फ़ोटो : गौतम चटर्जी |
ग़ज़ल / दयानंद पांडेय
कई बार जैसे चाह कर भी तुम साथ नहीं होती
ठीक सामने होती हो तुम और बात नहीं होती
वो मंज़र सांझ का हो सकता है या सुबह का भी
आसमान में चांद होता है लेकिन रात नहीं होती
बादल बरखा और भीगती रात फिर तुम्हारा साथ
देखने वाली लेकिन तुम्हारी वह आंख नहीं होती
मुहब्बत में आती रहती हैं अड़चन और भी बहुत
हाथ में हाथ होता है लेकिन सामने राह नहीं होती
जुगनू तारे चांद सितारे गाते घूमते गांव नगर सारे
प्रेम की नाव थम जाती जब नदी में धार नहीं होती
मुहब्बत में आती रहती हैं अड़चन और भी बहुत
हाथ में हाथ होता है लेकिन सामने राह नहीं होती
जुगनू तारे चांद सितारे गाते घूमते गांव नगर सारे
प्रेम की नाव थम जाती जब नदी में धार नहीं होती
[ 25 जून , 2016 ]
इस ग़ज़ल का मराठी अनुवाद
इस ग़ज़ल का मराठी अनुवाद
अनुवाद : प्रिया जलतारे
#अगदी समोर असतेस पण संवाद होत नाही
बरेचदा जसे इच्छा असून ही तू सोबत नसतेस
अगदी समोर असतेस पण संवाद होत नाही
ते दृश्य संध्या समयीचे असो अथवा पहाटे चे
आकाशात चंद्र असतो पण रात्र मात्र नसते
ढग ,पाऊस आणि ओलेती रात्र आणि तुझा सहवास
पहाण्यासाठी मात्र तुझी ती नजर राहात नाही
प्रेमात येतच राहते अडचण आणखी काही
हातात हात असतो पण समोर मार्ग राहात नाही
काजवे तारे चंद्र चांदणे गात फिरतात गाव नगर सारे
प्रेमाची नाव मात्र थबकते जेव्हा नदीला प्रवाह राहात नाही
कुछ भी पाने की तमन्ना जब ना होगी तुमको
ReplyDeleteदिल तेरा सिर्फ एक दिल को चाहेगा
दिल का हर तार जब उस दिल से जुड़ जाएगा
उसकी मुस्कराहट से चैन तुम्हे आएगा
साथ देगी सारी कायनात तुम्हे मिलाने में
राहे- उल्फत का ये दस्तूर है ज़माने में http://www.hindisuccess.com/2016/06/pyar-sachcha-jab-tumhe-ho-jayega-true-love-poem-in-hindi.html
बहुत खूब ... लाजवाब ग़ज़ल है ...
ReplyDelete