आज देश के कुछ दिलजले , कुछ चोर , कुछ उचक्के , कुछ महाभ्रष्टाचारी , कुछ ब्लैकमेलर , कुछ प्रधान मंत्री पद के महत्वाकांक्षी , आज एक साथ कोलकाता में इकट्ठे हुए । एक सूत्रीय कार्यक्रम नरेंद्र मोदी को हटाने के लिए । गुड है । लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि दल तो मिले लेकिन दिल भी मिले क्या । जाहिर है नहीं मिले । यह सभी 22 दलों वाले लोग अगर सचमुच एक साथ दिल से मिल जाएं तो , मोदी और उन की पार्टी भाजपा को सचमुच एक सेकेंड में हटा सकते हैं । इस में तो कोई दो राय है ही नहीं । लेकिन यह 22 दल दो बात पर कभी एक नहीं होंगे । एक यह कि प्रधान मंत्री पद के लिए कोई एक नाम सर्वसम्मति से तय कर लें । दूसरे यह कि पूरे देश में भाजपा प्रत्याशी के ख़िलाफ़ सिर्फ़ एक साझा उम्मीदवार खड़े करें । अगर ऐसा हो जाए तो तय मानिए कि भाजपा दस , पांच सीट पर ही लोकसभा चुनाव में सिमट कर रह जाएगी । भाजपा और नरेंद्र मोदी का कोई नामलेवा नहीं रह जाएगा ।
लेकिन उपरोक्त दोनों बातों से कोलकाता में आज इकट्ठा हुए यह सभी 22 दल कभी भी एकमत नहीं होंगे । नरेंद्र मोदी और भाजपा की यही बड़ी ताकत है । इन सभी महत्वाकांक्षी 22 दलों के दिल कभी नहीं मिलेंगे। इन के हाथ में सिर्फ़ मंकी एफर्ट है। बंदरों की तरह सिर्फ़ इस डाल से उस डाल उछल-कूद करने के लिए यह सभी अभिशप्त हैं । यह वह चूहे हैं , जो बिल्ली के गले घंटी बांधने के लिए मीटिंग तो करते हैं , पर घंटी कौन बांधे के डर से ही तितर-बितर हो जाते हैं। इन के पास कोई एक जयप्रकाश नारायण नहीं है , जो सब को एक छाते के नीचे बटोर सके । विपक्ष के पास एक लतीफा और फ्रस्ट्रेटेड राहुल गांधी है । बदमिजाज ममता बनर्जी , महाभ्रष्ट मायावती , अखिलेश , अराजक अरविंद केजरीवाल , अपनी ही तानाशाही में ध्वस्त कुछ वामपंथी आदि हैं । शत्रुघन सिनहा जैसे बड़बोले और ब्लैकमेलर मेढक हैं , जो सिर्फ़ टर्र-टर्र ही जानते हैं । झूठ बोल कर , ब्लैकमेलिंग कर बाग़ी नहीं बनते मिस्टर शत्रुघन सिनहा । मोदी सरकार और भाजपा का विरोध करने के लिए एक अनिवार्य नैतिकता थी कि आप सांसद पद से इस्तीफ़ा दे कर बोलते , बाग़ी बनते तो देश सैल्यूट करता आप को । लेकिन आप की पूरी लड़ाई सिर्फ मंत्री पद की लालसा ही रही । अरुण शौरी और यशवंत सिनहा की बग़ावत भी इसी लालसा का परिणाम है । कुछ और नहीं । कल मंत्री बनाए जाने की आशा जग जाए तो आज ही इन तीनों के सुर बदल जाएं ।
कुल मिला कर जितने लोग , उतने कुएं की तलब वाले लोग हैं । प्यास भी सब की एक है । इस प्यास के अंदर सिर्फ़ लाभ , सिर्फ़ सत्ता , सिर्फ़ अहंकार कुलाचे मारता है । त्याग , विश्वास और धैर्य का कोई एक धागा नहीं है इन के पास जो सब को एक सूत , एक मकसद में बांध कर , एकजुट कर मोदी की सत्ता को उखाड़ फेकने में कामयाब हो सके । जैसे 2014 में विपक्ष के पास मनमोहन सरकार को उखाड़ फेकने के लिए असीमित ऊर्जा और मेहनत वाला अर्जुन की तरह सिर्फ़ मछली की आंख देखने वाला एक नरेंद्र मोदी था , वैसे ही 2019 में विपक्ष के पास कोई एक नरेंद्र मोदी नहीं है । 1977 की तरह कोई एक जे पी नहीं है । जिस दिन विपक्ष के पास कोई एक जे पी या कोई एक नरेंद्र मोदी नहीं होगा , तब तक नरेंद्र मोदी की सत्ता को उखाड़ फेकने का सपना पालना , सिर्फ़ तमाशा है । किसी मदारी का तमाशा । तमाशा देखते , दिखाते रहिए । ताली बजाते रहिए । फ़िलहाल तो विपक्ष के किसी एक जमूरे में भी वर्तमान परिदृश्य में इतनी ताकत नहीं दिखती कि वह नरेंद्र मोदी की सत्ता को उखाड़ फेकने की क्षमता रखता हो । परिदृश्य बदल जाए तो बात अलग है । लेकिन इस परिदृश्य को बदलने के लिए प्रधान मंत्री पद का एक उम्मीदवार और हर सीट पर देश भर में भाजपा के खिलाफ सिर्फ़ और सिर्फ़ एक साझा प्रत्याशी खड़ा करना बाध्यकारी और अनिवार्य तत्व है । बाक़ी आप का एजेंडा , आप की लालसा , आप की इच्छा , आप की विचाधारा की ज़िद और सनक अपनी जगह है । लेकिन आज के राजनीतिक दर्पण का सच यही है ।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (21-01-2019) को "पहन पीत परिधान" (चर्चा अंक-3223) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक