जा सकता है। नहीं जानते अपनी वैचारिक कट्टरता के चलते आप तो अब से जान लीजिए कि जिन लोगों को विदेश से बुलाया गया , उन की बार-बार की पुकार पर , उन्हें राहत देने के लिए , वह सभी भारतीय नागरिक हैं। सरकार की ज़िम्मेदारी थी , उन्हें चीन , इटली , ईरान आदि से बुला लाना। सरकार ने वह किया। आप जैसे लोग मोदी सरकार पर हिंदूवादी होने की , हिंदू-मुसलमान करने की तोहमत लगाते ही रहते हैं , निरंतर। लेकिन यह जो लोग तमाम देशों से भारत लाए गए हैं , विशेष विमान से , उन में अधिकांश क्या 75 प्रतिशत मुस्लिम समाज से हैं। लेकिन लाए गए। एयरफोर्स के विमान से निरंतर लाए गए। क्यों कि वह भारतीय हैं। भारत सरकार की नैतिक ज़िम्मेदारी थी उन्हें वापस भारत लाना। 

रही बात शी जिनपिंग की तो हां , वह दुनिया के अपराधी हैं। मनुष्यता के अपराधी हैं। इन के खिलाफ मुकदमा अंतर्राष्ट्रीय अदालत में ही मुमकिन है। और वहां जाने की क्षमता नहीं है मेरी। न ही किसी स्थानीय अदालत में। सिर्फ़ यह लिखने की , यह कहने की औकात मेरी है। वह कर रहा हूं। आप कीजिए शी जिनपिंग की भक्ति। और भड़कते हुए करते रहिए शी जिनपिंग का गुणगान। वैचारिक गुलामी का तकाजा है यह। कोई बुरी बात नहीं। नहीं लिखने को तो आप ने यह भी लिखा है अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता की गुलामी में कि केरल बिलकुल ठीक-ठाक है। उस ने अपने को कोरोना से मुक्त कर लिया है। क्यों कि वहां कम्युनिस्टों का शासन है। 

पता नहीं कम्युनिस्ट भक्ति में आक्रांत लोग बाकी लोगों को इतना अंधा , इतना अपढ़ क्यों समझते हैं। स्थिति यह है कि कोरोना पीड़ित मामले में केरल दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र , जहां आप प्रवासी हैं , पहले नंबर पर। इस कोरोना आपदा के समय भी हुई नक्सल हिंसा में मारे गए सुरक्षा बल के जवानों पर तो दूसरोँ की औकात की पड़ताल करने वाले आप जैसे लोग चुप ही रहना पसंद करते हैं। नक्सली हिंसा के खिलाफ किसी कामरेड की बोलने की हैसियत है नहीं पर दूसरों की औकात , बात-बेबात देखते , दिखाते रहते हैं। यह गुड बात नहीं है। मनुष्यता से बड़ी नहीं है , कामरेडशिप। और कामरेडों की हिप्पोक्रेसी से यह भारतीय समाज अब आजिज आ गया है। नहीं जानते तो अब से जान लीजिए। और कि मान लीजिए कि बहुत बड़े साम्राज्यवादी और व्यापारी कामरेड शी जिनपिंग कोरोना के बाबत समूची दुनिया और मनुष्यता के अपराधी हैं। मुख्य अपराधी। इस बाबत दुनिया भर में  तमाम रिपोर्टें आ गई हैं। अभी दुनिया कोरोना से लड़ रही है। कोरोना से निपटने के बाद दुनिया एकजुट हो कर शी जिनपिंग को भी राइट टाइम करेगी। लिख कर कहीं रख लीजिए। ताकि सनद रहे और वक्त ज़रूरत काम आए।


एक कामरेड दोस्त की पोस्ट पर मेरा यह एक कमेंट 


तुम्हारी यह पोस्ट देख कर जान पाया कि कम्युनिस्टों में भी कम भक्त नहीं है। अच्छा अवसर दिया है यह जानने का। अन्य कामरेड साथी भी इधर लगातार यह अवसर देते ही जा रहे हैं। तुम अकेले नहीं हो इस मुहिम में । चीन कोरोना का जनक लेकिन उस का कोई कम्युनिस्ट नाम ही नहीं लेता। केरल कोरोना पीड़ितों के मामले में दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र नंबर एक पर। आबादी में कम होने , संसाधन में बहुत आगे रहने के बावजूद बहुत मुश्किल में है केरल। किसी न किसी की मृत्यु की खबर केरल रोज दे रहा है। लेकिन तुम को केरल ठीक-ठाक लग रहा है तो बहुत अच्छा। बधाई तुम्हें कि केरल को ऐसे ही सुंदर बनाए रखो। उत्तर प्रदेश , बिहार में तो वैसे भी सांप्रदायिक सरकारें हैं। निकम्मी हैं। एक केरल बढ़िया , दूसरे लाखों मज़दूरों को पलायन के लिए उकसाने वाली दिल्ली प्रदेश की केजरीवाल सरकार बढ़िया। जैसे सारे मज़दूर दिल्ली शहर में ही रहते हैं। कोलकोता , मुंबई , अहमदाबाद , सूरत , पंजाब आदि-इत्यादि में तो सिर्फ़ साहब लोग , व्यापारी लोग ही रहते हैं। इस लिए यहां से मज़दूर लोग पलायन नहीं कर रहे। वैसे भी लॉक डाऊन मोदी का तुगलकी फरमान है। उसे फेल करने की तरकीब लगाने , फेल होने का विवरण पेश करने का आनंद ही कुछ और है। क्यों कि यह देश तो सिर्फ मोदी और उस के बाप का है। सो पूरी भक्ति से लगे रहो। कोरोना को बढ़ाने के लिए लॉक डाऊन की ऐसी-तैसे करते रहो। कोरोना की आग में देश जितना जलेगा , लाल सलाम बोलने में उतनी ही ऊर्जा मिलेगी। नक्सल बेल्ट में सुरक्षा बलों को मारो , बाकी जगह कोरोना में लोग मरें। तभी तो जुगलबंदी बनेगी। लाल सलाम , लाल सलाम की लाली खूब चटक होगी। गुड है यह भी।

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