Monday 21 December 2020

तो अमित शाह ने ममता बनर्जी के वोट बैंक में पूरी तबीयत से एक पत्थर मार कर सूराख कर दिया है

कैसे आकाश में सूराख़ हो नहीं सकता

एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।

तो दुष्यंत कुमार के इस शेर को अमल में लाते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने ममता बनर्जी के वोट बैंक में पूरी तबीयत से एक पत्थर मार कर सूराख कर दिया है। कल विराट भव्य शो के बाद प्रेस कांफ्रेंस में तथ्यात्मक आरोपों की झड़ी लगा दी। इतना कि ममता बनर्जी ने घायल हो कर शरद पवार को पुकार लिया है। शरद पवार ने कोई फौरी प्रतिक्रिया नहीं दी है। पर ममता बनर्जी को अब टैगोर और विवेकानंद भी याद आ गए हैं।  क्यों कि यही बिसात अमित शाह कल बिछा गए हैं। दिक्क़त एक यह भी है कि टैगोर की मूर्तियां तोड़ने वाले , विवेकानंद की मूर्तियों पर कालिख पोतने वाले वामपंथी इस बिसात पर कैसे खेलेंगे भला। मायावती की तरह ममता आज अमित शाह के आरोपों का जवाब लिखित पढ़ कर दे रही थीं। कहा कि कल डिटेल जवाब देंगी। अब ममता को कोई यह बताने वाला नहीं है कि यह काम अदालत में ही होता है कि चार हफ्ते , छ हफ्ते में काउंटर , रिज्वाइंडर। राजनीति में तो फौरन से पेस्तर जवाब दिया जाता है।

ईसाई वोटों पर भी आज ममता ने डोरे डाले। रही मुस्लिम वोट बैंक की बात तो इस चुनाव में ममता , कांग्रेस और वामपंथियों के अलावा एक और दावेदार साझीदार हैं ओवैसी। वही ओवैसी जी बिहार में सेक्यूलरिज्म के संगीत को खंडित कर चुके हैं। बहरहाल , ममता बनर्जी के सलाहकार प्रशांत किशोर ने किसी ज्योतिषी की मानिंद ट्वीटर पर घोषणा की है कि भाजपा दहाई की संख्या नहीं छू पाएगी। छू लिया तो वह ट्यूटर छोड़ देंगे। नाखून कटवा कर शहादत का यह रंग भी ग़ज़ब है। प्रशांत किशोर से जाने क्यों किसी ने बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटों की संख्या नहीं पूछी है। 

अमित शाह 200 से अधिक सीट का दावा कर चुके हैं। नड्डा भी। अब यह तो बंगाल की जनता जाने। पर सवाल है कि ममता की राय में अगर अमित शाह , नड्डा जैसे लोग बाहरी हैं तो फिर शरद पवार क्या हैं। खैर पश्चिम बंगाल का चुनाव दिलचस्प हो गया है। तब जब कि हैदराबाद से असुद्दीन ओवैसी का बंगाल दौरा शेष है। ओवैसी के बंगाल जाने के बाद पश्चिम बंगाल में गरमी और बढ़ेगी। रही बात कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों की तो पश्चिम बंगाल ही क्यों , देश में कहीं भी इन का कोई चुनाव लड़ना , न लड़ना अब मतलब नहीं रखता। कांग्रेस तो अपना अध्यक्ष ही नहीं चुन पा रही डेढ़ बरस से। कांग्रेस की हालत पाकिस्तान सरीखी है। पाकिस्तान में जैसे प्रधान मंत्री कोई भी हो कमान सेना के ही हाथ होती है। कांग्रेस की यह सेना , और प्रधान मंत्री दोनों ही शक्तियां गांधी परिवार में निहित हैं । 

कम्युनिस्ट पार्टियों का वैसे भी तानाशाही में , हिंसा में यक़ीन होता है। लोकतंत्र में नहीं। लोकतंत्र को ढोना उन की विवशता है। सांस फूल जाती है इस में उन की। नेपाल की ताज़ा मिसाल सामने है। संसदीय चुनाव उन्हें वैसे भी रास नहीं आता।  न ही जनता में उन का कोई आधार शेष है। ममता बनर्जी कल अपना जवाब दुबारा पूरी तैयारी से देंगी। फिलहाल वह आज अमित शाह के लिए अभद्र शब्दों से परहेज कर गईं। जब कि नड्डा के लिए गड्ढा , चड्ढा जैसे शब्द बोल रही थीं। फ़िलहाल वह भाजपा को अब की बार दंगा पार्टी भी नहीं बोल रहीं। हां , भाजपा को चीटिंग पार्टी ज़रूर बता दिया है। 

अभी प्रशांत किशोर के कहे से वह सॉफ्ट हिंदुत्व पर भी अमल कर रही हैं और अभी तक नरेंद्र मोदी के लिए कुछ अंत-शंट नहीं बोल रहीं। प्रशांत किशोर की सलाह पर बीते बरस दिल्ली में अरविंद केजरीवाल भी नरेंद्र मोदी पर आक्रामक नहीं हुए थे। बल्कि हनुमान मंदिर में जा कर मत्था टेक रहे थे , हनुमान चालीसा पढ़ रहे थे। केजरीवाल हालां कि कामयाब हुए मुफ्त बिजली , पानी पर । तृणमूल में लेकिन बगावत उफान पर है। लोग भाजपा में आ रहे हैं। भाजपा में तो वामपंथी और कांग्रेसी भी आ रहे हैं। 

लेकिन दिलचस्प यह कि भाजपा के एक सांसद सौमित्र खान की बीवी सुजाता मंडल पति को छोड़ आज तृणमूल में पहुंच गईं। इस बहाने उन का दांपत्य टूट गया। पश्चिम बंगाल चुनाव में ऐसे और भी कई दिलचस्प मोड़ आने वाले हैं। बस ओवैसी को कूदने दीजिए। अभी बहुत मछलियां इधर-उधर कूदेंगी। मार-काट मचेगी। जो भी हो अमित शाह ने ममता के वोट बैंक के आकाश में सूराख कर दिया है। और भरपूर। बंगाल की खाड़ी में हलचल और मचेगी। लहरें और मचलेंगी। क्यों कि अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में सेंधमारी की है। और बहुत तगड़ी। अमित शाह का सोनार बांगला का स्वप्न सच होता है या खंडित , यह तो पश्चिम बंगाल की जनता-जनार्दन ही जाने। बहरहाल , दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल का ही यह एक शेर और भी यहां मौजू है :

रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया

इस बहकती हुई दुनिया को सँभालो यारो।


1 comment:

  1. लगता तो है कि इस बार परिवर्तन होगा। बाकी तय तो बंगाल की जनता को करना है।

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